- पा शश११ 08 करणिक-करताली मनके चन्द्र, बुद्धिक चतुर्मुख, महारके रुटू और | करण्य (सं० पु०) करण-भव यत्। वरपिक, मनके पधिप प्रयुत हैं। ३ ववादिके खामी। कायस्थजाति । करणिक (सं० पु०) करणव्यवहारज कायस्थ । करतब (हिं. पु०)१ कर्तव्य, पूज, काम। २ कचा, करणी (स. स्त्री०) क्रियते क्रियाविशेषोऽत्र, छ हुनर। ३ जादू। ४ चासाकी। करणे लुट-डोष । १गणितशास्त्रोक्त क्रियाविशेष। करतबिया (हिं० वि०) करतब करनेवाचा। अति सूक्ष्मरूपसे जिस राशिका मूल निकाल नहीं सकते, करतबी, सरवरिया देखो। उसे करणी कहते हैं। (Surds ) २ करणको स्त्री। करतरी (हि.) कर्तरी देखो। करणीय (सं.वि.) क्रियते यत् यत्र वा, कर्मणि | करतल (सं• पु०) करस्य तलः, ६-तत् । १ हस्त- आधारे च क अनीयर। छत्यलुरटो पडुलम् । तल, हथेली। २ डगण, चार मात्राका एक गण । कार्य, करने लायक.। समें प्रथम दो मावा लघु और अन्तको एक मात्र करणीसुता (स'. स्त्री०) पोयपुत्रीरूपसे ग्रहण की दीर्घ आती है। ३ एक प्रकारका छप्पय । जानेवाती सुता, जो लड़को पालनेके लिये वेटोको करतलगत (स० वि०) हथेली में पहुंचा हुवा, तरह रखी जाती हो। जो हाथ पा गया हो। करण्ड (सं० पु०) क्रियते, क कर्मणि अण्डन् । करतलत (स० वि०) हथेलोमें रखा हुवा, जो पणन् यसभनवः। उप १६१२८ । १ मधुकोष, शहदका हाथमें पकड़कर रखा गया हो। छत्ता। २ असि, तलवार। ३ कारण्डव पक्षी, एक करतत्वस्थ (सं० त्रि.) हथेलीमें रखा हुवा। ४ दलाढक, इजारा चमेली। ५ वंशादि- | करतली (हिं० स्त्री०) १ गाड़ीवानके बैठनेकी जगह। रचित पुष्पपावविशेष, फूलको डाली या पेटारी। २ हथेली। ३ तानी। ६ कालखण्ड,यवत् । शैवालविशेष, किसी किस्म का करतव्य (हिं.) कर्तव्य देखो। सेवार। हिन्दीमें करण्ठ चाकू. हाथियार वगैरह करता (हिं. पु०) १ कर्ता, करनेवाला । बता देखो। टेनेके कुरुल पत्थरको कहते है। २ वृत्तविशेष, एक छंद। इसमें एक नगण, एक लघु करण्डक (सं० पु०) वंशादिरचित पुष्पपावविशेष, और एक गुरु-सब पांच अक्षर आते हैं। ३ गोलीका बांसको डलिया या पेटारी। करण्डकनिवाप (सं० पु०) बौद्धग्रन्योत एक पुख- करतार (हिं. पु.)१ कर्तार, विधाता।२ करताल स्थान। यह रानटइके समीप प्रवस्थित है। करतारी (हिं. स्त्री०) ताली, हथेलियों की आवाज़ करण्डफल (स० पु.) कपित्यवक्ष, कैथेका पेड़ । २ वाद्यविशेष, एक बाना। करताल (सलो०) कराभ्यां दीयमानस्तालो यह करण्डफलक, सरएफस देखो। करण्डा (सं० स्त्री०) करण्ड-टाप । १ पुष्पभाण्ड, बहुव्री०। १ भन्नक, एक वाजा। यह यन्त्र कांस्य धातु- बनता है। २ शब्दविशेष, एक.पावाज। यह दोनों फूल रखनेको पेटारो। २ यवत् । हथेचियां बजानसे निकलता । ३ मंजीरा, मांझा करण्डिक (संपु) करण्डः विद्यते यस्य, करण्ड- इकान्। करण्डवत् चर्ममय स्थली रखनेवाला जीव, करतालक (सं• लो०) करताल स्वार्थ कन्। करवाच देखो। जिस जानवरके मुदकी तरह चमड़ेको थैली रहे। करण्डी (स• पु०). करडवत् भाकारोऽस्ति पस्य, | करतालध्वनि (सं. पु. ) करतानस्य ध्वनि, सत् । इनि। १ मत्स्यविशेष, एक मछली। २ पुष्पपान करतासका वाय, मंजीरा वगैरह बाजा। विशेष, फलको पेटारी। हिन्दीमें करडी पडी यानी करताची (म.बी.) करतात गौरादिलात् कोष । १ वापविशेष, , एक . कच्चे रेममसे बनी चादरको कहते है। टप्पा २ बरतबायक .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७३
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