पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६२७

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EN कायौ पुरुरवा प्रायु 1 क्षत्र नहुष ययाति सुहोत्र 1 १काश 1 २ काशिराज सहस्रजित शतजित् हैहय ३ दोघेतमा ४ धव धम्नेत ५ धन्वन्तरि 1 कुन्ति ( कौति) सश्चय (साइक्षि) ६ केतुमान् ( इश्व ) ७ भीमरथ 1 दिवोदास 1 महिमान भटूश्रेण्य ११ प्रतर्दन ब्रह्माण्डपुराणमें लिखा है कि काशचंगीय २४ गजानि राजत्ल किया था * किन्तु इसका कोई विवरण नहीं मिलता भागभूमिके पोछे कौन गजा एवा। वुदेबके समय वाराणमीमें देवदत्त नामक एक गजा रहे। मम्भवतः वौइधर्म वढने पर काशीराज्य मगध- रानके हाथ लगा। ब्रह्माण्डपुराणमें भी बताया है- "पष्टाविगच्छतं माया प्रारीता पच ते सुताः। इत्वा नै यमः कृतय गियनागो मविष्यति । नागपा मुस्था प्रामाति गिग्विजम् ।" (उपौधातपाद. ३४५०) अनन्तर प्रद्योतय पञ्चपुव एक सौ पड़तीम वर्ष राजत्व करेंगे। उसके पीछे शिशुनाग उनका निखिन्न यशः हरण पूर्व क राजा शेंगे । वह वारा- पसी राज्य स्खीय पुत्रको संस्थापित कर (मगध- राज्यस्थित ) गिरिव्रजको चले जायेंगे। और ग्रन्यमें काशीरान ब्रदसनाम मिन्नता है। किन्तु यह मालूम करनका उयाय नहीं किम ममय उन्होंने राजत्व किया था । मगधगजरायके अधःपसनकान काशीराज्य गुप्तराजगपके अधीन हुवा । इस गजवंशके मध्य केवल बानादित्यके पुत्र कटादित्यका माम मिलता है * अनुमान है। सप्तम शताब्दको वह काशीके राजामन पर पारूढ़ थे। उसके पीछे काशी सम्भवतः कोजराज शासना. धीन हुयी।ई दशम शताब्दको कन्तरि और पान- वंशीयोंने मिल कर कनोजराच्य अाक्रमण किया था। उस समय काशीराना गौड़वाले पानवंशीय राजावोंके अधिकारमुक्त हुवा । काशीक पासवंशीय राजा सभी बौद्धधर्मावलम्बी थे । उनमें गौड़ाधिप महीपान ही काशीके प्रथम नवमीय राजा र होंगे। वाराणसी के निकटवतों मारनाथ महोदाम 1 १.दटम १२ वत्स १४ सथति वा सन्तति १५ सुनीय १७ मुकेतु १८ धमकेतु १० सत्यकेत २. विभु २१ सुविभु २२ सुकुमार २३ चटकेतु २४ वेणुहोव २५ भग

  • २६ भागभूमि

• काशीम राबल भरनेवाले रागावोंक पूर्वर त्यादि संवा दो भयो । "कारेयास्तु सुर्विग्दष्टाविंशन तु श्या" (FA 118) + Fleet's Inscriptions of the Eorl Gupla Kings, p. 246,