। ५८२ कालावड़क-कालिका कालावड़क (सं० पु.) वृक्षविशेष, एक पेड़। चन्दन । (त्रि०) ४ समयोचित, वक्त के सुवाफिक । कालावधि (सं: पु०) नियत समय, मुकरर वक्त.। ५ सालसम्बन्धीय, वक्तके मुतालिका ६ दीर्घकाना कालाव्यवाय (सं० पु०) समयके अन्तरालका अभाव, स्थायो, बहुत दिन चलनेवाला। इस अर्थमें 'कालिक वत के वक फवो अदम मौजूदगी। शब्द प्रायः समाससे लगता है। यथा मामकालिक, कालाशधि (सं० स्त्री०) कालस्य, कर्मयोग्यसमयस्थ प्रकालिक इत्यादि। अशुद्धिः, ६-तत्। ज्योतिषशास्त्रोक्त शुभकर्मका बाधक कालिकता (स. स्त्री) समय, तिथि, ऋतु, वक्त.. समय विशेष, रक्ष या नापाक रमाका वल तारीख, मौसम। अकाल देखी। कालिकसम्बन्ध (सं. पु.) कालिकविपणता नाम- कालाशोक (सं० पु०) बौद्धराज विशेष, बौद्दोंके एक स्वरूप सम्बन्धविशेष, कालानुयोगिक विभु भिन्न वस्तु राजा। प्रतियोगिक सम्बन्ध, वक्त का जोड़। भिन्न कालस्थित कालाशौच (सं० क्ली० ) कालव्यापि अशोचम, मध्यप० । वस्तुयके साथ उक्त सम्बन्ध नहीं लगता। किसी पितामाता प्रकृति. महागुरुका मृत्य होनेसे एक किसी नैयायिकने कालिकसम्बन्धको विभुयातियोगिक वत्सर पर्यन्त अशीच रहनेका विषय स्म तिशास्त्रमें सम्बन्ध कहा है। विभु पदार्थ भी कात्तिकसम्बन्धसे कथित है। उसोको कालाशौच कहते हैं। काला कालमें ही रहता है। महाकाल और कालोपाधि समु- शौचके समय कई कर्तव्योंके पालनका नियम दाय कालिक सम्बन्धी वस्तुका अधिकरण होता है। निर्दिष्ट है। कालिका (सं० स्त्री०) कालो वर्णोऽस्त्यस्याः, कान्त- कालासुखदास (हिं. पु.) अग्रहायण मासमें उत्पन्न ठन् टाप ; यहा काल-डीप स्वार्थे कन्-टाप् इस्खत्वच। होनेवाला धान्चविशेष, अगहनका एक धान। १ चरिडका, काली। उनके नामकरण सम्बन्ध पर कालासुहृत् (सं.पु.) असून प्राणान् हरति, असु-ह. कालिकापुराणमें लिखा है,-"शुम्भ और निशम्भ विप सुहृत् प्राणनाथकः, कान्तश्चासौ असुहत् चेति, दैत्यके उत्योड़नसे अत्यन्त पीड़ित हो इन्द्रादि देव कर्मधा। १ प्राणनाशक, जान लेनेवाला। कालः हिमालय पर्वतमें गङ्गातीर्थ के निकट पहुँच महामाया- भयानकः असुहत् शत्रुः। २ भयङ्कर शत्रु, खतरनाक का स्तव करने लगे। महामायाने उनके स्तवसे सन्तुष्ट दुश्मन । कालस्य मृत्योः असुहत् विनायकः। ३ महा. हो मातङ्गास्त्रीरूपमें वहां पहुंच कर पूछा-'तुम देव, शिव । लोग किसकी आराधनाके लिये इस मातङ्गपाश्रममें कालास्त्र ( स० लो०) सहातक वाणविशेष, जानसे आये हो ?" देवौके पूछते ही उनके प्रङ्ग से एक देवी- मार डालनेवाला तीर। मूर्तिने प्राविभूत हो कहा कि 'देव शुम्भ और निशम्भ कालास्थाली (स. स्त्री०) १ पाटला वृक्ष। २ मुष्कक, दैत्य के अत्याचारसे उत्पीड़ित हो उनके निधन के उद्देशसे मोखा। महामायाको पाराधना करने पाये हैं' वा प्राविमता काला (सं० पु०) १ काकतण्डी, चची । २ काक. देवी प्रथम कणवर्णा रहीं। क्षण कालके पीछे उन्होंने तिन्दुक, कुचलेका पेड़। फिर गौरवर्ण धारण किया। किन्तु कृष्णवर्णा प्रादुर्भूत कालि (हि.क्रि.वि.) १ कल्य, गये दिन। २ अागामी होनसे ही वह कालिका नामसे विख्यात दुयौं। दर दिवसं, आनेवाले दिन। ३ शोध, जल्द। • उग्र भयसे रक्षा करती हैं, उसीसे पण्डित उहं. कालिक (सं० पु०) काले वर्षाकाले चरति, काल-उन, तारा भी कहते हैं। उन्होंके प्रथम बीजका नाम तन्त्र के जले अलति पर्याप्नोति वा, क-पल बाहुलकात् है। मस्तकमें एकमात्र जटा रहनसे उनका नाम इकन् । १ क्रौञ्चपची, किसी किस्मका बगला। २ नाग- एकजटा भी है। कालिकामूर्तिका ध्यान निम्नलिखित राज विशेष, नागोंके एक राजा। (को०) ३ कृष्ण रीतिसे किया जाता है,- ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५८१
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।