१०४ कालसूवक कालहस्ती विंशति महानरका अन्तर्निविष्ट लिखा है। ब्रह्माहत्या, नयागड़ पौर खरियार प्रदेश है। लोकसंख्या प्रायः शाखके प्राचारका त्याग, कृपण राजाका दानग्रहण, साढ़े तीन हजार है। कालइन्दो प्रदेश पथिमघाटसे शाइमें भोजन कर शूट्रको उच्छिष्ट दान प्रभृति पाप पव्यवहित पचिम दिक् पड़ता है। करनसे उक्त महानरक भोगना पड़ते हैं। २ मृर, कालइन्दोमें इन्द्रवती नदी उद् त हो गोदावरीसे कारक सूत्र, मार डालनेवाला डोरा । जा मिली है। इत्ती और रेत नाम्नी दूमगे भी दो “वहिंगोऽयं त्वया गतः कालसून लम्बितः।" (भारत, बमपर्व) स्रोतखतो उक्त प्रदेशसे निकन तेन नदमें गिरी है। ३ फांसीको रसी। फिर तेल, सान पर रावल तीन नदी एकत्र हो कालसूवक, कालस घ देखो। उत्तरको वहती हुवी उड़ीसाको महानदीमें पतित कालसूय (सं० क्लो०) मृत्यु कारक सूर्य, मौतका सूरज । होती है। चारो ओर इसी प्रकार नदी और घाट वह कल्पान्तके समय निकलता है। पर्वत निकट रहनेसे कालहन्दोमें पानी बहुन पड़ता कालसेन (सं० पु.) एक डोम । इसने राजा हरिचन्द्रको है। मौसे उक्त स्थानको भूमि विशेष उर्वरा है। क्रय किया था। उत्तर-पश्चिम भागमें सालवनको लकड़ी उपजती है। कालस्कन्ध (सं० पु.) कालः कृष्णः स्कन्धो यस्य, चावल, दाल, पलसी, जख, रुई, ज्वार और गई बहुव्री०। १ तिन्दुक वृक्ष, तेंदूकां पेड। वह मधुर, बहुत होता है। स्थान स्थान पर सप्ताह में एक बार बल्य, वृष्य, गुरु, धातुविकर, शोत और श्रम, दाह, बाजार लगता है। प्रधान नगर भवानीपत्तनका कफ, पित्तगोथ, विस्फोट एवं पित्तनाशक है। (टाक बाजार ही सर्वापेक्षा बड़ा है। कालन्दोका जन्तवायु निघण्ट) २ विट्खदिर। ३ उदुम्बर वृक्ष, गन्तरका अति उत्तम है। पेड़ । ४ जीवकट्ठम, दुपहरियाका पेड़। ५ तमानपत्र कानहन्दीमें एक रानाका अधिकार है। वह वक्ष, तेजपातका पेड़। ६ कालताल, काला ताड़। घंगरेजोको कर देते हैं। राजा प्रतापदेवको दिशोके समयका अंश विशेष, वक्त का एक टुकड़ा। दरवारमें "राजा बहादुर' उपाधि और अपने सम्मा- कालस्कर (सं० पु०) १ तिन्दुक वक्ष, तेंदूका पेड़। नार्थ र तोपों की सलामी मिली थी। १८८१ ई० को २ तमालवृक्ष; तमालका पेड़। उनका मृत्यु हुवा। १८८४० को उनके दत्तकपुत्र कालस्थानी (सं० स्त्री.) पाटल वृक्ष, एक पेड़ । राना रघुकिशोर देव राज्यके अधिपति बने थे। किन्तु कालस्वरूप (सं० त्रि०) कालेंन मृत्युना वरूपः सदृशः, उनके अप्राप्तवयस्क होनेसे राज्यका भार गनी पर ३तत्। मृत्युतुम्य, मौतके बराबर । बालक राजा जबलपुरके गजकुमार कालहर (सं० पु०) काल मृत्यु हरति, काल-टच । कालेजमें पढ़नेको बैठाये गये। उस घटनाके पीछे १ शिव, महादेव । २ कामरूपान्तर्गत शिवलिङ्ग विशेष, तो कन्ध लोगोंने विद्रोही हो कुलता नामक १८० व्यापार कामरूपका एक शिवलिङ्गः। हिन्दुओंको मार कर उनके ग्राम लूटे थे। "तमान पूर्व भद्रकाम: पर्वतस्त विकोषकः । गुरुतर देख अंगरेजाने अपनी पुलिससेना भेज यव कालहगे नाम शिवलिङ्ग'.व्यवस्थितम् ॥" (कालिकापु०, ०८.१०) विट्रोहको दमन किया। बसवा करनेवाले लोगोंके (वि.)३ समयक्षेपक, वक्त, विगाड़नेवाला। मरदारोंको फांसी दी गयी। उसी दिनसे उक्त प्रदेशका कालहन्दी (करौंद)-मध्यप्रदेशके सम्बलपुर जिलेको शामनकार्य गवरनमेण्टने अपने हाथमें ले रखा है। एक जमीन्दारी। वह पक्षा० १८.५० और देशाः कालहस्ती-मन्द्रान प्रेसिडेन्सीको एक जमीन्दारी। २०°३० पू०में पवस्थित है। उससे उत्तर पाटनां उमका कुछ अंश मार्कट और कुछ अश.नेहोर विभाग, पूर्व एवं दक्षिणभागमें जयपुर जमीन्दारी तथा जिने में अवस्थित है। लोकसंख्या प्राय: डेढ़ लाख है। 'मन्द्राजका विशाखपत्तनः जिला, पश्चिम बिन्दरा ई.१वें शताब्दको वेवमातोयं किसी पासिगारने पड़ा था।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५७३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।