कालमानक-कालयापन वीमारी। कालमैषिका देखो। मल्लिका, ववई । (को०) कालस्य मानं परिमाणम् || कालमेयो, कानमषिका (सं० स्त्री० ) कालं मिषति स्पर्धते स्त्रका- ३ कालका परिमाण, वक्ताको तौल । ण्डेन, काल-मिष पण-डोष स्वार्थे कन-टाप् हस्खत्व- कालमानक, कालमान देशी। च। १ज्यामा विता, काली कटैया। २ मञ्जिष्ठा, कालमार, कालमाल देखो। कालमारिष (सं० पु. ) वृहत्पन्न तण्डलीय शाक, मंजीठ। ३ कृष्णजीरक, काला जीरा । ४ विवता, बड़ीपत्तौकी चौराई। कटैया। ५ वाकुची। ६ हरिद्रा, हलदी। ७ श्वेत- कालमाल (संपु०) कालेन वष्णवर्णन मानः सम्व जोरक, सफेदं जोरा। ८ श्यामालता। कानमेषी, न्धोऽस्य, बहुत्री० । कृष्णतुलसी, काली तुलसी। कालमषिका देखो। कालमालक, काटमाख देखी। कालमही (सं० पु०) मेहरोग विशेष, जिरियाको एक कालमाला (सं• स्त्री० ) सणार्जक, काली तुनो। कालमुख (सं० पु.) कालं मुखं यस्य, बहुव्री० । कालयवन (सं० पु०) यवनांका एक अधिपति । महा- कृष्णमुख वानर विशेष, काले मुहका एक वन्दर । देवके नियमानुसार गाय ऋषिकी भार्या के गर्भसे (भारत, वन २८१ १.)। (वि.) २ कृष्णवर्ण सुख वा इसका जन्म हुवा। उता .ऋषिने मथुरावासियोंके अग्रभागयुक्त, कलमुहा। प्रति जातकोध हो वैरनिर्यातनके निमित्त अतितष्क्षर कालमुष्का, कालमुष्ठ देखी। भासक स्थानमें हादश वत्सर लौहचर्ण माव भक्षण 'कालमुष्कक (सं० पु.):कालो मुष्क इव कायति और नियम अवलम्बनपूर्वक रुद्रदेवकी प्रीति के लिये प्रकाशते, काम्न-मुष्क -क । १ घण्टापाटलहष, तपस्या की थी। गाग्य के पौरस और गोपाली नाम्नी मोखा ।२ मणपुष्यघण्टा, काले फूलको मोखा। प्राके गर्भसे कालयवनने जन्म लिया। यह राज- कालमूर्ति (सं० स्त्री०) कालस्य मूर्तिः, ६-तत । १ यम धर्मज्ञ, राजोचित पड़गुणसे अलङ्कत, विद्वान्, सत्यवादी मूर्ति। २ मृत्युकारक जन्तुको मूर्ति । ३ कालयम। जितेन्द्रिय, रणकुशल, शूर और सुमन्दिसहाय थे। कालमून (सं० पु.) कालं मूलं यस्य, बहुव्री०। रत मगधराज जगसन्धमे इनको संप्रीति रही। चित्रक, लाल चौत । विवश देखी। जरासन्धके साथ मथुरा पाक्रमण करने गये। उससे कालमेघ (सं० पु०)१ क्षुद्र वृक्षविशेष, एक छोटा पहले श्रीकृष्णने मथुरावासियोंको द्वारका भेज दिया पेड़ । यह अत्यन्त सिक्त होता है। इसे महातीता था। वह जानते थे कि कालयवन मथुरावासियों द्वारा और महामांग भी कहते हैं। पर अधिकांश मरिचके मारे जाने योग्य न थे। सुनरां श्रीकृष्ण काशयवनके पनसे मिलते हैं। वृक्षके शीर्ष में चपटा फत्त लगता मम्मु खसे भाग किसी पर्वतको गुहा में घुसकर छिप रहें। है। अनेक वैद्य इसको ज्वरनागक बताते हैं। उस गुहाम सूर्यवंशीय महाराज मुचुकुन्द रणके परि- २ कोई विख्यात तामिल कवि। द्राविड़के लोग श्रमसे बहुत क्लान्त हो सोते थे। कालयवनने उसमें घुस इन्हें 'कालमेकम्' कहते हैं। कविता विद्रूप एवं रूपकसे कृष्ण समझ कर उनके लात मारदी। सुचुकुन्द को कोप परिपूर्ण है। अधिकांग श्लोक ह्यर्थ मूलक है। यह दो दृष्टिसे फिर यह विनष्ट हो गये। (हरिवंशा५ प०) दिनमें एक काव्य लिख सकते थे। कानमेव सम्भवतः कालयाप (सं० पु.) कानस्य यापः प्रतिवाहनम्, ई. के पश्चदश शताब्दमें जीवित थे। ठीक नहीं कहा ६ तत् । अतिवाहन, जा सकता इनका प्रक्वत नाम क्या रहा। टालमटोल । कालमेशिका (सं• स्त्री० ) कानो मिप्यते कालोऽयं कालयापन (सलो०) कानस्य यापनं अतिवाहनम, इति कथ्यते जनैरिति शेषः काल मिग-डोष कन् टाप ६-तत् । १ समयमा बिताय, वक्त का कटाव । २ लोक- इखच। मनिष्ठा, मंजीठ। यात्राका निर्वाह, गुजारा। Vol. IV. 143 यह काल पताका गुजारा, o
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५६८
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