५६६ कालनेमिरिपु-कालपुच्छ बल देवगणको हरा स्वर्ग पधिकार किया। फिर कॉल- कालपर्ण (सं० पु०.) कालं वयपणे पत्रः यस्य, बद्री। नेमिने स्वीय देह चार भागमें बांट देवगणको भांति तगत कार्य समुदाय चलाया था। विष्णुके हाथ मारे जाने कानपर्णिका, कालपर्यों देखो। पर कालनेमि परजन्ममें कंस रूपसे प्रादुर्भूत हुवा। कानपणे ( स० स्त्री ) कालं क्षणं पर्णमस्याः । १ कृष्ण (हरिवंश १८-५५०) तुलसी वृक्ष, काली तुलसी। २ ग्यामानता, ३ मालव देशीय कोई बाहाण कुमार। इनके पिताका काली वेल। नाम यज्ञसोम था। पिताके मरने पर इन्होंने स्त्रीय कालपर्यय (सं० पु०) कानस्य पर्ययः वैपरौत्यम्, तत् । भ्राताके साथ पाटलिपुत्र पहुंच देवशर्मा नामक किसी कालको विपरीत गति, यतका उन्नटफेर। शुभदायक ब्राह्मणसे विद्या पढ़ी। ब्राह्मणने उक्त दोनों भातावोंको कालकी प्रशमदायकता और अशुभदायक कानकी अपनी दो कन्याये दी थी। किसी समय कालनेमिने शुभदायकता 'कानपर्यंय' कहलाती है। प्रतिवेशियोको धमाब्य देख ईपरायण चित्तसे "मिनमीका यथा राजन् छोपमासाद्य निरताः । शमीको पागधना की । लक्ष्मीने आराधनामे भवन्ति पुरुषम्यान नाषिकाः वाचपर्य।" (महामारत विवाट 0940) सन्तुष्ट हो इन्हें विपुल धन और चक्रवर्ती पुत्र लाभका | कालपर्वत ( सं० पु० ) त्रिकूटके निकटका एक पर्वत । वर दिया था । किन्तु ईर्थापरवश हो पाराधना "विकट समसिक्रम्य काखपर्व तव च। करनेके कारण उन्होंने अभियाप देकर कहा था, कालपातिक (सं० पु०) मिक्षुभेद, किसी किस्म के फकीर । ददर्श मकरावास गमोरोद महोदधिम् ॥ (महामारत,वन २०६१०) 'तुम चौरकी भांति मरोगे। कालक्रमसे ब्राह्मणको धन यव कृष्ण वर्ण पात्र हाथमें ले मिक्षा मांगते हैं। पुत्रादि प्राप्त हो गया । किन्तु पुत्रशत्रु राजाने कालपालक (स'• ली.) काल कृष्णवणे पालयति इन्हें चौरकी भांति मार डाला । (कथासरित्सागर) धारयति, काल-पाल-पवुल् । कंकुष्ठमृत्तिका, एक मही। कालनेमिरिपु ( स० पु.) कान्लनेमे: रिपुः, ६-तत् । कंकुष्ठ देखी। १ कालनेमिके शव विष्णु । २४. मान्। कालपाय (सं० पु०) कायस्व पाशः रन्नुरिव कासस कालनेमिहा (सं० पु०) कालनेमि इतवान्, कालनेमि मृत्योर्यमस्य वा पाश। १ समयका बन्धन रज्जुदत् प्रावा- इन्-क्किए। १ विष्णु । २ हनमान्। कारक अपरिवर्तनीयं नियम, वक्तको कैद। समयके कालनेमी (स'. पु.) कालस्येवं नेमिरस्तास्य, काल इस नियम द्वारा भूत प्राव हो किसी प्रकार अन्यथा नेमि-इनि । कालनेमि, एक सुर । कर नहीं सकते। २ यमपाश, मौतका फन्दा। कालनेम्यरि (स'• पु०) कालनेमे परिः शत्र , ६-तत् । समय इसी पाशरूप नियमसे पाबह को लोगों की १ विष्णु । २ इन्मान् । यमालय जाना पड़ता है । ३ मृत्य पाय, फांसी। · कालपक्क (स० वि०) काले यथाकाले पक्कं, ७-तत् । कासपाशिक (स पु०) कानपाशस्य नेता, कासपाश- 'यथासमय पक्क, अपने पापं वक्त पर पकनेवाला । ठक् । हाथसे मारनेवाचा, जमाद, फांसी देनेवाला । कालपट्टो (हि. स्त्री०) भराव, ढूंसठांस । जहाजको कालपोलु ( सं० पु० ) कालः कृष्णवर्ण : पौलुः, कर्मघा० । दण्ड में सन वगैरह भरनेको 'कालपट्टी' कहते हैं। कृष्णवर्ण पौलु, स्याह पावनस, काला तेंदू। "यह शब्द पतिंगोज कोलाफटों का अपना है। कालपीलुक (सं० पु० ) कालपील खार्थ कन्। कारपत्री (स'• स्त्रो०) सालथपत्र । काइपोल देखी। कालपथ (स.पु.) विश्वामित्रके एक पुत्र । कालपुच्छ (स.पु.) कासः पुच्छोऽस्य, बहुव्री। (भारत, प.प.)- १ मगविशेष, एक जानवर । मुश्चतने इस मृगको वालपरिवास (स.पु.) ईषत् कालका ठराव, कूनचर बन्नुके पत्तभूतं कहा है। बोड़ वळवेषिये ठहरनेका काम २ वरपट, काला चिडा। यथा
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५६५
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