कालत्रयदर्शी-कालना कालत्रयदर्शी (सं० पु.) कालत्रयं पश्यति प्रत्यक्षवत् कालदोन्ना (सं० स्त्री. ) नोलो वृक्ष, नीच का पेड़। अवलोकयति, कालत्रय-दृश-णिनि। प्रत्यक्षकी भांति कालधर्म (सं० पु. ) कालस्य धर्मः, ६ तत्। १ मृत्यु, कालत्रयके विषयको अवलोकन करनेवाला, जो तीनों मौत, समयका काम | २ ममयका स्वभाव, वक्तको जमानेका हाल देखता हो। चाल । शीत ग्रीष्मादि ऋतु के अनुसार गौतन्नता और कालत्रयवेदी ( स० वि०) कालत्रयं वेत्ति, कालत्रय उत्तापादि जो उपनता, उसोका नाम कान्तधर्म पड़ता विद-णिनि। त्रिकालका विषय जाननेवाला, जो तीनों है। ३ समयानुसार व्यवहार, वक्ताका चनन । जमानेके हालसे वाकिफ हो। कालधर्मा (सं० पु.) कानस्य धर्म व धर्मोऽस्य, कान- कालदण्ड (सं० पु०) कालप्रापको दण्डः, मध्य- धर्म-अनिच् । मृत्य, मौत । पदलो। १ ज्योतिषोत वारादि योगविशेष। ( काले कालधारणा (सं० स्त्रो०) कान्तस्य धारणा निययावगतिः यथाकाले प्राप्तो दण्डः, ७-तत् २ यथासमय प्राप्त- ६-तत् । १ समयनिर्धारण, वक्तका ठहराव । २ कानको दण्ड, वलसे मिली हुई सजा। (कालस्य दण्डः, अवस्थाका ज्ञान, वक्त की हालतका इल्म । ६ तत्।) ३ मृत्युदण्ड, मौतका चपेटा। कास्तदन्तक ( स० पु०) कान्तो दन्तोऽस्य, काल-दन्त- कालनगर-युक्तप्रान्तके इलाहाबाद जिले का एक नगर, कए। १ सर्पविशेष, एक सांप। यह सर्प यह इलाहाबाद शहरसे २० कोस उत्तर-पथिम, गङ्गाक वामुकि दक्षिणतीर अक्षा. २५.४१५५“२० और देशा०८१ वंशनात रहा और जनमेजयके यजमें मारा गया। (त्रि.) २ कृष्णवर्णं दन्तयुप्ता, काले दांतवाला। २४ २१पू० पर अवस्थित है। आजकल इसे करा कालदमनी (सं० स्त्री०) काल मृत्य' दमयति नाशयति कहते हैं। यहां कालेश्वरका एक मन्दिर है । इससे काल दम-ल्य डीप् । मृत्य निवारिणी दुर्गा। इसकी कालनगर कहते हैं। कालदाना-कुर्दिस्थानके इक्करी मिलेका एक ईसायी कालनर (सं० पु० ) १ अनुवंशीय एक राजा । सम्प्रदाय । इन्ही लोगोंके मुहसे सुना जाता है कि सेण्ट "अनीः समानरयच : परचय वयः भुताः । टामस और उनके ७० शिष्यों में २ लोगोंने मिलकर समानरात काचनः मुघयस्ततमतः यमः" (भागवत हार) कालंदानियोंको ईसायी बनाया था। यह पपर जांतिसे (कालः कालचक्रं राशिचक्रमित्यर्थः नर व मेगादि ). पृथक् रह आज भी स्वाधीन भावमें वास करते हैं। २ हादश राशिका मस्तकादि पवयवयुक्त पुरुष । कालदानी प्रजातन्त्रप्रिय हैं। पू से यह लोग | कालना-वङ्गानके व मान निलेका एक महकुमा। यह कालदी ( Kaldi or Chaldran) कहाते हैं। प्रक्षा० २३. एवं २३. ३५ ४५” उ• और देशा.. ईसायौ होते समय इन्होंने जिस भावमें नतन धर्म ८७ ५८ तथा ८८.२७ ४५“पू० के मध्य अवस्थित ग्रहण किया , आज भी उसी प्रकार उसे मानते हैं। है। लोकसंख्या कोइ ढाई लाख होगी । कालदानियों के प्रत्येक ग्राममें एक सामान्य गिरजा महकुमामें ७०१ ग्राम विद्यमान हैं। पहले कालना रहता है । प्रति रविवारको स्त्री पुरुष . एकत्र हो पूर्वस्थली और मन्त्रेश्वर तीन स्वतन्त्र घाने थे । १८६१ उपासना और उपहारादि दान करते हैं। यह लोग ई०को वह तीनों कालना महकुमामें मिला दिये गये। प्रायः उपवासी रहते हैं। इनके यानक निरामिषाशी इस विभागके लिये एक दीवानी और दो फौजदारी अदालते हैं। ईस विभागका प्रधान नगर भी कालना होते हैं। यह सदा युद्दके लिये प्रस्तुत रहते हैं। केवल शत्र ही नहीं-निरीह प्रागन्तुकके अपर भी है। वह गङ्गाके दक्षिणकून पक्षा० २३. १३ २०७० पत्याचार किया जाता है। बान और · टसर दके पौर देशा० ८८ २४३० पू. पर अवस्थित है । नोक मध्य पूर्वमें पामदिया जिलेतक कालदानी प्रदेश संख्या प्रायः डेढ़ हजार है। पहले लोग अधिक रहते विस्तृत है। इस प्रदेशमें धान्यक्षेत्रादि अल्प है। किन्तु थे। किन्तु स्वभावतः मलेरिया ज्वरसे ग्राबादी घट गयी पार्वत्य भूमि की कमी नहीं है। है। कानना एक प्रधान वाणिज्यस्थान है। वहांसे रेन- कानना
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५६३
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