कार्षिकोत्सव-कापास परिष्कार कर वही पत्तीका रस -इस पर लगाना भूमिम गिर गया। फिर वह घरवनमें पहुंच गया, जिससे कार्तिकेयका जन्म हुवा। किन्तु वीर्यने पतन. चाहिये। फिर उसी समय शरीरका कोई स्थान फूल विषय, पार्वती ही मुख्य कारण धौं। इससे उन्होंने जाय तो भी 38 पर कपासको पत्तोका रसही लगाया कातिकेयप्रसूके नाससे ममिहिनाभ की है। जाता है। कार्तिशोत्सव (सं० पु.) याश्यिां कार्तिकी पौण कार्णम वा हुई सूक्ष्म केशवत् अथच नर्म शव मास्यां भवः उत्सवः । कार्तिकी पूर्णिमाको होनेवाला) पदार्थ है। वह कापोंस नामक चकै फनमें होती है। समय, कतकीका जलसा। कार्पास वृक्ष इस देश में बहुंत होते हैं। उक्त बातीय काय (• पु० ) कतरपत्यम्, कर्तृ स्य । कर्ताक वृक्ष पृधिवक उष्ण प्रदेश में ही प्रायः देख पड़ता है। पुत्र। अंगरेज उद्भिदतत्त्वविदोंन कार्यास वृक्षको Malvacae कारनं (को०) वत्नस्य भावः, करन पण । श्रेणीके अन्तर्गत रखा है। उसका अंगरेजो वैज्ञानिक १ समुदाय, कुलियत। २ सम्पूर्णता, खातिमा। नाम Gossypium है। कार्यासके कई प्रकार भेद हैं। कास्य (सं० लो०) करन-यन । साकल्य, कुन्नि यथा- यत। २ सम्पूर्णता। १ Gossypium arboreum-हिन्दीमें इसको कार्दम (नि.) कर्दमेन रक्तम्, कदम अगए । देवकपाम या नुरमा, सन्यालोम भोगस कोम या १ कर्दमयुक्त, कीचड़ से भरा हुवा। २ प्रजापति कर्दम | दुदी कम कीम, वैदेलखण्डौमें वोगली या नुरमा, युक्त- सम्बन्धीय। प्रदेशो में मनु, रधिया या नुरमा, पञ्जायम कपास, कादमिक ( स० वि० ) कर्दम ठक् । कार्दम, कीचड़से | मध्यप्रदेश मन्नु वा या देव, बम्बैयानि देवकपास, भरा हुवा। मराठी में देवकास, महिसुगम देवकपास, तामिलमें कार्पट (सं० पु.) कपंट इव प्राकारो ऽस्यास्ति, सेमपायो, तेलङ्गीमें पट्टी और बायी भाषामें उसको कपट-प्रण। १ जत, लाह। २ कार्यमार्यो, उम्मेद नु-वा करते हैं। वार। ( कट एव खाधे भण) ३ जीर्णवस्त्रग्नुण्ड, २ Gossypium herbaceum-हिन्दुस्थाममें कई चिथड़ा। या कपाम, बङ्गालमें तुन्चा या कापास, पजाबमें कई, कारगुप्तिका (म. स्त्री०) काएंटेन खगड़वण, सिन्धुमें वोम, बम्बईमें कपास वा रुई, गुजरातमें रू गुमा, कार्पटगुप्ता खा) कन्-टाय पत इत्वम् । या कपास, दक्षिण, कपास, सामिलमें वनपरती या १ वटवा। २ मोदी पाउत्ती. तेन्नगामें पाउत्ती, एदुद्दी, परती या परित, कार्यटिक (सं० पु०) कापटं अन्तस्तत्त्वं वेत्ति कपटेन | ब्रह्मदेशमें वाह या वा, परबमें कुरतम या उस्म ल और चरति था, काट-ठक। १ मर्मवेदी, मतस्तवकी फारसमें उमको पम्वा कहते हैं। वात समझनेवाला। २ तौयामालेका ३ भारतमें एक दूसरी कपास भी शेती है। उसका कार्पण्य (स० लो०) कृपणस्य भावः, कृपयन । अंगरजी वैज्ञानिक नाम Gossypium barabaerise १ कपणता, कांजूसी। २ दीनता, युदेवारी। है। सारतमें उसे अमरीकाको रुई कहते है। कार्याण ( वै. लो.) युद्ध, लड़ाई। कासका वृक्ष पपेक्षाक्स शुद्र होता है। पत्र कार्यास (स'• पुको.) कर्यास एवं स्वार्थे प्रण । कराकार वा हस्तसहा रहते हैं। उसके देखने मालम १ कार्यास वृक्ष, कपासका पेड़। वैद्यकके मतमें उसके पड़ता है माना नौन पन्न एकत्र संलग्न हुये हैं। पत्रादि सर्पविर निवारित होता है। चिकित्साका मध्यका अंय अपेक्षाकृत बड़ा होता है। डानसे खतम्ब कम है-देशन मान पर हो रोगीको कपासको पत्तीका बोडी निकन्नने पर पीला फूल लगता है। बौड़ीके ढाई तोले रस पिलाना और चतः स्थानको जन्नसे फटने पर भौतर रूई निकलती है। बोड़ियां पत्तों Vol. IV 1 क 135
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५३६
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।