४७८ कामोदक-कास लिक कई प्रकारका होता है, जैसे-सामन्त कामोद, | कामोपहतचित्तात ( स० वि०) कामातुर, शहबसी। कल्याण-कामोद और तिलक-कामोद। कोई कोई काम्पिल (२० पु०) कम्पिलः नदीविशेषः तस्य इसे मालकोसका पुत्र भी मानते हैं। भदूर भव:, कम्मिल-पण। काम्पित्य नामक एक कामोदक (म. ली.) कामेन स्वेच्छया दत्तं उदकम्, देश। हरिवंशके वर्णनानुसार यह देश पच्चालका मध्यपदलो। मृतव्यक्ति के लिये इच्छानुसार दिया दक्षिणांश है। जानेवाला जल । उड़ाकरणके पीछे मरने वालोंको हो | काम्पिला ( स० स्त्री० ) काम्पिल्य देशको राजधानी । उदकक्रिया होती है। जी च ड़ाकरण होनेसे पहले काम्पिल्य ( स० पु०) काम्पिले नाताः, कम्पिल-पत्र । मर जाते हैं, वह कभी जल नहीं पाते। किन्तु उनके १ गुण्डारोचनी नामक सुगन्धद्रव्य, एक खुशबूदार लिये कामोदक छोड़ दिया जाता है। (लौगाधि) चौज़। हिन्दी में इसे कवीला या कमौला कहते हैं। कामोदकल्याण (सं० पु.) कामोद और कल्याणके यह रेचक, कटु, उष्ण वीर्य और कफ, पित्त, रणदोष, संयोगसे बनी एक रागिणी। इसमें शुद्ध स्वर ही कमि, गुल्म, उदर, व्रण, प्रमेह, अनाह, विष तथा लगते हैं। अश्मरी-रोगनाशक है। ( मावप्रकाथ) (कम्पिसाया कामोदतिलक (स० पु०) एक रागिणी। यह कामोद | अटूरे भवः, कम्पिला-प्य ) २ जनपद विशेष, एक और तिलकके संयोगसे बनता है। धैवत स्वर इसमें मुल्क। वत मान नाम कम्पिल है महीं लगता। "भाकन्दीमथ गङ्गायाप्तोर मनपदायुताम् । सोऽध्यवानमौत दोनमनाः काम्पिल्यच पुरोत्तमम् ।" (महामारस शाश्य) कामोदनट (स.पु.) एक रागिणी। यह कामोद | काम्पित्यक (स वि०) काम्पिल्ये जातः, काम्मिख्य- पौर नटके संयोगसे बनता है। कोई कोई इसे नट- वुन । १ काम्पित्यदेशनात, कम्मिच मुल्लाका पैदा। नारायणका पुत्र बताते और दिनके दूसरे प्रहर भी (पु.)२ गुण्डारोचनी, कमोला। गाते हैं। काम्पिल (सं० पु.) काम्पिल-परम निपातनात् सावः । कामोदसामन्त (सं० पु. ) एक रागियो। यह कामोद | गुण्डारोचनी, कमौला । इसका संस्कृत पर्याय- पौर सामन्त मिलनेसे बनता है। इसमें धैवत नहीं कम्पिल, कम्पोल, कम्पिल पौर काम्पित्य है। लगाते और रातके तीसरे प्रहर गाते हैं। . काम्पिलक (सं• लो०) काम्पिन्न स्वार्थ-कन् । १ गुणा- कामोदा (सं. स्त्री० ) कुसितो मोदो यस्याः, बहुव्री० । रोचनिका, कमीला। २ काकमाची, कौवाटोंटी। एक रागिणी। यह कामोदको स्त्री है। राविक काम्पिलिका (स. स्त्री.) काम्पिक्षक-टाप । गुला- द्वितीय प्रहरको हितोय घटिका इसके गाने का समय रोनिका, कमोला। यह सुघराई पौर सोरठ मिमनेसे बनती है। कामील ( स० पु.) काम्पिल-पए निपातनात् साधुः। इसका खरग्राम- सग म प ध है। १ गुण्डारोचनिका, कमोला। २ काम्पित्य नगर, एक कामोदी, कामोदा देखी। शहर। ३ पलायहक्ष, ढाकका पेड़। कामोद्दीपक (स० वि०) कामदेवको भड़कानेवाला, काम्पोलक (सं• पु०) काम्पोल स्वार्थे कन् । काम्पोच देखो। जो शहवतका बढ़ाता हो। काम्पीलवासी (सं० पु०) काम्पोले काम्पित्यदेशे वासो- कामोद्दीपन (स'• ली) कामदेवका उभार, शह ऽस्यास्ति, काम्मौलवास-नि। काम्पिस्य देशवासी। बतका जोश। काम्बल (स.पु.) कम्बखेन पाहता, कम्बस-पए। कामोपनीय (पु.) कामहधि नामक महाचुप, १ कम्बल हारा पाहत रथ, अनी कपड़ेसे लिपटौ एक झाड़। हुयी गाड़ी। (वि.) २ कम्बलसे पाहत, अनी कामोपात (स० वि०) कन्दर्प के बाणोंसे व्याकुल, कपड़ेसे घिरा हुवा। शायतका मारावा, जो मुहब्बतमें फंसा हो। काम्बसिक (सं• पु.) वैषशास्त्रोक्ष यूषविशेष, विसी
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४७७
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