काममय-कामरी साममय (सं० वि०) कामस्व विकारः, काम-मयट । | कामयिता (सं० वि०) कामयते, कम-विच-तम्। भयड्व वयो वाया समक्षाच्छादमयोः । पा ॥१५॥ कामविकार, कामुक, चाटनेवाला। स्वारिशसे भरा हुवा।। कामरस (सं.पु.) कामः कामजरत्यादिरेव रसः । काममदन (सं० पु.) काम कन्द मयति नाशयति, सुरतादि, यहबत वगैरह। काम-मृदछ। कामको मर्दन करनेवाले महादेव । कामरसिक (सं• वि०) कामे कामजरत्वादी रसिका काममलोलुप (सं• पु० ) सवैद्य, अच्छा कोम। . सुनिपुणः, ७तत्। सुरतादि विषयमें मुनिपुण, काममलोलुभ, काममलोलुप देखो। शहबतपरस्त । काममा (सं• पु०) कामस्य मह उत्सवो यत्र, बहुम्री । कामराज-१ कालिकामक्त कौण्डिन्य मुनिकृन्चोडव कामदेवके उद्देश उत्सव का दिन । चैत्री पूर्णिमा श्रीधररानके पुत्र । इनके पुत्र मातुल ये । (सधादिषक इस उत्सवका निर्दिष्ट समय है। १॥३१) २ कैवख्य-दीपिका-प्रणेता माट्रिके प्रति- काममालिका (सं• स्त्री०) मद्य विशेष, एक शराच । पालक। ३गोपालचम्यू-प्रणेता जीवराजके पितामह । काममाली (सं• पु०) गणेश । इनके पुत्र अर्थात् जीवरानके पिताका नाम ब्रजराज काममुद्रा (सं० स्त्री.) तन्त्रशास्त्रीता एक मुद्रा। था। फिर इनके पिताको श्यामराज कहते थे। काममूढ़ (सं• वि.) कामन मूढः, ३-तत् । कामको | कामराज दीक्षित-काव्येन्दुप्रकाय, ऋहारकतिकाकाव्य ..पौड़ासे हित पौर पहितको विवेचना न रखनेवाला, प्रभृतिक प्रणेता। जो शश्वसके जोरसे अन्धा बन गया हो। कामरान् मिर्जा-बादशा वावर शाहके श्य पुत्र और काममूत (वै. त्रि.) कामन मूतः मूच्छितः, काम बादशाह हुमायूंक भ्राता। १५३० ई० को सिंहा. मव-त छान्दसत्वात् इट् प्रभावः जट्च। १ काममूर्छित, सनारूढ़ होने पर हुमायूँने इन्हें कानुन, कन्दहार, शहबतसे गश खाये दुधा। २ अत्यन्त कामपीड़ित, गजनी पौर प्रचाबका राज्य सौंपा था। किन्तु शावतके जोरसे बड़ी तकलीफ पाये हुवा। १५५३ ई. को काबुल में हुमायूँने इनको पांखें नश्तरसे काममोदी (सं• स्त्री० ) कस्तू री, सुश्क । छदवा कर निकलवा चौं। कारण इनोंने राज्यका काममोहित (सं० त्रि.) कामेन कामनरत्या मोहितः, प्रबन्ध बिगाड़ बड़ा गड़बड़ किया था। पांखोंमें ३-सत्। १ कामको पीड़ासे हित और अहितका नोवूका रस और नमक पड़ते समय इनोंने कहा- जान न रखनेवासा, अहवतके जोरसे अन्धा बना 'हे परमेखर। मैंने इस संसारमें जो पाप कमाया, २ सुरतासायावत-परस्त । उसका यथेष्ट फल पाया है। अब परलोकमें मेरे "मा निवाद प्रतिष्ठा लमगमः भाववीः समाः। ऊपर कृपादृष्टि रखिये। अन्त में इन्हें मजानको यत् कोचमिव मादिकमवधीः काममोहितम् ।" (रामायण) पाना मिली थी। वहां यह तीन वर्ष रहे और कामयमान (सं.वि.) काम-पिङ्-थानच् । कामुक, १५५६ ई. को अपनी मौत मरे। इनके तीन कन्या खामियमन्द। और पदुल कासिम मिर्जा नामक एक पुष चार कामयान सं.वि.) काम-णिड्-शानच् मुगभावः सन्तान रहे। १५६५ ई. को पकबरको पानासे आगमशास्त्रस्य अनिस्यत्वात्। कामुक, खाहिशमन्द । पबुल कासिम मिर्जा ग्वालियरके किसे में कैद किये पौर मारे गये। कामायामा (सं. स्त्री.) गर्भिणी, हामिया, जिसके पेटमें सड़का हे। कामरिपु (सं• पु.) १ शरीरमश रिपुके मष प्रथम रिपु। अभिसाप पौर श्रीसम्मोगादि इसका कामयाब (फा• वि.) सफल, नसीबा पाये हुवा। कार्य है। २.भिव।.... कामयाबी (फा. सी.) सफलता, मक्सदवरी, बामरी (सि.) बम, बामरी। बासबाता।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४२९
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।