काफिर बापोतासन (सं. ली. ) कपोतं तत् अननन्नेति, भारतका वहिर्वाणिज्य रहा, उसी समय परबोंके साथ कर्मधा । मौवीराचन, सरमा। काफिरोंका यहां भगमन वा। अफगानों, मुगक्षों कापोति (सं.वि.) कपोतस्य इदम्, कपोत-इन् । और तुकोंके साथ भी अनेक पाये हैं। काफिर यहां कपोत सम्बन्धीय, कबूतरके मुताल्तिक । पा और क्रमशः विशेष प्रश्रय पा शेषको किसी किसी काप्य (सं० पु.) कपेर्गोवापत्यम् कपि-धब् । १ कपि स्थानमें राजा तक हो गये हैं। ऋषिके वंशीय, भारिस। २ वानर बंशीय, वन्दरसे पानकल उत्तर कनाईके दाण्डिली जिलेके पार्वत्य पैदा होनेवासा । (लो०) ३ पाप, गुनाह । प्रदेशमें काफिरोंका वास अधिक है। बम्बई उपत्रके काप्यकर (#० पु.) कुत्सितं पाप्यं काय पापं जंजीरा नामक स्थानमें 'हवों या "सौदी जातीय करोति, काप्य-क-ट। १ खक्कत पाप प्रकाश करनेवाला, राजा है। वह राजवंश प्रवसोनियाके काफिरोसे जा अपना किया हुमा गुनाह कह डालता हो। (त्रि.) उतपन्न है। खुष्टीय १८ शताव्द पर्यन्त पबसीनियाके २ पापकारक, गुनाहगार। काफिर भारत-उपकूलमें जलदस्य का व्यवसाय काप्यकार (सं० पु०) काप्य करोति, काप्य-क-प्रण। उठा निकटवर्ती सागरमें घमा करते थे। खुष्टीय १५श १ पाप करके प्रकाश करनवान्ता, जो गुनाह करके कह और १६ शताब्दको विजयपुर में पादिर शाहो तथा डालता हो। २ पापको स्वीकृति, गुनाहको तसलीम। निजामयाहो वंश राजत्व करता था। उसके अधोग ३पापकारक, गुनाहगार । काफिर पुररची सैन्यशेणोमें नियुक्त रहे। सिन्धु काप्यायनी (सं० स्त्री०) कपेगावापत्यम्, कपि-यज । प्रदेश, तानपुरके प्रमौर एक दर काफिरोंका सैन्य फक्-डीए । कपिवंशीया, कपिके वंशको औरत । रखते हैं। कर्णाटकके नवाबके पास भी काफिर दास काफरी (हि. स्त्री.) किसी किस्मका मिर्चा। रहते हैं। कर्णाट केसास और मकरान नामक इसका श्राकार चपटा गीत और वर्ष पीत होता है। स्थानमें बहुत काफिर है। फिर निजाम राज्यमें काफल (सं० पु.) कुत्सितं फलं यस्य, कोः कादेशः । निजामके नियमित सैन्यके मध्य उनकी संख्या कुछ कटफल वृक्ष, कायफक्ष। पधिक है। भारतके अन्य प्रदेशोंमें भी मुसलमानोंके काफ़िया (अ.पु. ) अनुप्रास, तुक । अनुप्रास जोड़नेको साध काफिर फैन पड़े। पहले मुसलमान नवाबोंक काफियाबन्दो कहते हैं। अधीन वह पुररची मैन्यदनमें नियुक्त रहते थे। काफिर (फा० वि०) १ मूर्तिपूजक, बुतपरस्त । नगगदिकी शांति रक्षा उनके हाथमें यो। उनको २ नास्तिक, ईखरको न माननेवाला। रमणियां भी नवाबोंके अन्तःपुरमें दासी थीं। नवाबों बेरहम। ४ दुष्ट, पाजी। ५ काफिरस्तानका रहने- अनुकरणसे हिन्दू जमीन्दार और राजा पुररचाको वाला। (पु.) ६ अफरीका का एक मुल्क । काफिर नियुक्त करते थे। बोध होता कि काफिरों को काफिर-एक नाति। अफरीकाके दक्षिणस्थ काफ- बड़े विखामी, प्रभुभक्त और बलिष्ट समझ कर ही उस रिया नामक स्थानके अधिवासी ही काफिर हैं। कायका भार दिया जाता था। किन्तु सूदानके दक्षिणदिग्वों समुदाय अफरोवावासी पूर्व-भारतीय दीपपुत्र और दक्षिण एशियाके भी उसी नामसे पुकारे जाते हैं। आजकल अधिकांश अन्यान्य स्वनमें भी काफिरों का वास है। काफिर वांक स्थानों में वह देख पड़ते हैं। उपनिवेशी नहीं। वह सकल स्थान उनको आदिम वास- भारतवर्ष में भी काफिर हैं। उन्हें साधारणतः भूमि है। उस स्थान अफरीकाके काफिरोको वासभूमि- वशी कहते हैं। या सिर कर नहीं सकते के साथ समसूत्रपातमें रहनसे उन दोनोंके मध्य देवगत काफिर किस समय कैसे इस देश में प्राप'चे थे। पार्थक्यके सिवा अन्य कोई विभिनता देखनी पड़ती। फिर भी पनुमान पाता, जिस समय परबके साथ इससे दोनों खानोंके योग काफिर माने जाते हैं। ३ निदेय, ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३९३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।