कानाड़ा-कानिष्ठिक ३८१. नहीं है। पहले उसकी चतु:सीमा बता चुके हैं। मगनिस जिला दक्षिण कानाड़ाके पुत्तुर विभागसे उसके दक्षिणके कितने ही अंशका नाम मलयालम् 'मिलाया गया। उसी वर्ष कल्याणाप्पा सुबराय नामक (मलय) है। फिर मध्यांश तुलुब और उत्तरका कुक किसी सरदारने कुगैराशके पतनसे अंगरेजोंके विरुद्ध अंश कर्णाट कहाता है। अनेकोंके कथनानुसार अस्त्र धारण किया। पुत्तुरसे मङ्गलोर पर्यन्त विद्रोह कानाड़ा कर्णाट देशका नामान्तर है। किन्तु यह बात फैला था। उसके पीछे विद्रोही शासित होने पर ठीक नहीं। कर्णाट देखो। कानाड़ा प्रदेश दो भागों में बंट बम्बई और मन्द्राज दक्षिण कानाड़ेके उदीपो परगनेका उत्तर पर्यन्त | प्रेसीडेन्सी में मिल गया। दक्षिण कानाड़ाका भूभाग प्राचीन केरल राज्यके अन्तर्गत है। कहा जाता है प्रधान नगर मङ्गलोर, बन्तवाल और उदीपी है। कि परशुराम क्षत्रियविनाशके पीछे पाण्डा राजावाने उसमें प्रधानतः हिन्दू, पोर्तगीज, फरासीसी, अरब और जा उस स्थान पर अधिकार किया था। १२५२० तक अनाय लोग रहते हैं। हिन्दुवों में ब्राह्मणोको संख्या पाण्डधरान प्रवन रहे। फिर १३३८ई०को वह विजय- अधिक है। वह और कोड-पी नामक दो नगरराजके अधिकारमें गया। १५६८०को तालि- ! समाजोंमें विभक्त हैं। द्राविड़ोंसे उद्भूत ब्राह्मण शिवली कोटके युद्ध में विजयनगररानका पराक्रम खर्व हुवा | कहाते हैं। पौर बदनरके सरदारने स्वाधीनता पा बदनर राज्य उन्ध देशके अरब मोपला कहाते है। अनार्य स्थापन किया। उन्होंने कानाड़े के इनर नामक स्थानसे लोगोमें मलयकुदिराइ प्रधान हैं। वह जिस प्रणाली नौलेश्वर पर्यन्त अधिकार किया था। पीछे चेरकल कृषिकार्य करते, उसे 'कुमारी' प्रणाली कहते हैं। राजके साथ ईष्टइण्डिया कम्पनीका बन्दोवस्त हुवा। उत्तर कानाड़ाके मध्य हिन्दुवों में सुपारीके व्यव- उस समय सत प्रदेश शक्रराज्य कानाड़ाके नामसे सायो हारिक ब्राह्मण ही विख्यात हैं। मुसलमानों में लिखा जाता था। कानाडाका उत्तरांश तलुब प्रदेशक नाविक अरब बपिकों के प्रतिनिधि कहाते हैं। किन्तु अन्तर्गत रहा। १६१से ७१४ ६० तक वह कदम्ब वह अल्प संख्यक मिलते हैं। अफरीकासे पानीत राजापोंके अधिकारमें था। कदव देखो। पोर्तगीजोंकी कत दासियोंके गर्भजात मुसलमान सौदी फिर ७१४से १३३५ई. तक कानाड़ेका उत्तरांश नाम आख्यात हैं। उनकी श्रावति इस समय भी बन्नालवंशके अधीन रहा। बबाल देखो बहुत कुछ काफिरोंसे मिलती है। १७६३ई० को हैदरमलौने बदनूरक अधिकार काल कानाफूसी (हिं० स्त्री०) गुप्तकथन, धोरसे कही कानाड़ाके मध्य मङ्गलोर वासवुर लेने के पीछे मलवार जानेवाली बात। और समस्त जिला अधिकार किया। दो वर्ष पछि कानाबाती (हिं. स्त्री०) १ गुप्तकथन, कानाफसी। अंगरेज सेन्चने इनर और मङ्गलोर जा छुड़ाया था। २ बालक इंसानका एक कार्य। वालकके कर्ण में किन्तु अल्प दिन पीछे ही टीपू सुलतानने पुनरधिकार 'कानाबाती कानावाती कू' कहते 'कू' शब्द जोरसे किया। उसके पीछे १९८३-८४ई को टीपूसे अंग बोलते हैं। इससे बालक हंसने लगता है। रेनोंका दक्षिण कानाड़ेमें महायुद्ध हुवा। अवशेष कानावेज (हिं. पु०) वस्त्र विशेष, एक कपड़ा। यह १७६१ई० को वह सम्पूर्ण रूपसे अंगरेजोंके अधिकारमें सौंकियेसे मिलता-जुलता रहता है। पहुंच गया। कानि (हिंस्त्री०) १ मर्यादा, इज्जत । २ शिक्षा, सीख। १८३८ई०को कुर्गराजके साच्यग्रहण के समय | कानिद (हिं० पु० ) बांसको कमची। इससे खरादते अमर और सुलिय प्रदेशके लोगोंनि ख ख प्रदेश अंग समय हीरा पन्ना दवाया जाता है। रेज राज्यभुक्ता करनेको प्रार्थना की थी। १८३७६०को कानिष्ठिक (सं० लो०) कनिष्ठिका इव, कनिष्ठिका. दृटिशराज उनके प्रस्ताव पर स्वीकृत हुए। समग्र पण् । शर्करादिमीऽण् । पा ५॥ ३॥1601.कनिष्ठिका सदृश्य। Vol. 96 IV.
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