पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३४२

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काठियावाड़-काणभूति बाजरा और गेई अधिक होता है। लिमवडी और | काठो (हिं. स्त्री.) १ पर्याणविशेष, एक तरहका काठियावाड़के पूर्वीय समुद्र तटकी भूमिमें खादं डालना जीन। इसमें काष्ठ लगता है। २ डोलडौल, ढांचा। नहीं पड़ती। इनदी और मंग बहुत होती है। सौंचके ३ दियासलायो । ४ काठका म्याम । (वि०) ५.काठिया- लिये कई तालाब बनाये गये हैं। वाड़ सम्बन्धीय। कठियावाड़में घोड़े बहुत अच्छे होते हैं। गौरको काठू (हिं० पु० ) वृक्षविशेष, एक पौदा। यह कूटूसे गाय भैंसें बड़ी दूध देनेवाली हैं। भेडीका अन, रूई मिलता है। हिमालयक पल्प शीत स्थानमें इसकी और अनाज वाहर भेजा जाता है। कृषि की जाती है। काठूका शाक भी बनता है। गोरम १५०० वर्गमौलका जंगल है। बांकानेर | कठिरणि (सं० पु.) एक ऋषि। और पंचाल, जंगलके लिये भूमि निर्धारित की गई | काठरणीय ( स० वि०) काठरणरिदम्, काठेरणि-छ। है। भावनगर, मोरवी, गोंडाल और मानावडारमें काठरणि ऋषि सम्बन्धीय। बबूल नगा है। भावनगरमें छोहार और आमके | काठों (हिं. पु० ) धान्यविशेष, किसी किस्म का धान । बाग़ बनाये गये हैं। यह पसाबमें उपजता है। काठियावाड़में पत्थर अच्छा होता है। प्रधान काठोडम्बर (सं० पु. ) काठडुबरिका, कठगुलर । धातु लोहा है। पहले बरहा और खमभालियाम काड (पु०%3D Cod ) मसाविशेष, एक मछली। बोधागलाया जाता था। पोरबन्दरके निकट जी यह उत्तर-समुद्रमें रहता और न्यूफाउण्डलेण्डके पत्थर निकलता, वह मकान बनानेके लिये वम्बई में किनारे पधिक मिलता है। पमेरिकाके युक्त राज्यमें बहुत विकता है। नवानगरके पास कच्छकी खाड़ीसे घटलारिटक महासागरके तौर भी एक प्रकारका पच्छा मोती निकलता है। कुछ मोती भेराई और 'कार्ड होता है। यह ममा तीन वर्षमें बढ़ कर 'चांचके पास जनागढ़ और भावनगरमें भी मिलते हैं। पूरा निकलता है। इसका देध्यं ६ फीट और मांगरोल और सोलमें कुछ लाल मूंगा होता है। परिमाण से सेर तक रहता है। काडका मांस काठियावाडका देश धनी है। रूईका कपड़ा, बलकारक है। इसके कलेजेका तेल ( Cod liver चीनी और गुड़ बाहरसे मंगाते हैं। सड़के भी कई oil ) निबंच मनुष्यों को खिलाते हैं। बना ली गयी है। १८६५ ई० को यहां कोई सड़क | काढना (हि: कि०) १ खींचना, निकालना।२ प्रकाश न थी। करना, देखाना । ३ चित्रकारी करना, वेलबूटा बनाना। १८८० ई० को देशी राज्यों के व्ययसे यहां रेत ४ ऋण लेना, कुन करना। ५ पकाना, उतारना, बम्बई-वडोदा मध्यभारत-रेलवेको कम्पनी छानना। २८८२ ई०की पहले पहल काठियावाड़में रेल ले काढ़ा (हिं. पु०) वाय; जोशांदा, उबालो हुयी दवा । काण (संपु०) कणति एक चक्षुनिमोनति, कण-धञ्। १८१४-१५ ई० को यहां बड़े बड़े लाखों चूहे १ काक, कौवा । (वि.)२ एक चक्षुविशिष्ठ, काना, 'निकल पड़े थे। उन्होंने फसन्चको बड़ी हानि जिसके एक ही पखि रहे। पहुचायो। १८८८-१८०२ ई०को काठियावाड़ में काणकपोत (सं० पु.) कपोतभेद, एक कबूतर घोर दुर्भिध पड़ा था। यह कंषाय, स्वादुम्नवण और गुरु होता है। (मुयुत) १८२२ ई०से बम्बई गवरनमेण्टके प्रधीन पोन्निटि- काणत्व (म. क्लो) काण होनका भाव, कानापन । कल एजण्ट काठियावाड़ शासन करने लगे। कापभाग (संपु०) विभाग, शर हिस्से में तीन हिस्सा -१९०३ ई.को उन्हें गवरनरके एजण्टका पद मिला। काणभूति (सं० पु०) पिशाचरूपी एक यक्ष । यहां सैकड़ों प्रस्मताल खुले हैं। कुवेरके एक अनुचर रहे। नाम सुप्रतीक था। स्यूच- चली। गयी थी। यह