लगती है। ४ वंधावा काजूत-काश्चनपछी भूनकर खानेसे इसकी मौंगी बहुत पच्छौ । काञ्चनकारिणी (सं. स्त्रो० ) काञ्चनं बहुमूलेन बन्धन काजूको लकड़ो लाल, कुछ कुछ कड़ी और दाने- काञ्चनचौरी (सं० स्त्री०) काञ्चनमिव चौरमस्याः, करोति, काश्चन-क-णिनि-डोप । असमूली, सतावर । दार होती है। ब्रह्मदेशवासी इसे सन्दुक तथा नाव बहुब्रो०।१ स्वर्णक्षौरिणी क्षुप, एक प्रकारको खिरनी। बनाने में लगाते हैं। २चोरिणी, खिरनी। ३ यवतिया, एक बूटी। इसका काजूत (सं. पु०) क्षुपविशेष, एक झाड़। महाराष्ट्र | दुग्ध पोत पौर पत्र बहत् होता है। देशम इसे 'जांवों' कहते है। यह मधुर, उष्ण, लघु, किसाको गेरू। ४ कष्ट, किसी धातुहिकर और वात, कफ, गुल्मोदर, ज्वर, कमि, | काञ्चनगिरि (सं० पु०) काचनमयो गिरिः । १ सुमेक व्रण, पग्निमान्य, कुष्ठ, खेतकुष्ठ, संग्रहणी और प्री- पर्वत । २ स्वर्ण निर्मित क्वत्रिम पर्वत, सोनेका बनाया नाशक होता है। हुधा पहाड़। यह दान करने के लिये बनता है। काजूभोजू (हिं० वि० ) देखाऊ, कार्यमें न आनेवाला। काञ्चनगुड़िका ( सं० स्त्रो• ) पौषध विशेष, एक दवा । कावज (सं० ली.) कालवण, मौचर नोन । त्रिफला प्रत्येक एक एक तोलेके हिसाबसे ३ तोला, काञ्चन (सं• पु. ली.) काचते दीप्यते, कचि-त्यु । त्रिकटु प्रत्येक दो दो तोलेके हिसावसे ६ तोला, १ स्वर्ण, सोना। २ पुद्रागपुष्य, मुलतानी चम्पा। रक्षकाञ्चन (लाल कचनार) को छान १२ तोला और ३ पद्मकेशर, कंवलको धल। धन, दौलत। सबके बराबर गुग्गु लुडान गोली बनानेसे यह भौषध ५ नागकेशरका पुष्य । ६ दीप्ति, चमक। ७ बन्धन, प्रस्तुत होता है। इसके सेवनसे गण्डमाला और ८ उदुम्बर, गूलर। ८ धुतूर, धतूरा। गलगण्ड रोग दव जाता है। (रसरवाकर) १. सम्पत्ति, नायदाद। ११ पुरुरवा वंशीय भीमके काञ्चनगैरिक (स' की.) सुवर्णगैरिक धात, सोना एक पुत्र। "मोमन्तु विजयस्वाथ काधनी वकस्तथा।" (भागवत ८१२) कांचनचक्क (सं.ली.) बौद्यशास्त्र मतसे पृथिवीका १२ पञ्चम वुद्ध। १३ नारायणके एक पुत्र । मध्यभाग (दिव्यावदान १८1८1८) १४ धनञ्जय-विजय नामक ग्रन्यके प्रणेता। १५ वृक्ष. विशेष, कचनारका पेड़। इसका पुष्य पीत, रजा और काञ्चनचय (स० क्लो०) काञ्चनस्य चयः राशिः, इसत् । स्वर्णराशि, सोनेका ढेर। खेत भेदसे विविध है। रक्ष पुष्पका संस्कत पर्याय- रवपुष्य, कोविदार, युग्मपत्र एवं कुण्डन पौर खेतका काञ्चनजा-पूर्व हिमालयका एक अत्युच्च शृङ्गः। यह सिकिम और नेपालको प्रान्तीय सीमा प्रचा. २०४२ पर्याय-काञ्चनाल, कर्बुदार तया पाकारि है। भाव- ५और देशा० ८८ १९ २६. पू. पर अवस्थित है। प्रकाशके मतसे यह शीतल, ग्राही, कषाय, भपित्त, धवलगिरिको छोड़ इतना बड़ा शृङ्ग जगत्में दूसरा . कमि, कुह, गुदभ्रंथ तथा गण्डमाला रांगनाशक होता है। नहौं। यह २८१७६ फीट ऊंचा है। यह गृङ्गः १६ हरिताल। गोखामोस्थानसे ६५ कोस पूर्व रहते मानी नेपालको काश्चन संज्ञायां कन्। काञ्चनक ( सं० को०) पूर्व मीमाको वचाता है। यह निरवच्छिन तुषारावत २ धान्यविशेष, एक धान। ३ काञ्चन रहता है। सूर्योदयकाल दूरसे ठोन काचनकी भांति हक्ष, कचनार। काञ्चनकदली (सं० स्त्री०) काञ्चनवर्षा कदली, मध्य- देख पड़ते यह शूज 'काञ्चनजङ्घा', 'काञ्चननि, पदलोंपों कर्मधा०। १ चम्पा केला। २. कदली- 'काश्चनशृङ्ग और किसी किसी संस्कृत पुस्तकमें 'कानाद्रिनामसे अभिहित है। विशेष, एक केला। कामकन्दर (सं• पु.) काननस्य कन्दरः, ६-तत्। काचनपत्रिका (स. स्त्री० ) अष्णमुषली, कासीमूसर । मणको खनि, सोनेको खान । कामपनी-बात प्रान्तके चौबीस परगनका एक मिट्टी। // १ हरिताल। .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३२९
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