- फल। A २८. काथरि-कास गड़ा हुवा काठ वा प्रस्तरखण्ड, - नमोन्में गड़ा हुवा | कांधर (दि. ० ) कृष्ण, कान्हा। लकड़ी या पत्यरका टुकड़ा। इसमें अन्न कूटनेको कांधा (हिं.पु.) १ स्कन्ध, कान्या । २ कृष्ण, कान्हा । गत रहता है। ३ हस्तिोगविशेष, शायौको एक कांधी (हिं. स्त्रो०) स्कन्ध, काँध । बीमारी। इससे परके तलवे में एक बड़ा व्रण पड़ जाता कोप (हिं. स्त्री०) १ तौबी, पतली छड़। यह बांस और हाथी चलने फिरनमें बड़ा कष्ट पाता ब्रम या किसी दूसरे चौलको रहती और लचानसे झुक क्षुद्र क्षुद्र कमि होते हैं। ४ काठदण्डभेद, लकड़ीका पड़ती है। २ कनकौवेकी पतली नोनी। यह कमानको दण्डा। इससे गुरुमार द्रव्योको चढ़ाते, उतारते और तरह झुका कर कनकौवेक अपरी हिस्से पर लगायो इटाते हैं। ५ लङ्गड़की डांड़ी। यह मुड़ें हुये अंकुड़ो जाती है। कनकौवा क्षत्रियानसे इसमें कत्रा वंधता है। पर रहती है। 4 वंश वा कासरह विशेष, बांस ३ शूकरका कांटा या खांग। ४ स्तिदन्त, हायोदति । या लकड़ीका एक लहा। यह पतला तर मेरेधा रहता ५ कर्णालङ्कार विशेष; कानका एक जेवर, यह मादी और मकाम्के छब्लों में लगता है। इससे दूसरे काम और जड़ाऊ दो तरहको होती है। कांप मोनेको भी निकालते है। ४ काह, लट्ठा। ५ रठा, अरहरको रहती और पत्रकके प्राकार बनती है। स्त्रियां एक मुली लकड़ी। ६ दियासलाई। ७ मत्स्यसमूह माथ पांच-पांच सात-सात क पपने कानों में डाल मछलियोंको टोली। लेती हैं। यह धका लगर्नसे हिल उठती है।। करन- काथरि (हिं.) कन्या देखो। ७ कलईका चुना। कंपकंपी। कदिना (हिं० कि०) रोदन करना, चीख मारना, कांपना (हिं. कि.) कम्पित होना, थरथराना। फूट फूट रोना। २ भय करना, डरना। कांदव ( (हिं. पु० ) कईम, कीचड़। कांपिल: (हि.) काम्पिय देखो। कांदा (हिं० पु.) १ कन्दली, एका पौदा । यह कांयकांय । (हि.स्त्री०) काका शब्द, कौवेकी बोडी। प्याजकी भांति न्यिविशिष्ट होता है। पत्रक प्यासे कांव कांव (पु.) काय काय देखो। कुछ प्रशस्त रहते हैं। कांदा सरोवरोके निकट उपनता कांवर (हिं. स्त्रो.) १ वहंगी, बांसका मोटा फटा। है). वर्षाका बल मिनने पत्र निकलते हैं। इसके दोनों किनारे ट्रव्यादि.रखनेको छौके कंगा देते- बेतवणं रहते हैं। उन पर रावणं पांच-छह खुड़ी २ यात्रियोंके गङ्गाजल से जानेका यन्त्र। यह रेखायें पड़ जाती है। रेखावों के प्रान्त भागपर अर्ध एक ढपड़ा होता है। किनारों पर बासकी दो टोक- चन्द्राकार पीतवर्ण चिन्ह होते हैं। कादिक डलसे माडी रियां बांध दी जाती हैं। बनती है। इसका प्रपर नाम कंदरी वा कंदली है। कांवरा (हि०वि०) उदिन, घबराया हुवा। . कांवरि, कांस देखो। २प्याला कांदू (हि..पु.) कंदोयो, बनियाँको एक जाति । कांवरिया (हिं.पु.) कांवर ले जानेवाला। यह इसवाईका काम करते हैं। कांवर (हिं.पु.) १ कामरूप । . काप देखो।.२ कमल रोग, एक बीमारी। कांदो, कोदव देखी। काध (हिं. पु०) १ स्कन्ध, कन्धा । २ कोलहका कावारथो . (हिं. पु. ) एक तीर्थयात्री। यह अपनी एक हिमा। यह यतस्त्रा रहता और नाठमें मुखौके कामनाके लिये कांवर ले तीर्थयात्रा करता है। कांधि (वै.पु.) कसे भवः, कंस बाहुनकात् इन अपर पड़ता है। वेद पोदरादिवार सस्य शत्वम्। कांस्त्र, कांयकार कांधना (हिं० क्रि.) १ कन्धे या शिर पर रखना, उठ २ नाधना, मचाना) ३.स्वीकार करना कम (हिं.).काग देखो। मामना। ४भार सहन करना, बोझ उठाना। 1 - .. प्याला। कोशनीच, कास्नील देखो। .
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२७९
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