२२४ कलिविक्रम-कलेज कलिविक्रम-दक्षिणापथके एक प्राचीन चालुक्य राना। सावरी मन्त्रमें लगती है। यह जादू टोनेके प्रधान इनका अपर नाम त्रिभुवनमल वा विक्रमादित्य (४थ) देव हैं। था। यह प्राइवमल्लके पुत्र रहे। इनके राजत्वका कलुष (सनी) के मुखं लुषति हिनस्ति, क-लुष्- काल संवत् २०७-१०४८ था। अण् कल-उषच् वा । पुनधिकलिभ्य उषच । - उप ४ । ७५ । कलिविष्णुवर्धन-पूर्व चालुक्यराज विजयादित्य नरेन्द्र १पाप, गुनाह। २ मलिनता, मैलापन। “विगत- मृगराजके पुत्र। इन्होंने डेढ़ वर्ष राजत्व किया। कलुषमम्भः शालिपक्का धरित्री।" (ऋतुस हार) (पु.) कस्य कलिवृक्ष (म० पु.) कलेराथयरूपो वृक्षः, मध्यपद जलस्य लुषः हिंसक श्राविकलकारकः, क-लुष-क । चो। विभौतक वृक्ष, बहेड़ेका पेड़। ३ महिष, भैसा। ४ मण्डलिस। ५ क्रोध, गुस्मा । कलिसंश्रय (सं० पु०) कलेः संश्रयः आवेशः, ६-तत्। (त्रि०) बद्ध, बंधा हुवा, जो बहता न हो। १शरीरमें कलिका प्रवेश, पापमें पड़नेको हालत । ७ निन्दित, बदनाम, खराब। ८ कषायिस, कसैला। २ कलिको आकृति, गुनाहको सूरत । 2 दुःखित, अफसुर्दा। १० क्षुब्ध, घबराया हुवा । कलिहारी (सं० स्त्री०) कलिं हरति, कलि ह.अण् ११ असमर्थ, नाताकत। डोष्। नाङ्गली, करियारो। करियारो देखो। "भाराववीधक लुषा दयितेव रावौ।" (रघु श६४) कली (सं० स्त्री०) कलि-डीप। कलिका, गुच्चा । कलुषता (सस्त्री०) १ मलिनता; मलापन।२ अन्ध- कली (हिं० स्त्री०) १ अक्षतयोनि कन्या, बाकरा। कार, अधेरा। ३ क्षुब्धता, घबराहट। २ पक्षीका नया पर । ३ वस्त्र विशेष, एक कपड़ा। कलुषमन्जरी (सं० स्त्री० ) जिङ्गिनी, मजीठ। यह तिकोनी कटती और अंगरखे, कुरते, पायजाम | कलुषयोनि (संवि०) वर्णसङ्घर, दुल्फेहराम, दोग़ला । वर्गहमें लगती है। ४ हुक्के के नीचेका हिस्सा। कलुषित (स० वि०) कलुषमस्य.सञ्जातः, कलुष- इसमें गड़गड़ा लगता और पानी रहता है। ५ वैष्णवो इतच । १ पापयुक्ता, गुनाहगार। २ दूषित, खराब। का एक तिलक । ६ कलई, पत्थर या सोपका फका ३ मलिन, मैला। ४ कषायित, कसैला। ५ बक, दुवा टुकड़ा। इसीसे चूना बनता है। बंधा हुवा। ६ दुःखित, रजोदा। ७ क्षुब्ध, घबराया कलौंदा (हिं० पु०) तरम्बुज, तरबूज । हुवा। ८ असमर्थ, नाताकत। कलील ( (अ० वि०) पल्प, थोड़ा, कम । कलुषी (सं० वि०) कलुषमस्यास्ति, कलुष-दनि । कलीसिया (हिं. स्त्री०) ईसायियों या यहदियोंकी १ पापी, गुनाह करनेवाला। २ मलिन, मैला रहने- धर्ममण्डली। यह यूनानी ‘इकलीसिया' शब्द का वाला। अपभ्रंश है। कलूटा (हिं०वि०) अत्यन्त कृष्णवर्ण, निहायत काला। कलु (सं० पु०) गरुड़शालि, किसो किस्मका धान । कलना (हिं• पु.) स्थूल धान्य विशेष, एक मोटा कल-आसामके गारो पर्वतको एक नदी। यह तुरा धान । यह पञ्जाबमें होता है। नामक स्थानसे निकल ब्रह्मपुत्र नदमें जा गिरी है। कलतर (सं० पु०) देशविशेष, एक मुल्क। कलेज (हिं०.०) भोजन विशेष, एक खाना । कलुक्क (सं० पु०) वाद्यविशेष, एक बाजा। कलुक्का . (स. स्त्री०) १ शुण्डा, शराबखाना। यह लघु रहता और प्रातःकाल जलपानके समय चलता है। विवाह होते समय वरका एक भोजन। २ उस्का, उत्यात, शहाब-साकिब, टूटता तारा। यह पाणिग्रहण होनेके तीसरे और चौथे दिन सध्या कलुख (हिं०) कलुष देखो। कलुखाई (हिं०) कलुषता देखो। समय किया जाता है। विवाह में प्रथम दिवस पाणि- कलुखी (हिं० ) कलुषों देखो। खाने वरपक्षीय लोग जाते हैं। तीसरे और चौथे कलुवावीर (हिं. पु.) देवताविशेष। इनको दोहाई . . ग्रहण होता है। दूसरे दिन रात को कच्ची रसोयो
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२२३
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