कलका-कलम यानाता। कलफा (हि.स्त्रो०) देशीय दारचीनोकी त्वक् या और नर्मदा नदी मध्यवर्ती पर्वतका एक गमीर कन्दर 'छाल। यह मलवर में उत्पन्न होती है। चीनको दार चीनीको सुलभ बनाने के लिये इसे मिला देते हैं। कलम (सं० पु.) कलयति पक्षरं जनयति, कल. कलव (हिं. पु.) एक रंग। यह टेसूके फल उबा. पिच-अम। । कलिफोरमः। उप ४८४ । १ लेखनी, लिखनेका लकर बनाया जाता है। फिर इसमें कत्था, लीव औजार। इसका संस्कत पर्याय-लेखनी, वर्णतुली और चूना डास्त अगरई रंग तैयार करते हैं। और अक्षातुलिका है। २ शालिधान्य विशेष, किसी ‘कलवल. (हिं. पु.) १ उद्योगउपाय, जोड़ तोड़, किस्म का धान । राजवन्नभक मतसे यह कवायरस, दांवपेंच। (स्त्री०) २ कोलाहल, हल्ला-गुला। (नि.) चक्षुके लिये हितकर और रख दोष तथा त्रिदोषनाशक ३. अस्पष्ट, साझ समझ न पड़नेवाला। होता है। काश्मोरमें इसे महातण्डल कहते हैं। कलबीर (हिं. पु.) चविशेष, एक पेड़। यह ४ वाद्ययन्त्रविशेष, एक बाजा। आकारमें लेखनीसे हिमालय पर उत्पन्न होता है। इसका मूल रेशम मिलने के कारण ही यह कलम कहलाता है। ईरान, पर पीत वर्ण चढ़ानेमें गता है। कलबीर भांगके अफगानिस्तान और यूनान प्रभृति देशमें इसका पौदे मिलता-जुलता रहता है। नाम कलम ही चलता है। एक मुख कलमको कलवूत (हिं. पु.) १ उपष्टम्भ, कालवुद, सांचा। भांति कतित और अपर मुख अन्यान्य वंशोकी भांति २ जता सौनेका ढांचा। यह काष्ठमय होता है। अनावह रहता है। दैर्घ्य अपेक्षाकृत अल्प लगता ३ चौगोशिया या अठगोपिया टोपी बनानेका ढांचा । है। तारके रन्ध सात होते हैं। कलम सरल भाषसे यह मट्टो, लकड़ी या टानका होता है। इसे गोलम्बर वजाया जाता है। फकनेको जगह सहनायोको और कालिब भी कहते हैं। भांति एक छोटा नत लगता है। कलम (सं० पु.)कलेन करण शुण्डेन, भाति कल कलम (प्र. पु० स्त्रो०) १ लेखनी, लिखने का एक भा-क यहा कच-प्रभन्। पश्यलिलिगतिभ्यो ऽमच् । उण औज़ार। यह सरकण्डेकी छड़ काट कर बनायो २१२२॥ १ पञ्चवर्षपर्यन्त करिथावक, पांचवर्ग तक जाती है। अंगरेजी कलम लकड़ीके दस्तेम लोहेकी हाथोका बच्चा। इसका संस्क त पर्याय-करिगावक, नीम लगाने तैयार होती है। २ वचकी एक शाखा, व्याच और दुर्दान्त है। २ इस्ति मात्र, हाथी । पेड़को कोयी डाल। यह काट कर दूसरी जगह "सदा रमन्ने कलमा विकवर।" (माघ) ३ उप ऊंट । लगायी या दूसरे पेड़में मिलायी जाती है। ३ कलमो ४ धुसूरवक्ष, धत्रका पेड़। पौदा। ४ धान्य विशेष, जड़हन। इसे पहले किसी कलभवल्लभ (सं० पु.) कलमस्य हस्तिशावकस्य खेतमें वो देते, फिर उखाड़ कर दूसरी जगह लगा वल्लभः प्रियः, ६ तत्। पौलुवक्ष, पीलूका पेड़। इसे लेते हैं। ५ कनपटीके बाल। यह बनाने में छोड़ थीका बच्चा बड़ी सचिसे खाता है। दिये जाते हैं। वाद्यविशेष, किसी किस्म को बांसुरी। कलमवल्लभा (स स्त्री०) पिको, कोकिला । इसमें सात छिद्र रहते हैं। ७ यन्त्र विशेष, बालोंको कसभाषण (सं० लो०) वालालाप, बच्चों को यावागोयो। कूची। यह चित्र बनाने या रंग चड़ानेके काम आती या बातचीत। है। ८ काचखण्डविशेष, शीशे का एक टुकड़ा। यह कलमी (सं० स्त्री०) के जलं पाश्रयतया लभते, क लम्बी रहती और झाड़में लगती है। ८. शोर नौ- लभ: अच् गौरादित्वात् डी । चञ्चु क्षुप, चेचका पौदा । सादर वगैरहका जमा दुवा लम्बा टुकड़ा। कलभैरव (. पु०) कलं भैरवय, कर्मधा। रवादार होता है। १० फुलझड़ो। ११ कारकार्यका १ भयङ्कर भव्यक्त शब्द). समझ न पड़नेवाली खौफनाक यन्त्रविशेष, बारीक नकाशी करने का एक औज़ार। भावाज । "मुदितः बभैरवः ।। (माध) २ तातोइसे मोनार या सतराय व्यवहार करते हैं। १२ अक्षर यह
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१९८
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