पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१८७

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१८८ कलकत्ता 1. पाइकाम, मानपुर तथा पमीराबाद चार परगन के । कर दमदमे जानकी राह पोल (श्यामबामार पोस)के बीच २० मौजे और दो बाजार दे डाले। फौजदा पाददेश पर्यन्त। पूर्व सीमा-मराठा खातके पविम रोका काम भी अङ्गारेज ही करते थे। मौनोंके नाम किनारे अथवा उसके पार्श्वस्थ मार्गके पूर्व किनारे यह हैं,-१ गोविन्दपुर, २ मिर्जापुर, ३ चौरङ्गी, होकर, हारसी-वगानके उत्तरकोणसे उक्त खातके ४.धरन्द, ५ जेलेकोलन्द, ६ वेलेडांगा, ७ भानहाटी दक्षिण किनारे के पूर्वमुख, वहाँसे खातके उत्तर किनारे ८ सियालदह, ५ बाहरबिजौ, १० किसपुर पाड़ा, पश्चिम मुख, उक्त स्थानसे खातके पथिम एवं बैठक- ११ बाहर श्रीरामपुर, १२ सूतानुटी, १३ हुगलकुड़िया, ख़ाना राइके पूर्व किनारे दक्षिण पोर मराठा १४ शिमला, १५ माखन्द, १६ पाडिङ्गो, १७, डिही | खातको शेष सीमा होकर राजा रामलोचन बाजारके कलकत्ता, १८ दक्षिण पाइकपाड़ा, १५ बोरामपुर| कोने अथवा नारायण चाटु- सड़कको ठीक विपरीत और २० मलङ्गा खालसेका मध्यवती गणेशपुर । पोर वेलेघाटाको सड़क जाने तक। फिर मिर्जापुरके दोनों बाज़ार-१ सूतानुटी बाजार और २ गोविन्दपुर | बीच बैठकखाना सड़कके पूर्व किनार होकर पौर बाजार थे। पोतुगीजोंके गोरस्ता नको पूर्वदिक् छोड़ बैठकखानेके उपरोक्त ग्रामसे कई मराठा-खातको सीमाम | प्राचीन सुविख्यात वृक्ष तक, अर्थात बहबाजाररोड और कई उससे १२०० हाथके बीच रहे। किन्तु उस और बैठकखाना बाज़ारको विपरीत और सड़क समय लोग साधारण बातचीतमें मराठा-खातको | दोनों पार्श्व बैठकखाना राइके पूर्व किनारसे गोपो- ही कलकत्ते की सीमा टहराते थे। फिर भी कम्पनीके | बाबूके बाजार और वहाँले सोधे चल उक्त राइको २४ परगना लेते समय मराठा-खातसे बाहर पड़ने पश्चिम मोड़ तक। वहां डिही श्रीरामपुर पूर्व तथा वाले उस स्थान कलकत्तेकी ही सीमामें रहे। उक्त | दक्षिण पूर्व छोड़ कुछ दूर आगे बढ़ने पर पूर्व सीमा सकल स्थान पौर दूसरी कितनी ही भूमिको कलकत्ते शेष हुयी है। कलकत्ते शहरके प्रोटेष्वाण्टोका तत् तथा २४ परगनसे विभिन्न रख डिही पञ्चावग्राम कालीन गोरस्तान, चौरङ्गी और डिही विजों इसी आजकल जो ग्राम कलकत्ते शहरके सौमाके अन्तर्भूत थी। दक्षिण सीमा-उक्त स्थानसे महले समझे जाते,वही पहले डिहो पञ्चावग्राम कहाते वाम दिक् धूम डिही विजों के अन्तर्गत बनियापोखर थे। १८५७ ई०को २१वें पाईनके अनुसार पचान या एंण्डियापोखर सीमारेखाके मध्य छोड़ परिमाभि- ग्रामको समस्त भूमि कलकत्ते में लगा ली गयी। फिर मुख चौरङ्गीके बड़े मार्गसे विपरीतदिक रसापागलाः उसका अति सामान्य अंश छूटा था. इसके समझ सड़कसे लेकर पुलिस थाने और साधारण अस्पतालके नेका कोई उपाय नहीं-किस समय कलकत्ते और मध्य मामून्ती सड़कको दक्षिण और थोड़ी दूर चल. पञ्चान्नग्रामके मध्य सीमा निर्धारित हुयो। किन्तु पुनार पश्चिममुख साधारण पस्पताल, पागलागारद- प्रश्न उठनेपर १९८४ ई०को १० वौं सितम्बरको गवर तथा डिही भवानीपुरके अस्पतालका गोरस्तान छोड़. नर जनरलने व्यवस्थापक-सभासे एक पाईन" निकाल अलीपुरके पाददेश पर्यन्त । यहांसे अलीपुर पुलके घोषणापत्र द्वारा कलकत्तेको सीमा ठहरायी थी। दक्षिण होकर टालो नाले (पादिगङ्गा)को उच्च संक्षेपमें उसका मम नीचे उद्धृत है,-. जलरेखाके विडतका फिर क्रमान्वय से भारी बढ़- उत्तर सीमा-भागीरथीके पश्चिम तौर बागबाजार खिदिरपुरके पुल होकर वेटनमा डक छोड़ पादि. वाले खालके मुखसे पुराने पावड़ेके मिल बाजार हो गङ्गाके मुख सक (जहां भागीरथीसे आदिगङ्गा मिलो है)। उता स्थानसे ठीक सामने चत्त नदोके Census Report of Calcutta, 1876 by Mr. Beverly, अपर वा पथिम पार जर किडवाले बाग दक्षिण- + 159th Section Cap: 52 of the Act passed in the 38 year of His Majesty's reign.

पूर्वकोण ( वा बाग पोर शिवपुरको गेड़) पर

बनाया गया। - .. .....!