२ कवूर-कबूं. १७५ १ खेतवर्ण, सफेद रंग। २. राक्षस, पादमखोर । । कर्षणो (सं-स्त्री०) कर्षण गौरादित्वात् डोष् । १क्षोरिणी- ३ चित्रवर्ण, चितकबरा रंग। ४ शटो, कचूर। चुप, खिरनीका पौदा। २ खेतवचा, सफेद बच । कवूर (सं० पु० ) कव-जर् । १ राक्षस, आदमखोर। कर्षणीय (म त्रि.) कर्षण छ। १ कर्षणके योग्य, २ शठी, कचर। खींचने लायक। कर्षण किया नानवाला, जिसे कहक-भारत के दक्षिणपश्चिमका एक जनशास्त्रोत खींचना पड़े। जनपद। (जैनहरिवंश ११६७४) कर्षणीया (सं० स्त्री०) काशपका वीज। कथन (सं० लो) क्रय युट् । कपकरया, दुबला कर्षफल (संपु०) कर्ष कर्षमान फलं यस्य, बहुव्री० । बनानका काम १ विभौतक वृक्ष, बहेड़ेका पेड़। इसका संस्मत कर्णफ (वै० पु.) राक्षस, पिशाच, प्रेत, शैतान । पर्याय-विभौतक, पक्ष, कलिगुम, भूतवास और कर्शित (सं० त्रि०) कश-णिच् । कधीलत, दुब कलियुगालय है। पईया देखो। लाया हुवा। २ भल्लातक वृक्ष, भेलावेंका पेड़। कश्यं (सं० पु० ) कश-यत्। कर्चर, कचूर । कर्षफला (सं० स्त्री.) कर्षफल-टाए। पामलक हवं, कर्ष (सं० पु०-लो०) वष पचायच् कर्मणि करणे वा पांवलेका पेड़। चामलशी देखी। घञ्। १ सोलह माषा परिमाण, १६० रत्तोको एक वर्षयत् (सं० वि० ) १ आकर्षण करते हुवा, तौल । २ तोलकदयात्मा परिमाणादिमान, दो जो खींच रहा हो। २ मोह लेनेवाला, जो फरफ्ता तोलेकी एक तौल। ३ दशमाषाको एक तौल । ४ धरण बना रहा हो। ३ पोड़न करनेवाला, जो सता दयात्मक ब्रीधादिमान, ८० रत्चीको एक तौल । रहा ५ विभौतकक्ष, बहेड़े का पेड़। ६ सुवर्ण, सोना। कर्षापण (सं० पु.) कर्षण प्रापण्यते कोयते, कर्ष- ७ आकर्षण, कथिय । कर्षण, जोताई। हलरेखा, पा-पण-पच । कर्षपरिमित मूल्यसे क्रय किया बाहन, लोक। १० विलेखन, खसोट । जानवाला द्रव्य । कर्षक (स० वि०) कर्षति भूमिम्. कप खुल । कर्षाध (सं० क्लो. ) कर्षस्य अर्धम्. ६-तत्। तोलक- १ कषिजीवी, किसान । इसका संस्कृत पर्थाय क्षेत्राजीव, कृषिक, कषीवल और कार्षक है। : २ प्राकर्षणकारी, काका (सं० स्त्री०) काशवीज । परिमाण, तीला। खींचनेवाला। .३ सुन्दर, खूबसूरत । (पु०) ४ अय- कान्तमणि, मिकनातीस। कर्षिणी (स स्त्री० ) कंष-णिनि-डोर । १ क्षीरिणी- कर्षण . (सं० लो०) वष भावे ल्युट्। १ कृषिकार्य, वृक्ष, खिरनीका पेड़। २ वला, लगामका दहाना। जीतायो । बाल प्रति हारा भूमिखननको ठेठ इसका संस्बात पर्याय-खलीन, कवीय और कविका हिन्दीमें खेती कहते हैं । २ भाकर्षण, कशिश, घसीट। है। ३ मनोहारिणो, दिल को फीता करनेवाती। ३ शोषण, सुखाव। ४ पौड़न, दवाव । "प्रापकान्तमधुगन्धकर्षियोः प्राणभूमिरचना: प्रियसखः । (रधु० ११) "शरीरमर्षणात प्राणा: पीयन्ते प्राणिना यथा । कर्षित (स. त्रि०) कष-णिच्-ता। तथा राधामपि प्राणाः धौयन्ते राष्ट्रकप पान" (मनु ४१२७) खींचा हुवा । २ नोता हुवा । ३ पीड़ित, सताया हुवा। शरीरकर्षणसे प्राणियों के प्राणको भांति राष्ट्र कर्षी (सं० वि०) कष-णिनि । १ पाकर्षक, खींचने- कर्षणसे राजाके प्राण क्षीण होते हैं। ५प्रसरण, वाला। २जीतनेवाला। ३ मनोहर, दिलकश। बढ़ाव, फैलाव। कर्ष (सं० पु०).१ करोषाग्नि, जङ्गलो कण्डे को भाग । कर्षणि (सं० स्त्री.) कृष-अनि । १ असती, छिनाल । .२ जीविका, एक सन्नी। २ प्रतमोक्ष, अचसोका कर्पू (सं० पु.) जपज। पिच मतधिनिसाख निथ्य कः । १ पाकर्षित, ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१७४
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