१७२ कर्मसूत्र-कमान्त कर्मसूत्र (सं० लो०) कर्म एव सूत्रम् । कर्मरूप | कर्मादाम (सं० पु०) जैनशास्त्रानुसार व्यापारवियेव । सूत्र, कामका सिलसिला। यह १५ प्रकारका होता है-इलाकर्म, २ वनकर्म, कमस्थ (सं० नि:) कर्मणि तिष्ठति, कर्मन्-स्था-क। ३ साकटकर्म, ४ भाडीकम, ५ स्फोटिककर्म, । दन्त- कम में नियुप्ता, काममें रहनेवाला। कुवाणिज्य, ७ लामाकुवाणिज्य, ८ रसकुवाणिज्य, कर्मस्थक्रियक (स० वि०) विषयमें अपने कर्म को ८ केभकुवाणिज्य, १० विषकुवाणिज्य, ११ यन्त्रपीड़न, रखनेवाला (धातु), जो (मसदर ) अपना काम १२ निर्लान्छन, १३ दावाग्निदानकर्म १४ शोषणकर्म समें रखता हो। और १५ असतो पाचन। श्रावकको कर्मादान करना कम स्थभावक (सं० वि०) अपना भाव कम में रखने न चाहिये। वाला (धातु ), जिस (मसदर) की हालत मुद्देमें रहे। कर्मादि (० पु.) कमण आदिः, ६ तत् । कार्यका करखान (सं. ली.) कर्मणः स्थानम्, ६-तत् । भारम्भकाल, कामका आगाज । १ कर्मक्षेत्र, कारखाना, कामको जगह। २ ज्योतिष- कर्माधिकार (सं० पु. ) कर्मका खत्व, कामका एक शास्त्रोक्त जन्म अवधि दशमस्थान । कर्माधिकारी (सं०.१०) कर्मणि अधिकारोऽस्यस्य, कम होन (सं० वि०) १ शुभकर्म न करनेवाला, कमन्-अधिकार इनि। कर्मका अधिकार रखनेवाला, जो अच्छा काम करता न हो। २ मन्दभाग्य, कम जिके कामका इतियार रहे। .बखत, अभागा। कर्माध्यक्ष (स'• पु०) कर्मसु अध्याचः, तत् । कमहत (सं० वि०) कमसे उत्पन्न, कामसे निकलनेवाला। कार्यका अध्यक्ष, जो काम कारनेवालेका काम कर्मा-१ भक्तिमती पतिपुवहोना कोई ब्राधणकन्या। नांचता हो। करमावाई देखी। कर्मानुबन्ध (सं. पु.) कर्मणः अनुबन्धः संयोगः २ युक्तप्रदेशके इलाहाबाद जिलेको करछाना लेशो वा, ६-तत्। कर्म का संयोग, कामका लगाव । तहसौलका एक नगर। यह प्रयागसे ६ कोस दक्षिण | कर्मानुबन्धी (सं० वि०) कर्मका संयोग रखनेवाला, अवस्थित है। यहां मङ्गल तथा शुक्रवारको बाजार काम में लगा हुवा। लगता, जिसमें पखादि, शस्य, तुला और धातुका पात्र कर्मानुरूप (सं० वि०) कर्मणः अनुरूपः, ६-सत् । प्रति बिकता है। १ कर्मसदृश, कामसे मिलताजुलता । २ कर्मोपयोगी कर्माचम (सं० त्रि०) कम पक्षमः असमर्थः । कामके लिये अच्छा। ७-तत्। कार्य करने में असमर्थ, निकम्मा, काम न कर्मानुरूपतः (सं० अव्य. ) शम के अनुसार, कामके कर सकनेवाला। मुताबिक कर्माण (सं. क्ली० ) कर्मणो अङ्गम्, ६-तत्। विहित | कर्मानुष्ठान (सं• ली.) कमणः अनुष्ठानम् ६ तत् । यज्ञादि कर्मका अन, कामका दिया। कर्म का अनुष्ठान, कामका इनसिराम । कर्मजीव (सं० पु.) कर्मणा भाजीवः जोवनम्, कर्मानुसार (सं० पु. ) कर्म अनुसरति, कम्न-मनु- ३-तत् । शिल्पादि कार्यसे नौवनयापन, कामके सहारे सु-धज । कर्म का फल, कामका मिजाव । जिन्दगीका बसर। कर्मानुसारतः (सं० अव्य०) कम के फलसे, कामके कर्मात्मा (सं० पु.) कर्मणा भामा आत्मभावो मिलावमें। प्राणी, जानवर। कन्ति (सं० पु०) कम पः जीवकत सकत-दुष्क त- "तस्मिन् खपवि तु स्वस्थ कर्मात्मानः शरीरिणः ।" (मनु) क्रियायाः यहा कर्मणः कषिकार्यस्व तत् फलस्त्र (नि.) कमपि भामा मनो यस्य । २ कर्मासक्त- धान्यादिसंग्रहरूपक्रियायाः अन्तो यन, बनो। १ कम स्थान, कामको जगह। २ वर्मका पन्त, चित्त, काममें दिक्षको लगानेवाला। . यस्थ, बहुव्री।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१७१
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