. करणविप्रलम्भ-करुणावान् १.५ पुन मुझ, ब्रह्मोम मसि, सिंहचौमें पिश्चिमल, अरबीमें | करुणाकर (सं० वि०) करुणाया पाकार:, ६-तत् । समन और फारसीमें गुले सुफेद कहते हैं। अत्यन्त दयालु, निहायत मेहरवान् । (पु.) २ प २पन- नामके पिता। करुणमझी एक सुगन्धिलता है; भारत, ब्रह्मदेश और सिंहलमें सर्वत्र २००० फीट ऊंचे स्थानमें | करुणात्मक (सं• वि.) करुणः करुणारसः प्रामा उत्पन्न होती है। दोनों गोलार्धके उष्णप्रधान देश में यस्य, बहुव्री०। करुणरसविशिष्ट, रहमदिल, पफ- इसे लगाया करते हैं। सीससे भरा हुवा। इसका पुष्प अति सुगन्धि होता है। भारतवर्षमै | करुणामा (सं• पु०) करुणो दयाद्रं प्रामा यस्य, करणमल्लीका तेल अधिक व्यवहार में आता है। बहुव्री०। दयावान, मेहरवान्। पुष्यको बांटकर स्तनपर लगानेसे दुग्ध बहुत उतरता करुणादृष्टि (सं० स्त्री०) १दयाकी दृष्टि, मेहरवानी। है। मासूरपर पत्तीका पुलटिस चढ़ता है। पन्ना २ दृष्टि विशेष, एक नजर। यह नृत्य को एक दृष्टि वमें यह पागलपन, प्रांखको कमजोरी और मुंहको है। इसमें ऊपरी पलक दवायों और प्रासू गिरी बीमारीपर चलती है। नाकको नोकपर नजर लायी जाती है। पूर्वीय देशमें सुगन्धके कारण इसके पुष्यका बड़ा करुणानिदान (सं० वि०) करुणा निदीयते निचित्य आदर है। अरबी, फारसी और संस्कृत कवि प्रायः दीयते येन, करुणा-नि-दा-ल्यु ट्। दयालु, मेहरबानी इसका उलेख किया करते है। करनेवाला। कारुणविप्रलम्भ ( सं० पु. ) करुणयुक्ती विग्रसम्मः। करुणानिधान, करुणानिदान देखो। भृङ्गार रसका एक भेद। नायक-नायिकाके मध्य | करुणानिधि (सं.वि.) करुणा निधीयतेऽत्र, करुणा एकके परलोक जाने पर पुनर्वार मिलनको नि-धा-कि । · कर्मण्यधिकरये च । पा शश। दयावान, पायासे जोषित व्यक्ति जिस प्रकार कष्टसे जीवन मेहरबान्। विताता, वही करुणविप्रलम्भ कहाता है। जैसे- करुणान्वित (सं.वि.) करुणाया अन्वितः, ३-तत् । कादम्बरीके पुण्डरीक और महाश्वेता-वृत्तान्तमें पुन करुणायुक्त, मेहरवान्। रि पुण्डरीकके लाभ विषयपर करुण रस ही पटकता करुणापर, करुणान्वित देखो। है। किन्तु देववाणी सुननेपर पुण्डरीकसे मिलनेको | करुणामय (सं० वि०) करुणाः प्राचुर्येण पत्यस्ता पाया शृङ्गाररसका उद्रेक है। करुणामयट् । दयामय, मेहरवान् । करुणवेदित्व (सं.ली.) करुणं दया वेत्ति जानाति, करुणामलो, करुणमलो देखो। विद-णिनि भाव त्व। दयावान्का धर्म, मेहरबान्का | करुणायुक्त (स'• त्रि) करणया युक्तः, ३तत् । • फर्ज। दयावान, मेहरबान्। करुणवेदी (सं० वि०) करुणं दयां वेत्ति परदुःखं | करुणारम्भ (सं० वि०) करणः करुणरस पारम्भो अनुभवति, विद-णिनि। दयावान्, मेहरबान्। .यत्र, बहुव्री। १ करुणारससे प्रारम्भ कर चिखित, करुणा (6. स्त्री०) करोति चित्तं परदुःखहरणाय, अफसोससे शरू कर लिखा हुवा। (पु.)२ करुण- छ-उनन्-टाप । -१ पपरके दुःखविनाशको इच्छा, रसका प्रारम्भ, अफसोसका पागाज। । इसका संस्कृत पर्याय-कारुण्य, घृणा, | करुणा (सं• पु०.) करुणाया आदः, ३-तत् । कृपा, दया, अनुकम्पा, पमुक्रोश और शूक है। अत्यन्त दयालु, रहमदिल। २ शोक, रन, अफसोस । ३ गङ्गाका एक नाम। करुणाचित (सं. पु०) करुणाया माई चित्त "कूटस्था करया काना कुर्मयाना लक्षावती।" (कामोख- २४४५) यस्थ, बनी। दयानुदय, रहमदिल । ४ पुलस्त्य मुनिको कनिष्ठा कन्या। ५.छगचाचा कारणावान् (वि.) भोकातं, हमके लायक,। Vol. IV, ) दया, तसे 27
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१०४
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