पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/९५

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अक्षरश:-अक्षि ८६ कार अक्षरशः (सं० अव्य०) अक्षर-शस् वोप्सायां [पा ५।४।४३] । अक्षसूत्र (सं० लो०) अक्षस्य जपमालायाः सूत्रम् । अक्षर-अक्षर। समस्त। निश्शष। बिलकुल । ६-तत् । रुद्राक्षको माला । जपमाला । अक्षरशत्रु (सं० पु०) मूर्ख । निरक्षर। अनपढ़। नाखाँदा। अक्षसेन–भारतवर्षका एक प्राचीन राजा, जिसका अक्षरसंस्थान (सं• लो०) ६-तत्। लिपि । लेख। उल्लेख मैत्रुपनिषदमें है। लिखावट। इबारत। अक्षहीन (सं० त्रि०) अन्धा । नेत्रहीन । नाबौना। अक्षरेखा (सं० स्त्री०) धुरीको रेखा। वह रेखा जो किसी अक्षहृदय (सं० क्ली०) अक्षविद्यारहस्य । पासा खेलने- वर्तुल पदार्थके भीतर केन्द्रसे होती हुई दोनो पृष्ठोंपर का कौशल । जुएको चालाको । लम्बवत् गिरे। निरक्षरेखाके उत्तर-दक्षिण समदूरवर्ती अक्षांश (सं० पु०) परस्पर स्थानोंकी दूरी और नगर, कितनी ही रेखायें, जो गोलेके पूर्व-पश्चिम मण्डला नदो, पहाड़ प्रभृतिका ठीक स्थान निर्दिष्ट करनेके fafaa stat (Lines of Latitude) लिये विषुवत्रेखासे उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम अक्षरोटी, अखरोटी (हिं० स्त्रो०)। १ वर्णमाला। गोलकके ३६० भाग किये गये हैं। इन भागोंमें एक- लेख। लिपिका ढङ्ग। २ अछरौटी। ३ सितारपर एकका नाम अक्षांश है। बोल बजाने या निकालनेकी क्रिया। अक्षाग्रकौलक (सं० लो०) अक्षस्य चक्रस्य कीलकम् । अक्षवत् (सं• त्रि०) अक्ष-मतुप । पासोंका खेल । ६-तत् । पहिया बंधा रखनेका कोला। धुरी। अक्षवतौ (सं० स्त्री०) अक्ष-मतुप मस्य वत्त्वम् । जुआ। अक्षानह (सं० लो०) अक्ष रथचक्र आनह्यते बध्यते। द्यूतक्रीड़ा। चौसर। आ-न-क्विप् [नहो धः । पा ८।२।३४] । पहिया बंधा अक्षवाट (सं० पु०) अक्षाणां वाटः वासस्थानम्। १ रखनेका डण्डा। अडडा। जुआघर। २ अखाड़ा। कुश्तीकी जगह। ३ अक्षान्ति (सं० त्रि०) न-क्षम-क्तिन्, नञ्-तत् । पाली, जहां तीतर बटेर आदि लड़ते हैं। ४ बिसात । ईर्था। जलन। अक्षविद् (सं० त्रि०) अक्ष-विद्-क्विय् अक्ष वेत्ति । अक्षारलवण (सं० त्रि०) न-क्षारलवणं, नञ्-तत् । १ जुआमें निपुण । २ अर्थशास्त्रज्ञ । ३ व्यवहार १ सैन्धव, सामुद्रिक लवण, जो खारा न हो। विद्याका पण्डित। २ हविष्य द्रव्य, जैसे-दूध, घी, आतप तण्डुल अक्षविद्या (सं० स्त्रो०) १ पासा खेलनेको विद्या। इत्यादि। २ व्यवहारशास्त्र। अक्षावपन (सं० क्लो०) अक्ष-आ-वप्-ल्य ट । पासा फेंकने- अक्षवृत्त (सं० लो०) अक्ष राशिचक्ररूपं वृत्तम् । का आधार, बुत। १ जुआड़खाना। २ राशिचक्रका गोलाकार क्षेत्र । अक्षावली (सं० स्त्री०) अक्षाणां रुद्राक्षाणां आवली (Parallels of Latitude) निरक्षरेखाके समान्तराल श्रेणी, ६-तत् । जपमाला। रुद्राक्षको माला। और निरक्षरेखासे क्रमशः दश-दश अंशके (Degree)| अक्षावाप (सं० त्रि०) अक्ष-आ-वप् अण् । अक्षान् अाव- अन्तरवाले वृत्त। ३ जुआड़ी। पति क्षिपतीति । उप-तत् । द्यूतकारक । पासा फेकने- अक्षशौण्ड (सं० पु०) अक्षेषु पाशकक्रीड़ायां शौण्डः वाला, जुआड़ी। कुशलः ; ७-तत् । पासोंके खेलमें पण्डित । अक्षि (सं० लो०) अश-क्सि । आंख, नेत्र, चक्षुः, लोचन, अक्षस्, अक्षस्, आमू-तातार देशको एक नदी । यह दर्शनेन्द्रिय। समास करने में अक्षि शब्द अजन्त हो भारतवर्ष और ईरान देशके बीच में स्थित बेलूर पहाड़ जाता है; जैसे-प्रत्यक्ष, समक्ष, परोक्ष। से निकली और बुख़ारेके उत्तर-पश्चिम कोने में बहती अक्षि–बम्बई प्रेसिडेन्सीके अन्तर्गत कुलाबा जिलेको हुई आराल हृदके दक्षिण भागसे जाकर मिली है। अलीबाग़ तहसीलका एक प्रसिद्ध ग्राम । इस स्थानके इसको ६०० कोस लम्बाई है। बाग़ या उद्यान चिरप्रसिद्ध हैं। यहां दो देव-