पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७२४

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अबोर: ७१७ उसे ही भेज अपने प्रेमका परिचय पहुंचायेगा। देते हैं। फिर उसी नलके मुखमें दूसरी नल जोड़ विवाहमें अधिक आडम्बर नहीं उठता ; आप्त बन्धु ग्रामके भीतर जल पहुंचायेंगे। किन्तु रन्धन और खजनको भोज देनेसे ही काम चल जाता है। पानके भिन्न कोई अधिक जल नहीं खर्च करता। विवाह होनेपर ग्रामस्थ लोग नव दम्पतीके लिये इन्हें विश्वास है, शरीरमें मैल जमनेसे जाड़ा नहों कोई पृथक् भवन बना देते, उसी स्थानमें वह सुख लगता ; इसौसे बड़े चावके साथ सब लोग देहको स्वच्छन्दसे रहते हैं। इनके मतसे विवाहमें अर्थ अपरिष्कार रखते हैं। लेनेपर चिरदिनके लिये कुलकलङ्क लगता है। पादम शीतकाल आनेसे यह काष्ठविष, मृगनाभि, हाथी- कुल में ऐसी कुप्रवृत्ति किसीको होनेसे चन्द्र-सूर्य फिर दांत, मृगमद, हरिणका चर्म प्रभृति द्रव्य पहाड़के आलोक न देंगे, लोगोंका समस्त कार्य बन्द रहेगा। नौचे लाकर बेचेंगे। अबोर बताते, कि उनके ऊपरी देवताको पूजा और वलि न चढ़ानेसे इस पापको पहाड़ पर बोर नाम्नी जाति रहती है; किन्तु उस शान्ति कैसे हो सकती है। जगह कोई मनुष्य जाकर वापस नहीं आता। इनमें बहुविवाहको प्रथा अति विरल है; यहां अबोर अपनी खजातिमें सकलको हो समान तक कि एकबारगी ही नहीं भी कहना ठीक जचता समझते हैं, इनमें कोई छोटा-बड़ा नहीं रहता। है। इच्छा पानसे कोई किसीको छोड़ न सके, किन्तु सुविधा लगनेसे यह दूसरी जातिको ले जाकर इसलिये स्त्रीपुरुषमें खूब सद्भाव रहेगा। कृषि और दास बना डालेंगे। मोरङ्ग-भवनमें प्रतिदिन यह अन्य-अन्य कार्यमें क्या स्त्री क्या पुरुष, सकल हो ठहरानेको सभा होती है,-ग्राममें किस दिन क्या समान श्रम उठाते हैं। करना पड़ेगा। सभामें ग्रामस्थ पुरुष जाकर सम्मि- कह सकते हैं, कि अबोर कोई भी शिल्पकर्म नहीं लित होते हैं। जो कुछ पदमर्यादा हो, उसी समय यह कपास और पेड़के रेशेसे एक प्रकारका देख पड़ेगी। प्राचीन लोगोंको गाम् कहते हैं। वह मोटा कपड़ा बनायेंगे। पहनने के लिये दूसरा कपड़ा भवनके मध्यस्थल.और अग्निके समीप बैठेंगे। उसके यह तिब्बत और भारतसे खरीदते हैं। तम्बाकू पौनेको बाद कोई व्यक्ति सभापतिका आसन लेता है। अबोर धातुका हुक्का, धातुका पात्र, अस्त्र-शस्त्र और नाना. सभापतिको वकपाङ्ग कहेंगे। लोईतेम नामक दूसरा प्रकार माला यह तिब्बत और चीन देशसे मोल व्यक्ति मन्तव्य-विषय सकलको सुना देता है। जूलोङ्गं लायेंगे। खेती करनेके लिये इनके पास हल वगैरह नामक अन्य व्यक्ति युद्धके सम्बन्धमें बातचीत कुछ भी नहीं रहता। छुरे और बांसको तौखी छड़से चलायेगा। जुलूक नामक व्यक्ति मुखतार-जैसा यह मट्टीमें थोड़ा गड्डा खोद वौज बो देंगे। किन्तु होता है। ऐसे ही सभ्य इकट्ठा कर सकल विषयको इनकी भूमि अधिक उर्वरा होनेसे अल्प यत्नमें ही मीमांसा की जायेगी। ग्रामस्थ अन्य लोग भी वहां खूब फसल उपजती है। धान, मकई, ज्वार, कपास, उपस्थित रहते, जो आवश्यक आनेसे अपना-अपना तम्बाकू, लालमिर्च, अदरक, इक्षु, नानाप्रकार कन्द, मत देते हैं। अफीम, लौकी और कुम्हड़ा इनका प्रधान द्रव्य अपराध करनेसे यह स्वजातिको कायिक किंवा होगा। नदौके ऊपर आने-जानेको यह एक प्रकार प्राणदण्ड नहीं पहुंचाते। जुर्माना हो इनकी एकमात्र का हिलता हुआ सेतु बनाते हैं। यह सेतु बांस, शास्ति है। किन्तु दास किंवा अन्य किसी जातिको बेंत और लकड़ीसे तैयार होगा। पर्वतके स्थान विशेष अपराध करनेपर अबोर प्राणदण्ड देंगे। जुर्मा- स्थानमें पानीय जलका अतिशय कष्ट रहता है। एक नेसे जो धन मिलता, वह. सर्वसाधारणके उपकारार्थ स्थानसे अन्यत्र जल न पहुंचनेपर काम रुक जायेगा। मोरङ्ग-भवनमें सुरक्षित रहता है। अबोरोंको विपदके इसी कारण यह निर्भरके मुखमें बांसका नल लगा बीच समय-समय बालक-बालिका खो जायें और Vol. I. 180 करते।