पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७२०

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मृत्यु हुयी। पायौ। अबू-इस्-हाक-अबू बकर सिद्दीव ७१३ नामक पुस्तकको व्याख्या सर्वसाधारणके सामने सम्पदायके प्रतिष्ठाता भी रहे। प्रकाश्य भावसे कुरानका सुनायी रही। अर्थ लगाने कारण लोग इन्हें अज़-जाहिरी कहते थे। अबू-इस्-हाक-गजनीवाले स्वतन्त्र शासक अलप् सन् ८१७ ई के समय कूफ़ेमें इनका जन्म हुवा था। तिगोन्के बेटे। इन्होंने शासनका प्रबन्ध सुबुक्तिगीन्के सन् ८८३ ई० में यह मर गये। हाथ सौंप दिया था। सन् १०४८ ई. में इनकी अब बकर-इनको उपाधि मिर्जा या सुलतान् रही। यह अमीर-तैमूरके नाती और शाहरुख. मिर्जाके बेटे अबू जाफर-१ कुरानके कोई प्राचीन शिया टीकाकार। थे। सन् १४४८ ई में अपने भाई मिर्जा उलघबेगके यह रुकन्-उद-दौलह दैलमौके सहयोगी थे। इन्होंने कहनेसे मार डाले गये। सबसे अधिक शिया-पुराण संग्रह किया और ईरान- | अबू बकर तुगलक-फीरोजशाह तुगलक नाती और वाले कुमके इमामिया वकीलोंमें अतिशय प्रसिद्धि शाहजादे जाफर खान्के बेटे। सन् १३८८ ई०के इनका बनाया एक बड़ा और एक छोटा फरवरी मास अपने भतीजे गियास-उद्-दोन्को तफसौर भी रहा। इनके जीवनका समय निश्चित हत्या होने पर इन्हें दिल्लीका सिंहासन मिला था। नहीं होता। शैख. तूरौने फेहरिस्त में लिखा था, इन्होंने एक वर्ष छः महीने राज्य किया। उसके बाद 'सन् ८४२ ई के समय रायमें इनको मृत्यु हुयो।' इनके चचे सुहम्मद तुगलकने अपने बादशाह बननेका किन्तु शैख, नजासोने लिखा है, 'सन् ८६५ ई० के ढिंढोरा पिटवाया और कांगड़ेके नगरकोटसे फौज ले समय अबू-जाफर जब बगदाद गये, तब उनका वयस दिल्लीको ओर रवाना हुये। थोड़ा पीछे हटना बाद बहुत थोड़ा रहा। इन्होंने सब मिलाकर १७२ वह जीते, दिल्ली पहुंचे और सन् १३८० ई०के अगस्त ग्रन्थ लिखे थे। मास सिंहासनपर बैठे थे। मेवाड़को भागे हुये २ इमामिया या शिया सम्प्रदायके कोई प्रधान अबू बकर उसी वर्षको २८वौं नबम्बरको पकड़े और मुजहिद। इन्होंने 'फिरिश्तु-कुतुब-इश-शिया व अस्मा मेरठ किले भेजे गये, जहां कुछ वर्ष बाद मर मिटे। इल्-मुसन्निफोन्' नामक सुप्रसिद्ध ग्रन्थ लिखा था। अब बकर सिद्दीक-मुहम्मद साहबको आइशा नानी यह शिया ग्रन्थोंका पुस्तक-विद्या सम्बन्धीय अभिधान पत्नी के पिता । मुहम्मद साहब इनका इतना आदर है। इस अभिधानमें ग्रन्थकारों के नाम भी मिलेंगे। करते, कि इन्हें 'सिद्दीक' को उपाधि ही दे दी थी। सन् १०५६ ई के समय बगदादमें सुनी और शिया अरबो भाषामें सत्यवक्ताको सिद्दीक कहते हैं। सन् सम्प्रदायके बीच जो बलवा उठा था, उसमें इनके ६३२ ई० के जूनमास मुहम्मदके मरनेपर यह उनके बनाये बहुतसे ग्रन्थ सबके सामने जला दिये गये। उत्तराधिकारी बने। मुहम्मदके दामाद अलौने वह यह सन् १०६७ ई में मरे थे। अधिकार लेना चाहा था, किन्तु उनको भी कुछ चल अब्झ (हिं• वि.) बोधरहित. नासमझ, जो सम सकी। इन्होंने उत्तेजनाके साथ नये धर्मको चलाया झता-बझता न हो। और उन अरबोंको मारा-पीटा, जिन्होंने नया धर्म अबू ताहर-'दाराब-नामा'-ग्रन्थप्रणेता। यह ग्रन्थ पूर्व छोड़ना और अपने बाप-दादेका धर्म फिर पकड़ना कालीन संक्षिप्त जीवनवृत्तान्त है। इसमें दरायस, चाहा था। पौछे यह विदेशीय जातियोंपर फौज ले जोहाक, मेकिदनके फ़िलिप और सम्राट सिकन्दरको टूट पड़े और अपने खलीद नामक सेनापतिके प्रभाव जीवनौ मिलेगी, गेलन और दूसरे यूनानौ तत्त्वविदों से २००००० फौजको मैदानमें मार भगाया। यूनान- का चरित्र भी लिखा है। सम्राट्ने सिरीयाका नाश करने को यह फौज अबू दाऊद सुलैमान्-अरबी भाषामें युक्लिडको ज्यामि भेजी थी। किन्तु सिद्दीक अधिक दिन अपने विजय सिके अनुवादक और टीकाकार। का आनन्द ले न सके, ज्वरने धीरे-धीरे इनका बल Vol. I. 179 यह सुनी