पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७१९

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- था। ०१२ अबुल-हसन-अबृ अह्मद योग्यता रखती थौं। यह कहना झठ नहीं ठहरता, बिर उल्-वासिलोन' नामक छन्दोग्रन्थ लिखा था। उस कि वही सारे राज्यका प्रबन्ध करते रहों। पीछे इन्होंने छन्दोग्रन्थमें मुहम्मद और उनके सन्तानको प्रशंसा रही राजकुमारके रक्षक बनानका बहाना किया। यह और क्रमशः उनके मृताको तारीख, भी दी गयी थी उमराको खुश कर लेनेपर राजकुमारसे भी छुटकारा ग्रन्थके नामसे सन् ११०६ हिजरी निकलता, जो सन् पानका विचार रखते थे। उसी समय बदखशान्के १६५० ई०से मिलता है। इनका प्रभाव आलमगीर- शासक मिर्ज़ा सुलेमान्ने इनपर आक्रमण किया और के समय खूब फैला था। सन् १६८४ ई में इनकी सन् १५६४ ई० को १३वीं मईको किसी युद्धमें इन्हें मृतुत हुयी। इन्हें लोग 'मज़हर-उल हक' भी कहते मार डाला। अबुल माली श्रेष्ठ कवि रहे और थे। ५ 'शाढ़-सहीह बुखारौ' नामक ग्रन्थरचयिता। कवितामें अपना उपनाम 'शाहबदी' लिखते थे। साधारणत: लोग इन्हें इन-मलिक कहते थे । सन् अबुल्-हसन-१ दक्षिण-अहमदनगरवाले सुप्रसिद्ध शाह १२७३ ई के समय दमास्कस् नगरमें इनका प्राण ताहिरके पुत्र । सन् १५७२ ई० समय यह १ले छूटा। ६ अहमद अन्सारौके पुत्र और एक अलौ आदिल शाहके दीवान् रहे थे। ग्रन्थकार। सन् १२७२ ई में इनकी मृतुप हुयी थी। २ उत्माद् उद्-दौलहके बेटे और सम्राट ७ अबू नसके पुत्र और 'जम्बन-शाहियान' नामक जहांगौरके दीवान। इनके तीन लड़कियां रहों, ग्रन्थके रचयिता। इनका दूसरा नाम 'मुहम्मद-उल- अर्ज.मन्द-बान या मुमताज महल, सुलतान् जमानिया हमोदी' रहा। 'तारीखे उनडुलस' भी इन्होंने लिखा और बदर-उज़ जमानिया। अर्ज.मन्द बानू सम्राट इस इतिहासमें अल् बुखारी और मुसलिमका शाहजहाँ, सुलतान् जमानिया सुलतान् परबोज और संग्रह भरा और लोग इसकी बड़ी प्रशंसा करते हैं। बदरउज-जमानिया शाह अब्दुल-लतीफसे व्याही थीं। यह सन् १०८५ ई० में मरे थे। अबू अबैदह-१ले खलीफा अबू-बकरके समय मुसल- | अबू अब्बास-अब्बास जातिके बगदादवाले पहले मान-फौजका शासन रखनेवाले मुहम्मदके सखा और खलीफा। अब्बास देखी। मित्र। मुहम्मदके यूनान-सम्राट से युद्धमें हार जाने- अबू अली-सुप्रसिद्ध गणितज्ञ । सन् ११३६ ई० में मिश्र पर उक्त शासन उनके हाथसे छीनकर खलीदको दिया खलीफा अल्हाफिजअलो-दोन्-इल्लह और बग़दाद- गया था। जमरने खिलाफत पानपर सिरीयाको अल्-रसौद-बिल्लहके समय इनका अच्छा वैभव सेनाका शासन अबू अब दहको दिया, खलीदको भौषण रक्तपिपासासे वह अप्रसन्न हो गये थे। अबू- | अबू अली कलन्दर-सुप्रसिद्ध मुसलमान-साधु। इन्होंने अबैदहने आगे बढ़ पलेस्तिन्, (सिरीया) जीता और अपने जीवन में कितने ही आश्चर्य कर्म कर देखाये थे। समग्र देशसे यूनानियोंको मार भगाया। भूमध्य लोगोंमें इनका बड़ा ही सम्मान रहा। इन्होंने ईरानके सागरसे यूफेटस्तक कहीं यूनानी देख न पड़ते थे। इराक स्थानमें जन्म लिया था, किन्तु भारतवर्ष ओ सन् ६३८ ई० में पूर्ण रूपसे विजयदुन्दुभि बजी। पानीपथमें रहने लगे। सन् १३२४ ई०की ३०वीं उसौ वर्ष सिरीयामें भयानक महामारी फैली थी। अगस्तको १०० वर्षको अवस्थापर पानीपथमें ही यह पचीस हजार मुसलमान मर गये। अबू अबैदहने मर गये। इनकी कबर पवित्र समझी जाती और आज भी उन्हींके साथ अपना प्राण खोया था। भी मुसलमान वहां दण्डप्रणाम करने पहुंचते हैं। अब अब्दुलह-१ मक्के के कुरैशी फ़कौर। २ इस्कन्दर | अबू अहमद-कासिमके बेटे। सन् १४८३ ई० समय साधु । ३ जौहरी साधु। इन तीनों साधुको जीवनी नटोलियेके अमेशिया नगरमें इनका जन्म हुवा था। अब-जफरने लिखी थी। ४ मुहम्मद फाजिल । यह इन्होंने इसलाम-धर्मके आरम्भिक विषयपर अपन पागरावाले सैयद-हसनके बेटे रहे। इन्होंने 'मुख पिताको लिखी 'अहमद-बौन-अब्दलह-उल-किरमों फैला था।