पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७१२

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अबाध-अबुद्धव ७०५ । कता। ३ खुशी, मौज, चहल-पहल, आनन्द, श्याम एवं चीनमें मिलती और घास या परके घोंसले- धूमधाम। में रहती है। इसे बेंगनकुटौ भी कहेंगे। अबाध (सं० पु.) न बाधः, अभावे नज-तत्। अबालुक (सं० पु०) कोई गांठदार पौधा। १ प्रतिबन्धका अभाव, रोकका न रहना। (त्रि०) | अबालेन्दु (सं० पु०) पूर्णचन्द्र, पूरा चांद । नास्ति बाधो यस्य, नञ् बहुव्री० । २ बाधशून्य, बेदर्द अबाध (सं. त्रि.) जो बाह्य न हो, अन्तरङ्ग, ३ अनिवारित, निरर्गल, अनर्गल, उत्शृङ्खल, उद्दाम, अन्दरूनी, बाहरी न होनेवाला । २ बाय कोणरहित, अनियन्त्रित, निरङ्कुश, मनमौजी, जिसका कोई बाहरी कोना न रखनेवाला। ठिकाना न लगे। अबिद्ध (हिं०) अविद्ध देखो। अबाधक (स० वि०) न बाधकः नञ्-तत्। १ बाधक | अबिद्धकर्णी, अविद्धकर्णी देखो। भिन्न, सदृश, न रोकनेवाला, बराबर, जो रोकता न अबिन्धन (सं० पु.) आप एव इन्धनमुद्दीपनसाधन- हो। नास्ति बाधा यस्य, बहुव्री। २ बाधशून्य, मस्य, बहुव्री०। बड़वानल, समुद्र के भीतरको आग, बेरोक, जिसे कोई अटकाव न आये। जिस आगमें पानीका इन्धन लगे। अबाधा (सं० स्त्री०) १ त्रिकोणके आधारका अंश । अबिन्धा (सं० पु०) रावणका मन्त्रिविशेष, रावण- (हिं० वि०) २ अबाध, बाधारहित । का कोई वजौर। यह अत्यन्त शिक्षित, शिष्ट और अबाधित (सं० त्रि०) न बाधितम्। बाधित भिन्न, वृद्ध रहा; इसने रावणसे सीता वापस देनेको पदार्थ, जिसे बाधा न लगी हो। बताया था। (रामायण) अबाध्य (सं० वि०) न बाध्यते प्रतिरुध्यते अबोधते | अबिभोवस् (वै• त्रि०) निर्भय, विश्वस्त, बेखौफ, वा; बाध-ण्यत्, नञ्-तत्। अप्रतिरोध्य, अनधौन, एतबार रखनेवाला। रोका न जा सकनेवाला, जो मातहत न हो। अबिरल (हिं०) अविरल देखो। अबान (हिं० वि०) बेबाना, बेहथियार, शस्त्र अबिला (सं० स्त्रो०) मेषी, भेड़। रहित, खालौहाथ। अबीर (अ.पु०) गुलाल। यह लाल रङ्गका होता अबान्धव, अबन्धु देखो। और होलीमें अपने मित्रोंपर डाला और उड़ाया अबाबोल (फा. स्त्री०) कृष्णवर्ण पक्षी विशेष, जाता है। पहले सिंघाड़ेके आटेमें हलदी और चूना काले रङ्गको कोई चिड़िया। यह छोटे पैर होनेसे मिला लोग इसे बनाते थे, किन्तु अब अरारोट और बैठ नहीं सकती और आस्मान्में मुण्डको झुण्ड उड़ा विलायती बुकनीसे ही तय्यार कर लेते। २ बुक्का, करती है। रातको इसे पुरानी दीवारों के घोंसलोंमें अभ्रकका चूर्ण। ३ सुगन्धित श्खेत सार, ख शबूदार बसना पड़ेगा। यह पृथ्वीके प्रायः सभी स्थानों में सफेद बुकनो। बल्लभ कुलके वैष्णव होलीपर इसे पायी जाती है। इसको छातौ कुछ सफ.द अपने मन्दिरों में उड़ाते हैं। अबौरी (अ.वि.) १ अबौरका, जिसका रङ्ग अबार (हिं० स्त्री०) देर, विलम्ब, वफा, बेवक्ती। अबीर-जसा रहे। (पु.)२ अबौरका रङ्ग । अबाल (सं० त्रि०) न बालम्, नत्र-तत्। जो बाल अबुझ, अबूझ देखो। न हो, तरुण, जवान्। अबुद्ध ( स० वि०) बुध कर्तरि कर्मणि वा ता, ततो अबालिश (सं. त्रि.) अबाल-जैसा, जो तरुणको नत्र-तत्। बोधके अविषयोभूत, नासमझ, जो सम- तरह हो, बच्चे जैसा न होनेवाला। झता न हो। अबाली (हिं. स्त्री०) पक्षीविशेष, कोई चिड़िया। अबुद्धत्व (सं० क्लो०) मूर्खता, बेवकूफौ, नादानी, न यह भारतके उत्तरीय और बम्बई-प्रान्त, आसाम, समझनेको हालत। Vol 1. 177 होगी।