पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६८६

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अफजलखान्–अफरौका वर्ष नवाबी की थी। इनके दामाद मौर-जाफर | अफज.न् (अ० पु.) १ बढ़ती, आधिक्य । (वि० ) अलौ इनकी जगह गद्दी बैठे। २ ज्यादा, अधिक, जो काममें न आया हो। अफ़जलखान्–१ कोई मुसलमान-कवि। इनका दूसरा | अफताब (हिं० ) श्राफ, ताव देखो। नाम मौर मुहम्मद अफजल रहा। दिल्लीवाले मुह- | अफताबा (हिं.) आफ.ताबा देखो। म्मदशाहके समय लोग इन्हें बड़ा सम्मान देते थे। अफ़ताबी (हिं.) आफ.तावो देखो। सन् १७३५ या १७३८ ई०में इनका देहान्त हुवा। अफयन् (फा० पु० ) अफीम, अहिफेन । २ अकबरके वजीर सुप्रसिद्ध शैख अबुलफ़जलके लड़के । अफ.यूनी (फा० वि०) अफीमचो, अफीम खाने- सन् १६७० ई० में जहांगीरको ओरसे यह विहारके वाला, जो अहिफेनको सेवन करता हो। प्रधान शासनकर्ता रहे और सन् १६१७ ई० को अफरना (हिं० क्रि०) १ डटकर भोजन करना, आगरेमें मर गये। ३ अबदुल हक़के लड़के । इनका खा-पीकर छक जाना। २ उदरका उठना, पटका दूसरा नाम मुल्ला शुकरुल्ला रहा। यह शोराजसे फूलना। दक्षिण आये थे। अबदुर रहीमखान् खानखानाने अफरा (हिं० पु० ) १ फ लाव, पेटका चढ़ाव । इन्हें जहांगीर बादशाहसे मिलाया, जिन्होंने अमीरका २ उदरामान, पेट फूलनेको बीमारी। खिताब दे दिया। शाह-जहान्के दूसरे वर्ष सन् अफरा-तफरी (हिं० स्त्री० ) १ गड़बड़-सड़बड़, १६२८ ई० में अशक खान जाफ.रवेगके भाई इरादत व्यतिक्रम, उलट-सुलट। २ शीघता, जल्दी, खान् बरखास्त होते और वजारतकुलका ओहदा घबराहट। खाली पड़ते, इन्हें वह काम सौंपा गया था। अफ.राना (हिं. क्रि०) पेट भर खाना या खिलाना, बादशाहके ग्यारहवें वर्ष सात हजार और चार भोजनादिसे जुप्त बनना या बनाना। हजार सवारीका यह मनसब पा गये। किन्तु दूसरे अफ.रासयाब-तुरान्के कोई पुराने राजा। यह ही वर्ष ७ वीं जनवरीको लाहोरमें सत्तर वर्षको पशङ्गके बेटे रहे। इन्होंने ईरानके बादशाह नौज.- अवस्थापर इन्हें इस दुनियाको छोड़ चल देना पड़ा खोमारको हरा बारह वर्ष वहां शासन किया था। था। इनका उपनाम अल्लामो रहा । इनकी कब्र चीनी किन्तु कैखुशरौ नामक दूसरे ईरानी बादशाहने इन्हें रौजा यमुनाके बायें किनारे आगरेमें बनी है। युद्ध में मार भगाया। अफ.ज.लगढ़-युक्त प्रदेशके बिजनौर जि.लेका एक अफरीका-महादेश विशेष, कोई बरे-आजम, पृथ्वीके शहर। यह रामगङ्गाके बायें किनारे अवस्थित है। प्रधान पिण्डसे निकले तीन दक्षिण महादेशोंमें एक। सन् १७४८ से १७७४ ई के समय जब हत्तर भारतमें इसका क्षेत्रफल ११२६२००० वर्ग मील और इसके पठान जातिका प्रभाव फैला, तब नवाब अफ.ज.ल बीपीका क्षेत्रफल ११४८८००० वर्ग मील होगा। ख.ान्ने इसे अपने नामपर बसा दिया। सन् १८५७ भूमध्य सागर इसे युरोपसे छोड़ाता और सूएजका ई० में बलवेके समय इसका ईटवाला किला गिराया ८० मौल चौड़ा प्रान्त इसे एशियासे मिलाता है। गया था। कुछ दिनसे शहर बरबाद होते जाता और यह उत्तर दक्षिण ५००० मील लम्बा और पूर्व पश्चिम उसकी जगह खेती बढ़ रही है। यहां जङ्गली लकड़ी ४६०० मील चौड़ा है। इसको सागर तट रेखा और बांसका कुछ व्यापार होगा। यहांके जुलाहे १६८०० मौल लम्बी होगी। इसके किनारे भूमि- ख्योका निहायत उमदा कपड़ा बनाते हैं। सन् पर गहरे दांत नहीं देख पड़ते। १८६७ ई०को आगरेमें जो प्रदर्शिनी हुयी, उसमें अफ:- यह ममुद्रतलसे कोई २००० फीट ऊंचा होगा। ज.लगढ़को अपने कपड़के लिये पुरस्कार और इसमें गहरी घाटियां और ऊंचे पहाड़ बहुत कम रजतपदक मिला था। पाये जाते हैं। साधारणतः पूर्व और दक्षिण अंचे