पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/५१४

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शर्म लगे। अनूदा २ राजाको अनूठा-अनूप अनूठा (हिं० वि० ) १ अभूतपूर्व, निराला, नादिर। । अन्देश (स० पु० ) वर्णन, बयान, जो बात खोल- · २ अच्छा, उम्दा। (स्त्री० ) अनूठी। कर बतायी जाये। अनूठापन (हिं. पु०) १ अपूर्वता, निरालापन। अनूधस् (वै० स्त्री.) पेंदेसे खाली, जिसमें पेंदा २ अच्छाई, उम्दगी। न चढ़ा हो। अनठो-अनूठा देखो। अनन (सं० त्रि.) न ऊनं होनम्, नञ्-तत् । अनूढ़ (स त्रि.) न उह्यतेस्म, अनु-वह कर्मणि १ परिपूर्ण, समग्र, अहीन, भरापूरा, समूचा, जो त। अविवाहित, क्वारा, जिसकी शादी न हुयी हो। हलका न हो। न नूनं निश्चितम्, नञ्-तत् । २ अनुत्पन्न, पैदा न होनेवाला। २ अनिश्चित, जिसका कोई ठौर-ठीक न ठहरे। अनूढमान (सं० वि०) लज्जाविशिष्ट, शर्मसार, जिसे | अननक ( स० वि०) न ऊनं होनम्, नञ् तत् । ततोऽनूनमनेन स्वार्थ कन्। १ सकल, सब । २ अशेष, (सं० स्त्री०) अविवाहिता स्त्री, जिस औरत लाइन्तिहा, जिसका पार न परे। ३ वत्स, निखिल, को शादी न हुयो हो। अखिल, निःशेष, पूरा, समूचा, सारा। अनूदागमन (सं० लो०) व्यभिचार, छिनाला, अनूनगुरु (सं• त्रि०) अन्यून भार सम्बन्धीय, ज्यादा अनव्याही स्त्रीके साथ सहवास, शादी न हुयी औरतसे वजनवाला, जो तौलमें बहुत वजनी निकले। ज़िनाकारौ। अन्नवर्यस् (सं० वि०) पूर्णप्रभान्वित, पूरी चमक- अनूढ़ाघाट (सं० पु.) १ अविवाहिता स्त्रीका दमकवाला, जो खूब चमके। भ्राता, शादी न हुयी औरतका भाई। अनूप (सं० त्रि.) अनुगताः प्राप्ता आपो जलानि वेश्याका भ्राता, बादशाहको रण्डीका भाई। यत्र, ७-बहुव्री० । जलप्राय, पानौसे भरा हुवा, जहां अनूतर (हिं० वि० ) अनुत्तर, लाजवाब । पानी मिले। 'जलप्रायमनपं स्यात् ।। (अमर) अनूति (स० स्त्री० ) अनु-वे-क्तिन्, अभावे नञ्-तत् । (पु.) २ जलप्राय स्थानमें सर्वदा वासकारी १ गमनका अभाव, चालका न पड़ना। २साहाय्य- महिष, जो भैंस हमेशा पानौदार जगह रहे। ३ देश- राहित्य, मददका न मिलना। विशेष, कोई मुल्क । “अनूपराजस्य गुणैरनूनाम् ।" ( रघु हा३७) अनत्र (संत्रि.) पश्चात् प्रदत्त, वापस दिया गया। ४ नदी, दरया। ५ समुद्र, बहर। ६ पुष्करिणी, अनूदक (स. क्लो०) जलका अभाव, पानीका तालाब। ७ नदीतट, दरयाका किनारा। पति- विशेष, किसी राजाका नाम। (हिं० वि०) अनूदित (सं० त्रि०) अनु पश्चात् उदितम् उक्तम्, ८ अनुपम, लासानी, जिसका जोड़ न जमे । अनु-वद कर्मणि त। १ अन्य भाषामें अनुवादित, सुन्दर, खूबसूरत। ११ उत्तम, अच्छा। जिसका तरजुमा दूसरी ज़बानमें हो चुका हो। अनूप देशका लक्षण यह है,- (क्लो०) भावे क्त। २ पश्चात् कथन, बातचीत । "बहम्बुब वक्षय वातने मामयान्वितः । अनूद्य (सं० त्रि.) अनु पश्चात् उद्यते कथ्यते क्यम्। देशोऽनूप इति ख्यातः ॥ १ अनुवादसम्बन्धीय, तरजुमके मुताल्लिक, पोंछे या नदीपल्वलशलाब्यफुलोत्पलकुल युतः । किसीके जवाबमें कहा जानेवाला। (अव्य०) अनु- इंससारसकारचक्रवाकादिसवितः ॥ वद-ल्यप् २ अनुवाद उतारकर, तरजुमा देखाके। सरो वराहमहिषरुरीहिकुलाकुलः ।' - अनुवाद देखो। अभूतद्रुममुख्यायो नानाशस्यफलान्वितः। अनद्यमान (सं. त्रि.), उत्तरमें उच्चारित, जवाब में अनेकशालिकेदारकदलौविभूषितः । कहा हुवा, सुवाफ़िक, अनुकूल । अनूपदेशो जातव्यो वातन्ने भामयार्तिमान् ॥" : (भावप्रकाश-) न पाया जाना। तथा......