पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४९८

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यथा- अनुलेपित-अनुवचनीय ४६१ अर्थात् अनुलेपनसे तृषा, मूर्छा, दौर्गन्ध्य, श्रम, कच्चे धातुको हजम कर रुके हुये गुदाज़को काट वात मिटता और सौभाग्य, तेज, बल बढ़ता है। पाखाना-पेशाब साफ़ लाये । २ लेपनसाधन चन्दनादि, मलनेका तेल-फुलेल । “कृत्वा पार्क मलानाच भित्त्वाबन्धमधी नयेत् । ३ लेप, मरहम। तच्चानुलीमनं शेयं यथा प्रोक्ता हरीतकी॥” (भावप्रकाश) अनुलेपित (सं० वि० ) अनु-लिप्-णिच् कर्मणि क्त। अनुलोमपरिणिता (स० स्त्री) नियमित श्रेणी में अनुलिप्तीकृत, मला हुवा, लगाया गया। विवाहिता स्त्री, जिस औरतकी शादी कायदेके दरजेसे अनुलेपिन् (सं० त्रि०) अनुलेपक, मलनेवाला, जो हुयो हो। तेल वगैरह मालिश करे। अनुलोमाय (स. त्रि०) सौभाग्यशाली, खुशकिस्मत। अनुलोम (सं० अव्य० ) यथाक्रमे अव्ययो०-अच्-स० । अनुल्को (सं० स्त्री० ) १ हिक्का, हिचको। २ तृष्णा, अच प्रत्यन्ववपूर्वात् सामलोमः। पा ५।४।७५ । १ अनुक्रम, प्यास। क्रमानुसार, सिलसिलेमें, तरतौबसे। (त्रि०) अनुगतं अनुल्वण (सं० त्रि०) अतिशय-भिन्न, जो ज्यादा न लोम प्रानुरूप्यम्। २ आनुरूप्यप्राप्त, लोमानुगत, रहे, अप्रधान, छोटा, चिक्कण, चिकना, जिसपर कुदरती हिदायतका, बाकायदा, सिलसिलेवार । हिदायतका असर न पड़े, असम्बद्ध स्थितिसे स्वतन्त्र, श्रेष्ठवर्णवाले पुरुषके तदपेक्षा अधम वर्णको कन्यासे जो परेशानीसे आजाद रहे। पाणिग्रहण करनेको अनुलोम विवाह कहते हैं। जैसे अनुवंश (सं० अव्य०) १ वंशसे, खान्दानके मुवाफिक। ब्राह्मण यदि क्षत्रिय कन्याको व्याहे, तो वह अनुलोम (पु.) २ वंशावली, नस्वनामा। विवाह कहलायेगा। अनुलोम शब्दका विरोधी अनुवंश्य (स० त्रि०) वंशावली-सम्बन्धीय, नस्व- शब्द प्रतिलोम है। नौच वर्णवाले पुरुषके श्रेष्ठ नामेवाला। वर्णको कन्यासे विवाह करनेपर प्रतिलोम विवाह अनुवक्तृ (सं० त्रि०) अनु सदृशं गुरुमुखोच्चारितानुरूपं होता है। यह विवाह अत्यन्त गर्हित है। वदतीति, अनु-वच्-टच् । गुरूपदेशानुरूप पाठारम्भ- अनुलोमकल्प (सं० पु०) अथर्ववेदको चौंतीसवीं कारी, जो उस्तादके बताये तौरपर मुतालह लगाये, प्रतिष्ठा। पौछ बोलते हुवा, दुहरानेवाला, जो जवाब देता हो। अनुलोमकृष्ट ( स० वि०) नियमित ओर जोता गया, अनुवक्तव्य (सं० वि०) पाठ किया जानेवाला, जो जो कायदेको तर्फ जुता हो। दुहराया जाये, जिसका मुतालह लगायें। अनुलोमज (सं त्रि०) अनुलोम-सम्बन्धात् जातः, अनुवक्र (सं० त्रि०) अनुक्रमेण वक्रम् । १ किञ्चित् जन-ड। उत्कृष्ट वर्णके औरस एवं निकृष्ट वर्णके वक्र, कुछ-कुछ टेढ़ा। २ अत्यन्तवक्र, निहायत गर्भसे जात, जो ऊंची जातिके बाप और नीचौ खमदार। जातिको मासे पैदा हुवा हो, अम्बष्ठ, अप्रतिलोमज । अनुवक्रग (सं० त्रि०) वक्रगतिविशिष्ट, टेढ़ी राह अनलोमजन्म (सं० त्रि०) अनुलोमं श्रेष्ठवर्णमनुक्रम्य चलनेवाला, जो तिरछा-तिरछा जाये। जन्म यस्य। अनलोमजात, जो अनुलोमसे पैदा | अनुवचन (स० क्लो० ) अनुरूपं वचनं, प्रा० स० । १ अनुरूप कथन, जैसेका तैसा मुतालह, पोछेको अनुलोमन (सं० ली.) १ सम्बद्ध नियम, विशुद्ध बात, दुहराव, पढ़ाई । २ व्याख्या, वाज़ । अध्याय, दिक्में प्रस्थान। २ मलादि धातुका यथामार्ग गमनो- बाब। ४ यज्ञका मन्त्रादिविशेष । पाय, पाखाने, पेशाब वगैरहके राहसे निकालनेको "जातुकय स्तमलोकयु' पुनः पप्रच्छ शस्त्र ‘वानुवचनं वा निगद वा तरकीब। ३ अपक्व वात, पित्त और श्लेष्मा पचाकर याज्यां वा यहान्यत् सर्व' तत् पुन५ यादिति ।” (कौषीतकि-ब्राझय २८५) बड़वायुको भेद मल निकालनेवाला औषध, जो दवा | अनुवचनीय (सं० वि०) अनुवचनसम्बन्धीय, मुता: हुवा हो।