पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४८०

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अनुभाविन्–अनुमन्यमान ४७३ अनुभाविन् (सं० त्रि०) अनु-भू-णिनि । १ साक्षात् | अनुभोग (सं० पु०) कार्यविशेषके परिवर्तनमें कर- रखनेवाला, समझते हुवा, जिसे किसी बातका तजरबा रहित भूमिदान, जो जमीन किसी खिदमतके एवज़ हासिल हो रहा हो । २ अनुभवके सङ्केत देखाते हुवा, बेलगान मिलती है। जी तजरबके इशारे मारता हो। ३ पश्चात् जन्म अनुचाट (सं० पु०) कनिष्ठ भ्राता, छोटा भाई। लेनेवाला, जो पीछे पैदा हुवा हो। ४ कनिष्ठ, छोटा, | अनुमत (सं० त्रि.) अनु-मन्त। १ प्रशंसित, जिसकी उम्र कम रहे। पसन्द आया हुवा, अनुमोदित, मञ्ज र फरमाया गया, अनुभावी, अनुभाविन् देखो। आदेशप्राप्त, जिसे हुक्म मिल चुका हो। २ सम्मत, अनुभाषण (सं० ली.) १ अनुकूल वचन, मीठो राज़ौ। ३ सुखादु, खुशगवार। ४ प्रिय, प्यारा। बात। २ साथ-साथका बताना, जो गुफ्तगू किसोके (क्लो) ५ स्वीकार, रजा, आज्ञा, इजाजत, प्रसन्नता, सखुनपर लगायो जाये। पसन्दगौ। ६ वैद्यमतसे-परमतमप्रतिसिद्ध, जिसे अनुभास (सं० पु.) काक-विशेष, किसी किस्मका सप्तरसा भी कहते हैं। कौवा। अनुमतकर्मकारिन् (सं० वि०) आदेशानुसार कार्य अनुभू (सं० त्रि०) अनुभवरूप ज्ञानविशिष्ट, समझता करनेवाला, जो हुक्म के मुताबिक काम करे। बझता, जिसको समझमें कोई बात चढ़ रहा हो। अनुमति (सं० स्त्री०) अनु-मन् तिन् । १ सम्मति, अनुभूत (सं० त्रि०) अनु-भू-कर्मणि त। १ अनुभव सलाह। २ अनुज्ञा, इजाजत। ३ चतुर्दशौयुक्त पूर्णिमा, द्वारा ज्ञात, तजरबेसे समझा गया। २उपलब्ध, जब एक कलाहीन चन्द्र निकलता है। मालम, जाना-माना। ३ फलस्वरूप, जो नतीजेकी 'अथानुमतिरूपेन्दुपूर्णिमानुज्ञयारपि ।' (मंदिनों) तरह निकला हो। ४. अवगत, तजरबेकार, जिसने | अनुमतिपत्र (स' क्लो) इकरारनामा, राजीनामा, लज्जत पा ली हो, या जिसे स्वाद आ चुका हो। जिस दस्तावेज़से किसाको रजामन्दो जाहिर हो। अनुभूताद्यविस्म ति (सं० स्त्री०) अनुभूतादौनां स्मृता. अनुमत्त ( स० वि०) मतवाला, पगला, जो खुशी दीनां अविस्म ति यस्मात् । भावनाख्य संस्कार, जिस | वगैरहसे अपनेको भूल जाये। २ जिसका नशा संस्कारका नाम भावना रखा गया है। उतर गया हो। अनुभूति (सं० स्त्री०) अनु-भू-क्तिन् । १ अनुभव, अनुसध्यम (सं० अव्य..) मंझलेके पास, बीचवाले- तजरबा। २ स्मृति-भिन्न ज्ञान, जो इल्म याददाश्तसे से नजदीक। तोत्लुक न रखे। ३ उपलब्धि, नतीजा। ४ विकृता, | अनुमनन' (सं० लो०) १ स्वीकार, रजा र स्वतन्त्रता, नोसादर । न्यायमतसे-अनुभूति चार प्रकारको होती आज़ादी। है, प्रत्यक्ष, अनुमिति, उपमिति और शाब्दबोध । अनुमन्तृ (सं० त्रि०) अनु-मन् च् । आज्ञा लेगाते अनुभूतिस्वरूप-सरस्वती-प्रक्रिया, आख्यातप्रक्रिया और हुवा, जो इजाजत दे रहा हो, मान लेनेवाला, जो धातुपाठ नामक ग्रन्थके प्रणेता। रजामन्दो जाहिर करे। अनुभूतिस्वरूप यति न्यायदीपावली नामक वेदान्तग्रन्थ अनुमन्त्रण (सं० क्लो०.), अनुमन्त्रण मन्त्रपाठः । और आनन्दबोधः प्रणीत प्रमाणरत्नमाला निबन्धको । मन्त्रोच्चारणपूर्वक संस्कार विशेष ।' : ' टोका बनानेवाले। अनुमन्वणमन्त्र (सं० पु०) संस्कार विशेषका मन्त्र । अनुभूय (स. अव्य०), अनुभव पाकर, परीक्षा लेके, अनुमन्त्रित : (सं० त्रि.) संस्कारसाधित, जिसका तजरबेसे, समझ-बूझ संस्कार किया अनुभूयमान अनुभवके अधीन, जिसका अनुमन्यमान (सं० त्रि.) : ध्यान देते हुवा, जो बजरबा लिया जाता हो। दमाग लड़ा रहा हो, खोकृत, रजामन्द ahe 119 गया