पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४७३

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स्त्रोका गमन। अनुपातकिन्–अनुपूर्वगाव १, अमानतमें खयानत अर्थात् किसीका रखा पी जाये। वैद्य का औषध खानेसे अनुपानके प्रति हुवा धन धोकेसे हड़प जाना। २, मनुष्य चुराना। विशेष दृष्टि दौड़ाना आवश्यक है। अनुपानभेदसे ३, घोड़ा चुराना। ४, चांदीकी चोरी करणा। एक-एक औषधके नाना प्रकार गुण खिलते हैं।... ५, भूमिको चुरा लेना। ६, होरा चुराना। ७, मणि "अनुपानविशेषेण करोति विविधान् गुणान् ।" (वैद्यक) मार रखना। यह सात पातक सोना चुराने के २ निकटस्थित पानीय पदार्थ, पास रखी हुयी समान होते हैं। पौनेको चीज़। पानस्य जलस्य समीपे, अव्ययौ । १, सहोदरा भगिनौगमन। २, कुमारो-गमन । ३ जलके निकट, पानीके पास । ३, नौचजातिको स्वीका गमन । ४, बन्धुको स्त्रीका "पूर्णवलेहगुटिका कल्कानामनुपानकम् । गमन। ५ औरसजात पुत्र-भिन्न अन्य पुत्रकी स्त्रीका वातपित्तकफोद्रेके विप्रकपलमाहरेत् ॥" (शार्ङ्गधर मध्यख०६०) गमन । ६, पुत्रको असवर्णा स्त्रोका गमन । ७, मौसोके अनुपानत्क (सत्रि०) बेजूता, जो जूता न पहने साथ रति रखना। ८, फूफूके साथ सहवास । हो, नङ्गेपैर। ८, साससे प्रसङ्ग लगाना। १०, मामीको रखना। | अनुपायिन् ( स० त्रि०) उपायको काममें न लानेवाला, ११, पुरोहितको खोका गमन । १२, भगिनी गमन। जो वसीलेको काममें न लाता हो। १३, आचार्यको स्त्रीका गमन । १४, शरणागता | अनुपाखं (स. त्रि.) १ पार्श्वसम्बन्धीय, बगली, १५, राणीगमन। १६, यहाश्रम पहलूवाला। (अन्य ०) २ पार्श्वमें, बगलसे, पहलूपर । छोडी हुयी स्त्रीका गमन। १७, श्रोत्रियस्त्रीगमन । अनुपालु ( स० पु०) पानीयालुक, जङ्गली १८, साध्वीस्त्रीगमन। १८, उच्चवर्णको स्त्रीके साथ आलू। नीच वर्णके पुरुषका सहवास। यह उन्नीस अनुपातक अनुपावृत्त (स.वि.) न उपावृत्तम् । १ अपरा- गुरुपत्नौके हरण तुल्य रहते हैं। अनुपातकका विवरण वृत्त, वापस न आनेवाला। २ नैष्ठिक ब्रह्मचारी। मनुसंहिताके ११वें अध्याय में ५६ लोकादिपर और अनुपातकका प्रायश्चित्त | अनुपासन (सं० लो०) उपासनाका अभाव, ध्यानका महापातक शब्दमें देखो। न लगाया जाना, बेखयालो। अनुपातकिन् (सं० त्रि०) अनुपातकमस्ति यस्य, इनि। अनुपासित (सं० त्रि०) उपासना न पहुंचाया गया, अनुपातकग्रस्त, अनुपातक उठानेवाला। जिसका ध्यान न लगा हो। अनुपातम् (सं० अव्य०) क्रमशः, सिलसिलेवार, अनुपुरुष (सं• पु०.) १ पूर्वोक्त पुरुष, पहले बताया लगातार। हुवा मर्द । २ शिष्य, चेला, जो शख्स पीछे रहे। अनुपातिन् (सं० त्रि०) अनुपतति अनुगच्छति, अनु- अनुपुष्प (सं० पु०) अनुगतं पुष्पं तबिकाशम्, पत्-णिनि। १ अनुगामी, पश्चाद्गामी, पीछे पड़ने- अति-तत् । शरवृक्ष, सरपत, खड्गटण, वेतस्, रमसर, वाला, जो फल या नतीजको तरह पीछे आ रहा मूज। (Saccharum sara) हो। अनुपातयति वृक्षात् फलादिकम्। अनु-पत्- अनुपूर्व (स. त्रि०) अनुगतं पूर्व परिपाटौम्, अति०- णिच्-णिनि। २ टपकानेवाला, जो वृक्षादिसे फल स०। बिलकुल क्रमानुसार, ठीक क्रमानुयायी, सिल- सिलेवार, तरतीबवाला, जो ठीक कायदेके मुताबिक, अनुपादक (सं० पु.) तत्त्वविशेष, जिसे तान्त्रिक लगा हो। (स्त्री० ) अनुपूर्वी। आकाशसे भी सूक्ष्म समझते हैं। अनुपूर्वकेश (सं• पु०.) नियमित केशविशिष्ट व्यक्ति, अनुपान (सं० लो०) अनु भेषजेन सह पश्चाहा जिस शखसके बाल कायदेसे बने हों। पोयते, पा कर्मणि ल्यु ट। १ औषधके साथ मिलाकर | अनुपूर्वगान (स.पु.) नियमित अङ्गविशिष्ट व्यक्ति, पिया जानेवाला ट्रव्य, जो चीज़ दवाके साथ या पीछे जिस शखसके अजा कायदेसे गंठे हों। 1 गिराये।