पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४७

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अलिष्ट-अक्षत न १ खेलनेका । अक्लिष्ट (सं० त्रि०) १ बिना क्लेशका। कष्टरहित । अक्षक्रीड़ा (सं० स्त्री०) चौसर। चौपड़ । पासेका खेल। २ सुगम । सरल। सहज। सौधा। कठिन या क्लिष्ट- हमारे हिन्दूशास्त्रमें जुआ खेलनेका बहुत निषेध है। का उलटा। द्यूत अर्थात् जुआके सम्बन्धमें मनुसंहिताके ८वें अध्याय- अक्लिष्टकर्मन् (सं० त्रि०) बिना क्लेश जो कर्म में लिखा है, कि राजा अपने राज्यमें द्यूत या समाव्हाय कर सके। होने दे। यह दोनो काम राज्यनाशके अक्लेश (सं० पु०) लशाभाव। (त्रि.) ले शशून्य । कारण होते हैं। जुआ स्वयं एक प्रकारको चोरी अक्ष-(अक्षु) (सं० पु०) (स्त्री० अक्षा) है और चोरीको वृद्धि करनेका कारण भी होता है पासा। २ पासोंका खेल। चौसर या चौपड़। ३ घुड़दौड़, बटेर-बुलबुलकी लड़ाई आदिमें जो दांव छकड़ा या गाड़ी। ४ धुरी। किसी गोल वस्तुके बीचो बदा जाता है, उसीको समाव्हाय कहते हैं और का- बोच पिरोया हुआ डण्डा जिसपर वह चारो ओर ष्ठादि, हाड, हाथी-दांतके पासे और नाना फिरे। ५ पहियेको धुरो। ६ धरतोको धुरी। ७ वह प्रकारको रीतियोंसे जो हार होती है, उसका नाम कल्पित स्थिर रेखा, जो पृथ्वीके भौतरी केन्द्रसे होती जुआ या द्यूत है। जो जुआ आप खेले या दूसरेको हुई उसके आर-पार दोनो ध्रुवोंपर निकली है ; इसी खेलाये, उसको प्राणदण्ड देनेका विधान है। पर पृथ्वी घूमती हुई मानी गई है। ८ तराजू या (६।२२१-२८) 'पाशा कर्मनाशा'को पुरानी कहावत तुलाको डण्डौ । ८ व्यवहार । मामला । मुकद्दमा।१० इसी वास्ते चली आती है, कि जुएमें निरत जन खान, इन्द्रिय। ११ तूतिया, लीला थोथा। तांबेका पूर्वाङ्ग । पान, निद्रा, सन्ध्या, पूजा, आदि समस्त नित्य और १२ सुहागा। १३ आंवला। १४ बहेड़ा। १५ नैमित्तिक कमीको भूल जाता है और झूठ, छल रुद्राक्ष। १६ सर्प। १७ गरुड़ । १८ आत्मा। और चोरीको ओर उसको प्रवृत्ति बढ़ती है। १८ सोलह मासको तौल, जिसे कर्ष कहते हैं। २० घरी बंधुश्रा बानिया ज्वारी चोर लबार । जन्मान्ध । २१ रावणका एक पुत्र अक्षकुमार, जिसे हनू विभिचारी रोगी ऋणी नगरनारिको यार ॥ मान्ने लङ्काका प्रमोदवन उजाड़ते समय मारा था। नगरनारिको यार भूल परतीत न कौजे। २२ व्याप्ति । २३ रसाञ्जन । २४ धूना । २५ काश्मौरके सौ सौगन्दै खायं चित्त, एक न दीजे एक राजाका नाम। यह दूसरे नरराजके पुत्र थे। कह गिरधर कविराब इन्हें आवै अनगरौ। हितको कहें बनाय पेटके पूरै रौ।-गिरिधर कलिके २५८१ वर्ष बीत जानेपर (शकाब्दसै ५८८ वर्ष पहले ) राजा होकर इन्होंने ६० वर्ष राज्य किया। अक्षक्षेत्र (सं० लो०) १ मल्लयुद्धका अखाड़ा । २ दङ्गल । अक्षराजने अक्षवाल नामको एक मनोहर देवपुरी ३ ज्योतिष-गणनाके आठ क्षेत्र । निमाण कराई थी। इनके पुत्रका नाम गोपादित्य था। अक्षज (सं० क्लो०) १ वज्र । २ अक्षजात। आंखोंसे या (राजत) २६ क्रयविक्रयचिन्ता। २७ नये प्रकारके इन्द्रियसे उत्पन्न। ३ किसी विवाद या मामले-मुकद्दमेसे व्यापारके करनेका विचार या साहस (Enterprize)। उत्पन्न बात या तर्क। २८ व्यवहारशास्त्र, विवादविज्ञाततत्त्व । २८ ग्रहोंके अक्षण्वत् (सं० त्रि.) चक्षुयुक्त। आंखवाला। भ्रमण करनेका पथ, राशिचक्रके अवयव। अक्षणिक (सं० वि०) निश्चल । स्थिर । स्थिरदृष्टि । अक्षक (सं० त्रि०) १ पासा खेलनेवाला। २व्यापक। अक्षत (सं० पुं०) १ बिना टूटा हुआ । समूचा। जिसमें (पु०) ३ तिनिश वृक्ष। क्षत, घाव या चोट न लगी हो। अखण्डित। अक्षकुमार (सं० पु०) रावणका बेटा। अक्ष देखो। २ गणितमें पूर्णाङ्क, जो भिन्नके साथ होते हैं; जैसे अक्षकूट, अक्षकूटक (सं० पु० ) अक्षकूट-कन्. खार्थे । २१ में २ अक्षत और भिन्न है। सही। ...आंखका तारा। आंखको पुतली । चखपुतरी। ३. समूचे चावल, जो देवार्चामें काम आते हैं। १२