पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४४८

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३ सर्वदा बेरुके हुए। अनिलाशिन्-अनिषिद्ध ४४१ अनिलाशिन् (सं० त्रि०) वायुका भक्षण भोगते । अनिवेदितविज्ञात (सं० त्रि०) विना कथन अनुभूत, हुवा, हवाको खाकर जीनेवाला, भोजन न पाते हुवा, बैकहे समझा गया। जो खानको न चख रहा हो। अनिवेद्य (सं० अव्य०) विना निवेदन सुनाये, वे- अनिलाशी, अनिलाशिन् देखो : इत्तिला दिये। अनिलोचित (सं० पु.) नीलमाषक, काला उड़द । अनिवेशन (स० वि०) उपवेशनस्थानशून्य, बैठने- अनिलोडित (सं० त्रि.) अनुभवविहीन, नातजरबे को जगह न रखनेवाला। कार, जिसे किसी बातका अच्छोतरह हाल मालूम अनिश ( स० वि०) निशायाः जनानां चेष्टाविनाश- न हो। हेतुतया लक्षणया निशा चेष्टाविनाशः सा नास्ति यस्य अनिवर्तन (सं० त्रि.) १ निवर्तनरहित, न लौटते यस्मिन् वा, नञ्-बहुव्रौ । १ अविरत, निरन्तर, हुवा। २ स्थायी, स्थिर, जमा हुवा, पायदार । बराबर, लगातार। २ रात्रिवर्जित, शबसे खालो। ३ अत्याज्य, छोड़ा न जानेवाला, उपयुक्त, ठीक। भयजनक, हमेशा खौक पैदा अनिवतित्व (सं० लो०) पश्चादपद न पड़नेका करनेवाला। भाव, वापस न आनेको हालत, वीरत्व, बहादुरी। अनिशम् (सं० अव्य०) नित्य, नित्यदा, सदा, अनिवर्तिन् (स. त्रि०) न निवर्तते, नि-वृत-णिनि अजस्र, सन्तत, रोज, दिन-ब-दिन, हमेशा, आठपहर, नञ्-तत् । १ कार्य अपूर्ण रहते शान्त न होनेवाला, अधरा काम होते जो ठण्डा न पड़े। २ वीर, बहादुर, अनिशित (सं० त्रि०) अविरत, निरन्तर, बराबर, दुश्मनके सामनेसे न हटनेवाला। ३ लगा हुवा, जो लगातार। कामसे मुंह न फेरे। (पु०) ४ परमेश्वर । ५ विष्णु । अनिशितसर्ग (सं० त्रि.) अविरत प्रवाहशाली, अनिवर्ती, अनिवर्तिन देखो। लगातार बहनेवाला, जिसकी धारा कभी न रुके। अनिवारित (सं० त्रि०) निवारणशून्य, अबाध, न अनिश्चित (स. त्रि) अनवधारित, अविवेचित, रोका गया, जिसे किसौने हटका न हो। यकीन न किया गया, जो पक्का न पड़ा हो। अनिवार्य (स त्रि.) निवारणके अयोग्य, रोकनेके अनिश्चित्य (स० अव्य०) अविवेचितासे, विना निश्चय नाकाबिल, जिसे हटक न सकें। निकाले, यकीन न करके, उटक्करपच्च । अनिविशमान (सं• त्रि०) न निविशमानम्, नि- अनिश्चिन्त्य (सं० त्रि०) विचारसे बुद्धिमें न बैठने विश्-शानच् । १ निवेशरूप स्थितिशून्य, बैठा न वाला, जो खयालसे समझमें न चढे, निश्चय रहनेवाला। २ सर्वदा गमनकारी, हमेशा चलने निकालनेके अयोग्य, यकीन करनेके नाकाबिल, जो वाला। ३ एक स्थानमें अस्थित, एक जगह न ठह समझमें न समा सके। रनेवाला। ४ परिव्राजक । ५ अवकाशशून्य, आराम | अनिश्शस्त (सं० त्रि०) निर्-शन्स-क्त, निशशस्तं न अड़ानेवाला। अप्रशस्तम्, नि-निश्-शस्तम्, नज-तत् । १ प्रशस्त अनिवृत, अनिवृत्त (सं० वि०) अबाध, रोका न गया। अनिन्दित । २ सुखो, खुश, खुला। ३ जिसकी बुराई अनिवृत्ति-वादर (सं० पु.) परिणामको त्याग न सुन पड़े। वासना बसानेवाला कर्म, जिस कामका नतीजा तो अनिषङ्ग (सं० त्रि.) निषङ्गशून्य, तूणविहीन, मिट जाये, लेकिन बू बनी ही रहे। यह कर्मवाद बेतरकस, जो हथियार न हिलाये हो। जैन-शास्त्र में कहा गया है। अनिषव्य (वै० त्रि.) बधके अयोग्य, कत्लके अनिवेदित (सं.वि.) अकथित, अनुक्त, न कहा नाकाबिल ; जिसे मार डालना ठीक न हो। गया, जिसका जिक्र न जमा हो। अनिषिद्ध (सं० वि०) निषेधरहित, अनाज्ञाविहीन, 111