पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३८०

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अध्यर्धकार्षापण -अध्यवहनन ३७३ काकिणो हो। काकिणो बीस कौड़ीके सिक्के और अध्यर्धसहस्र, अध्वर्धसाहस्र (स' त्रि०) परिमाण एक हाथको नापको कहते हैं। अथवा मूलामें साधै सहस्रके समान, जो वजन या अध्यर्धकार्षापण, अध्यर्धकार्षापणिक ( स० त्रि. ) कीमतमें डेढ़ हजारके बराबर हो। १ सार्ध कार्षापण-परिमित, डेढ कार्षापणके वज़न- अध्यर्धसुवर्ण, अध्यर्धसुवर्णिक (स० त्रिः) परिमाण का। २ अर्धविशिष्ट कार्षापणके मूल्यवाला, जिसका अथवा मूलामें साध सुवर्णके समान, जो वज़न या दाम डेढ़ कार्षापण हो। एक कार्षापण परिमाण कीमतमें दो तोलेके बराबर हो। सुवर्ण सोलह और मूल्यमें अस्सी कौड़ियोंका होता है। माशेका होता है। अध्यर्धखारीक (स० वि०) सार्ध खारीपरिमित, अधाबुद (स० पु०) अर्बु दोपरि जातार्बुदरोग, फोड़े- डेढ़ खारीको तौलका। २ अर्धविशिष्ट खारीके मूल्य पर फोड़ा या अाबलेपर आबला पड़नेकी बीमारी। वाला, जिसका दाम डेढ़ खारी हो। एक खारी दो "बजायतेऽन्यत् खलु पूर्वजात जेयं तदध्यबु दमबुदः।" मन सोलह सेरको होती है। ( मुश्रुत० नि० ११०) अध्यर्धपण्य (सं० त्रि०) १ साधं पणपरिमित, डेढ़ 'जो फोड़ा पहले हुए फोड़ेपर पड़े, उसे अध्यर्बुद पणके वज़नका। २ अर्धविशिष्ट पणके मूल्यवाला, रोग समझना चाहिये।' जिसका दाम डेढ़ पण हो। पण एक तोले और आठ अध्यवसान (स. लौ०) १ अभिप्राय, इरादा। माशेका होता है। २ चेष्टा, कोशिश। ३ उत्साह, हौसला। ४ वाक्य- अध्यर्धपाद्य (सं० त्रि०) साध पादपरिमित, डेढ़ कदमका। रचनाका संक्षिप्त और शक्तिशालौ वचन ; सनअते- अध्यर्धप्रतीक (सं० त्रि०) सार्धकार्षापण-परिमित, कलाम, जो बात मुख़्तसर और जोरदार तौरपर डेढ़ कार्षापण या १२० कौड़ियोंकी तोलका। कही जाये। अध्यर्धमाश्य (सं. त्रि०) सार्धमाश-परिमित, डेढ अध्यवसाय (सं० पु०) अधि-अव-सो-घञ्। १ उत्साह, हौसला । २ अविश्रान्त उद्योग, जो काम बराबर अध्यर्धविंशतिकोन (स. त्रि०) परिमाण या मूल्यमें जारी रहे। ३ निश्चय, यकीन। जो किसीको कोई सार्ध विंशतिका, जो वज़न या कीमतमें डेढ़ कोड़ो या काम करनेसे किसी तरहके फलका निश्चय हो जाये, तीसके बराबर हो। तो उस निश्चयको अध्यवसाय कहते हैं। नैयायिक अध्यधशत, अध्यर्धशत्य (स. त्रि०) सार्ध शत इसे आत्मधर्म बताते हैं; किन्तु सांख्यवादियोंके परिमित अथवा अर्धविशिष्ट शतसे क्रोत, डेढ़ सौको मतसे यह बुद्धिका धर्म है। संख्याका या डेढ़ सौसे खरीदा गया । अध्यवसायित (स० वि०) अध्यवसायो जातोऽस्य, अध्यर्धशतमान (स० त्रि०) परिमाण अथवा मूल्यमें तारकादित्वात् इतच् । जाताध्यवसाय, चेष्टित ; कस्द मार्ध शतमानके तुला, जो वजन या कीमतमें ढेद किये हुए, जिसने पूरा इरादा बांध लिया हो। सेकड़े के बराबर हो। अध्यवसायिन् ( स० त्रि. ) अधि-अव-सो-णिनि । अध्यर्धशाण, अध्यर्धशाण्य (सं• त्रि०) परिमाण अथवा १ उत्साहान्वित, हौसलेमन्द । २ उद्यमशील, रोज- मूल्यमें सार्ध शाणके तुल्य, जो वजन या कौमतमें छः ३ निश्चयकारी, जिसे यकौन आ गया हो। माशे या आध तोलेके बराबर हो। शाण चार अध्यवसायी, अध्यवसायिन् देखो। माशेका होता है। अध्यवसित (स. त्रि०) हृदयसे ज्ञात, निश्चित, अध्यर्धशूर्प (स• त्रि०) परिमाण अथवा मूल्यमें अनुमोदित ; दिलसे समझा-बूझा, यकीन किया हुआ, सार्ध शूर्पके सदृश, जो वजन या कीमतमें तीन इरादा बांधा गया। माशेके बराबर हो। दो माशेका होता है। अध्यवहनन (वै० लो०) अधि उपरि अवहननम् । ८४ माशका। गारी।