पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३७४

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अधिवाहन-अधिष्ठाट लिये। तन्दूर। हितं-छ। १ अतिशय अधिवाहन (सं० पु०) किसी मनुष्यका नाम । | अधिश्वयण (सं० क्लो०) अधि-श्रौञ् पाके ल्य ट। लोग इन्हें अङ्गका पुत्र बताते हैं। चूल्हे परका धरना, भट्ठीपरका चढ़ाना, किसी चीजको अधिविकर्तन (सं० लो०) टुकड़े उड़ानेका काम, आगपर रखनेका काम। काट डालनेका कार्य। अधिश्वयणी (स० स्त्री०) अधिधीयते पच्यतेऽत्र, अधिविद्यम् (सं० अव्य०) विज्ञानके विषयमें, इलाके अधि-त्रोञ्-अधिकरण ल्युट ततो ङोप् । १ चूल्हा, २ सिडो, जीना। अधिविना (स. स्त्री.) १ स्त्री जिसके पतिने फिर अधिश्रयणीय ( संत्रि.) अधिश्वयणाय पाकाय विवाह कर लिया हो, जोरू जिसके शौहरने उसके १ पाक-सम्बन्धीय, चाशनीका। अधि- जीते दूसरी शादो कर ली हो । २ स्त्री जिसके पतिको श्री पाक-कर्मणि अनौयर्। २ पाक बनाने योग्य, उसको कोई परवा नहीं। अधियितवै (सं. अव्य.) अधि-श्रीज-कल्यार्थे अधिवेत्तव्या, अधिवेदनीया, अधिवेद्या (स. स्त्रो०) तवै। कृत्यार्थे तवैकेन कन्यत्वनः । पा ४६१४ । पाचनसे, हाजमे- स्त्री जिसके रहते दूसरा विवाह करना उचित हो, के जरिये । जोरू जिसके जीते जी दूसरी शादी करना मुनासिब अधिश्रित (सं० वि०) अधि-त्रि-क्त । १ आश्रित, समझा जाये। प्राप्त। २ आगपर रखा हुआ, चूल्हे पर चढ़ाया गया। अधिवेट, अधिवेत्ता (सं० त्रि०) पति जो एक स्त्री अधिश्री (स० वि०) अधिका श्रीर्यस्य, बहुव्री । रहते दूसरोसे विवाह करे, एक जोरू होते दूसरी शोभान्वित, . निहायत रौनक़दार। औरतसे शादी करनेवाला शौहर । २ अधिक सम्पत्तिशाली, निहायत ज़रदार। (स्त्री) अधिवेदन (स. क्लो०) एक स्त्रीको उपस्थितिमें अधिका श्री, प्रादि-स० । ३ अत्यन्त श्री, हदसे दूसरीसे विवाह, एक जोरू रहते दूसरोकी शादी। ज्यादा रौनक । अधिवेदनीय ( स० वि० ) अधि-विद्-अनीयर् । अधिषवण (वै० क्लो०) अधिषूयते सोमोऽत्र, अधि- एकबार विवाह करनेपर फिर विवाह करने योग्य, षू-ल्य ट् आधारे। १ सोमाभिषवका चर्ममय पात्र, जो एकबार शादी कर फिर शादी करने काबिल हो। सोमरस निकालनेको चमड़ेका बरतन। अधिवेद्य (सं० वि०) अधि-विद्-यत् कर्मणि। रसादि पानका पात्र, सोमरस आदि पौनेका बरतन । एकबार विवाह करनेपर पुनरि विवाह करने योग्य, "अंगु दुहन्तो अध्यासते गवौत्यधिषवणचर्मणः ।" निरुक्त रा१। जो एकबार शादीकर फिर शादी करने काबिल हो! ३ अभिषव, निचोड़। (त्रि.) ४ सोम- अधिवेद्यम् (सं० अव्य०) वेदके विषयमें, वेदको बाबत । रस निकालने और छानने के काम आनेवाला। अधिवेशन (सं० क्लो०) १ सङ्घ, बैठक, जमाव। अधिषवण्य (वै० त्रि०) षुञ्-अभिषवे-ल्युट इति ३ उत्सव, जलसा। अधिषवणं ततो यत् । भवे छन्दसि। पा ४।४।११०॥ १ सोमा- अधिशायन (सं० ली. ) १लेटना।२ सोना। भिषवका, सोमरस निकालने और छाननेवाला। अधिशायित (स'• त्रि०) १ लेटा हुआ, जो आराम २ अधिषवणफलक। करनेका आदी हो। "यव दाविव जघनाधिषवण्या कृता । अधिवपण (स. क्लो) अधि-था-पाके णिच्-ल्युट । उलूखलसुतानामवेचिद्र जला लः ॥" (ऋक् १।२८२) 'अधिषवण्या उभे अधिषवणफलके।' (साया) पाचन, हाजमा। अधिश्रय (स: पु०) अधि-श्रीञ्-पाके अच् । १ पात्र, अधिष्ठाट, अधिष्ठाता (स'• त्रि.) अधि-स्था-टच्- बरतन, जिसमें कोई चीज़ रखी जाये। २ पाक, षत्वम्। १ अध्यक्ष, नियन्ता, मुखिया, सरदार ; यह चाशनी, जलाव। देखनेवाला, कि नियमित रूपसे कार्य होता है या २ सोम- भावे ल्युट।