पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३६७

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१ तिर अधिक्षिपदजनेव-अधिजिह अधिक्षिपदबनेत्र (सं० त्रि०) ऐसे नेत्रोंवाला, जो (अव्य०) अधिरूढ़ी गुणो यत्र । ३ ज्याधिरूढ़ धनुषसे,. कमलको आमाको मार दें, जिसकी आंखें ऐसी हों, रोदा चढ़ी हुई कमानपर । कि उनसे नरगिस झप जाये। अधिगुप्त (सं० त्रि०) अधिक रूपसे गुप्त, सुरक्षित ; अधिक्षिप्त (सं० त्रि.) अधि-क्षिप-क्त । खूब छिपा हुआ, महफूज । स्कृत, निन्दित ; हकौर, जिसे लोग बुरा समझे। अधिचश्म (वै० वि०) किसी वस्तुपर चलता या २ प्रेरित, कृताधिक्षेप ; जो फेंका गया हो, डाला रेंगता हुआ। जानवाला। अधिचरण (सं० लो०) किसी वस्तुपरका चलना, अधिक्षेप (सं० पु०) अधि-क्षिप-धञ् भावे । १ तिरस्कार, हिलना-डोलना या ठहरना। निन्दा ; हिकारत, मलामत । २ स्थापन, प्रेरण; अधिज (सं० त्रि०) उच्चकुलसम्भत, ऊंचे खान्दान- चालान, रवानगी। में पैदा हुआ, जो अपने वंशके कारण उच्च हो, अधिगणन (सं० लो०) १ अतिरिक्त गणन, ज्यादा खान्दानमें सबसे बड़ा। शुमार। २ अधिक मूल्यका लगाना, ज्यादा दामका अधिजनन (स० क्ली०) उत्पत्ति, पैदायश । जोड़ना। अधिजानु (सं० अव्य०) जानु या घुटनोंपर । अधिगत (सं० वि०) अधि-गम-क्त कर्मणि। अधिजिह्व (सं० पु.) अधिका जिह्वा यस्य । १ स्वीकृत, प्राप्त ; दस्तयाब । २ विदित, जाना-माना। १ दिजिह्व सर्प, दो जबानका सांप। सांपकी जीभ अधिगन्तव्य (सं० वि०) १ गमन करने योग्य, जाने फटी रहती है, इससे इसे दिजिह्व या अधिजिह्व काबिल। २ प्राप्तव्य, जो मिल सके। कहते हैं। सर्पके द्दिजिह्व होनेका वृत्तान्त महा- अधिगन्तु (सं० पु.) १ अग्रसर होनेवाला पुरुष, भारतमें इसतरह लिखा है,- आदमी जो आगे बढ़े। २ प्राप्त करनेवाला व्यक्ति । सागर मन्थन हो गया था। सागरसे उच्चैःश्रवा, अधिगम (सं० पु०) अधि-गम-घञ्, न दीर्घः। ऐरावत, सोम, अमृत प्रभृति कितनी ही सामग्री "व्याख्यानादिरूपोपदंशजनितं ज्ञानम्।" (सर्व० दं० स०) १ज्ञान, निकल आई। एक दिन कद्र और विनता-दोनो समझ। २ प्राप्ति, पहुंच। ३ स्वीकार, मञ्जरी। सपत्नी-भगिनी बैठ कहानी कह रही थीं। पारि- ४ लाभ, फायदा। ५ उपार्जन, कमाई। ६ व्याख्या- जातकी कहानी, माणिककी कहानी, बात-बातमें नादिरूप उपदेशसे उत्पन्न हुआ ज्ञान, जो समझ उच्चैःश्रवाको कहानी छिड़ गई। विनताने कहा,- लेक्चर सुननेसे आये। "मुझे समझ पड़ता, कि घोड़ेको पूछ सफेद है।” कट्ठ अधिगमन (सं० लो०) १ आविष्कार, ईजाद। भी बोल उठी,-"नहीं, बहन ! मेरी समझमें घोड़ेका २ प्राप्ति, पहुंच । ३ अध्ययन, मुतालह। ४ सहवास ; अयाल काला है। अच्छा, तो आओ; इस विषय- शादी, हमबिस्तरी। में हम पण करें, जो हरेगा, उसीको जन्मको भांति, अधिगयं (दै० अव्य०) सारथोके स्थानपर प्राप्त दासी बनकर रहना होगा।" उच्चैःश्रवा वास्तविक होकर, गाडीबानकी जगह पर पहुंचकर । खेतवर्ण अश्व है। कद्रुने देखा, कि हार जानेसे अधिगव (वै अव्य.) गवि-विभक्त्यर्थे अव्य०, वेदे सपत्नौके पास दासी बनकर रहना होगा; उससे अच्। (वाच०) गौसे प्राप्तकर, गायसे पाकर। एक छल करना उन्हें उचित समझ पड़ा। यही अधिगुण ( स० पु.) अधिक: गुणः, प्रादि-स० । स्थिर कर उन्होंने अपने सन्तान-सपोंसे बुलाकर १ अतिशयित विनयादि गुण, हदसे ज्यादा आजिजी कहा, "वत्स ! कल तुम उच्चैःश्रवा घोड़ेको पूछमें बगैरह सिफत। (वि.) अधिको गुणो यस्य, लिपट काले रूएं जैसे दिखाई देना। ऐसा न करनेसे बहुव्री०। २ अधिक गुणयुक्त, ज्यादा सिफ़तवाला। मैं सपनौके सामने हार जाऊंगी, मुझे जन्मको भांति