पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३५४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अधमई -अधर ३४७ ५ अम्लवेतस्, तुर्शह, चूक। यह वृक्ष छःसे | अधमा (सं० स्त्री०) स्त्रियादिके अन्तर्गत नायिका- बारह इञ्चतक ऊंचा होता और साल भरमें एक बार विशेष। अधमा नायिका अकारण पतिपर कोप फूलता है, जिसको डालियोंमें विभिन्न रङ्गके फूल करती, इसीसे इसका दूसरा नाम चण्डो पड़ा है। लगते हैं। इसके उत्पन्न होनेका स्थान पश्चिम-पञ्जाब, यह हितकर प्रियतमके प्रति अहित किया करती है लवणपर्वत और सिन्धु नदके पारवाली पहाड़ियां हैं। इसके समस्त कार्य अपक्कष्ट होते हैं। (रसमञ्जरी) भारतके दूसरे स्थानों में या तो इसकी खेती की जाती अधमाई (हिं० ) अधमई देखो। या यह बागों में बचावको भांति लगाया जाता है। अधमान ( स० क्लो०) अधमं निकृष्टं अङ्गम्, कर्मधा० । भारतीय वैद्य इसके रसको शीतल, रेचक और कुछ सबसे नीचा अङ्ग; चरण, पैर। कुछ पेशाब लानेवाला समझते हैं। यह दांतका दर्द अधमाचार (सं० त्रि.) कुत्सित आचरणवाला, दूर करनेके काम आता और तिक्त होनेके कारण बदचलन ; जिसका चालचलन खराब हो। वमनको रोकनेवाला खयाल किया जाता है। पाक- अधमा-दूती (सं० स्त्रो०) नीच दूतो, वह कुटनो स्थलोको ज्वाला मिटाने और क्षुधा बढ़ानेपर इसका जो भली भांति अपने कर्तव्यको पालन न कर नायक- सर्वाङ्ग खिलाया करते हैं। किसी ज़हरीले कौड़े के नायिकाको बुरे तौरसे संदेशा देती है। काटनेपर वेदना दूर करनेको इसकी पत्तीका पुलटिस अधमाधम (सं. त्रि०) अपकृष्टसे अपकृष्ट, बुरेसे बहुत लाभदायक है। वीजमें भी उपरोक्त सब गुण बुरा। होते हैं, जो संग्रहणीपर भूनकर प्रयोग किया जाता | अधमा-नायिका (सं० स्त्री०) अधमा देखो। है। तरकारीके लिये भारतमें प्रायः सब जगह इसको अधमाई (सं. ली) अधमं अईम्, कर्मधा। खेती होती है और लोग इसे कच्चा-पक्का खाते रहते नायिकाका अधोभाग। हैं। यह कूपोंके समीप क्यारिओंमें लगाया जाता अधमा (सं० त्रि०) शरीरके अधोभागसे सम्बन्ध और साल भर बराबर मिल सकता है। रखनेवाला। अधमई (हिं॰ स्त्री०) अपकृष्टता, न्यूनता ; बुराई, | अधमुआ, अधमरा देखो। खोटाई। अधमुख (हिं० वि०) अधोमुख, शिर नौचेको झुकाये अधमता (सं० स्त्री०) अधमई देखो। हुए, औंधा, मुंहभरा। अधमभृत, अधमभृतक (सं० पु.) नौचदास, अधम अधर (सं० पु०) न ध्रियते, धृङ्-अप् धारणे ; भृत्य ; कमौना नौकर, दरबान । नञ्-तत् । ऋदोरम् । पा ३२९३।१ ओष्ठ, होंठ। २ नौचेका अधमरति (स. स्त्री०) प्रयोजनको प्रौति, मतलब ओष्ठ या होंठ। कवि प्रबाल और विम्बके साथ वह रति जो कार्यवश को जाये, जैसे अधरकी उपमा देते हैं। किसीके मतमें अधरसे वेश्या धनके कारण प्रेम दिखाया करती है। ऊपरका होंठ समझा जाता और कोई इसे नौचेके अधमरा (हिं० वि०) १ अर्धमृत, नौम मुर्दा। होंठका द्योतक बताता है। वस्तुतः अधर कहनेसे २ मृतप्राय, मरा जैसा। नीचे-ऊपर दोनो स्थानका होंठ विदित होता है। अधमर्ण (सं. त्रि०) अधम-ऋणम् ; ऋणमवश्यं अमरको टोकामें महेश्वरने भी लिखा है, कि जो देयं तत् अधमं शोध्यं यस्य, बहुव्री०। ऋणशोधक, अधर शब्दको निम्न प्रोष्ठका ही बोधक समझते हैं, ऋणी, कर्जदार। उनकी बात युक्तिसङ्गत नहीं,- अधमर्णिक, अधमर्ण देखो। (स्त्री०), डोप-अध केचिदुपरिवाष्ठः अधोवयं धर इति मन्यते तदयुक्तम् । किन्तु कामशास्त्र में अन्यरूप प्रयोग देख पड़ता अधमशाख (सं० पु०) प्रदेश विशेष, एक मुल्कका नाम । की दोस्ती; मर्णिको।