पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/३३२

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- २ मृत्यु, अदिति-अदिमग ३२५ शब्द देवो और ऋषिपत्नीके अर्थमें आने लगा। तब अदिति शब्द देवता या ऋषिपत्नीके अर्थमें प्रयुक्त ऋग्वेदमें हम देखते हैं,- हुआ। उपनिषत्में अदिति शब्दको इस प्रकार व्याख्या "विश्वा हि वी नमस्यानि वैद्यानामानि देवा उत यज्ञियानि व:। स्थ की गई है,- जाता अदिते रदम्यस्परि ये पृथिव्यास्ते म इह अता हरं १०१६।२ । "यद्यदैवामृजत तत्तदुत्तमधियत सर्व' वा अतीति तददितेरदितित्व हे देवगण ! मैं आपके नामको नमस्कार, वन्दना सर्वस्खैतस्यात्ता भवति सर्व मस्यान्नं भवति य एवमेतददितेरदितित्व' वेद" और पूजा करता हूं। आप अदिति, अप और (ब्रहदारण्यक रा५) पृथिवीसे उत्पन्न हुए हैं, मेरे आवाहनको श्रवण अदितिने जिस समस्त ऋक्, यजुः, छन्दः, कौजिये। यन्न, प्रजा, पशु आदिको सृष्टि की थी, उस कितनी ही जगह देवताओंको दिव्य, पार्थिव सभीको खा डालना चाहा। क्योंकि वह सर्वभुक् और अप्य कहा गया है। शं नो दिव्याः पार्थिवाः शं नो अप्याः । हैं, जिससे लोग उन्हें अदिति कहते हैं वह (ऋक् ॥३५।११।) यहां दिव्य, पार्थिव और अन्य शब्दसे भक्षक हैं, यह समस्त जगत् उनका आहार है। जो यही जान पड़ता है, कि उन्होंने धुलोक, पृथिवी और उनको यह अदिति-प्रकृति पहचानते, वही इस वेद- अप् अर्थात् अन्तरीक्षसे जन्मग्रहण किया था। अप् ज्ञानको लाभ करते हैं। यहां ज्ञात होता है, कि शब्दसे जलका बोध होता है, किन्तु सायणाचार्यने अदिति हो मृत्यु-काल-आत्मा हैं। अप् शब्दके व्याख्या-स्थलमें अन्तरीक्ष अर्थ बताया है। अद्-इतिच्, अत्ति प्राणिजातम् । अपसु अन्तरौवे भवाः । इसीतरह कितने ही ऋमन्त्रों और मौत । ३ पुनर्वसुनक्षत्र। कारण, दिति शब्दका अर्थ अथर्ववेदके स्थानों में लिखा है, कि देवता द्युलोक, खण्ड है, इसलिये अदितिसे अखण्डका बोध हुआ। अन्तरीक्ष और पृथिवीसे उत्पन्न हुए हैं। अब ४ पृथिवी, ज़मीन । ५ वाक्, वाणी। ६ गो, गाय । विदित होता है, यह कहनेसे, कि “आपने अदिति, ७ द्यावापृथिवी, आसमान और जमीन । ८ प्रकृति, अप् और पृथिवीसे जन्मग्रहण किया है" देवताओंके ८ द्युलोक, फलक। १० अन्तरीक्ष, तीन ही जन्मस्थानोंकी बात लिखी गई। इसलिये आसमान। ११ माता, मा। १२ पिता, बाप। जिस अदिति शब्दपर सन्देह किया जाता है, उसका १३ पुत्र, बेटा। १४ प्रजापति। १५ विखेदेवा। अर्थ सिवा आकाशके और कुछ भी नहीं हो सकता। १६ पञ्चजन। १७ स्वतन्त्रता, आज़ादी। १८ रक्षा, एक और ऋमन्त्र में इसका स्पष्ट प्रमाण विद्य- हिफ़ाजत । १८ असौमत्व, बहुतायत । २० पूर्णत्व, मान है, कि ऋषि पहले अदिति शब्दको द्युलोकके कमाल । २१ पत्नी, जोडू । २२ दुग्ध, दूध । (त्रि०) स्थानमें प्रयोग करते थे,- २३ स्वतन्त्र, आजाद । २४ असीम, बेहद । २५ अभङ्ग, “येभ्यो माता मधुमत् पिन्वते पयः पीयूष द्यौरदितिद्रिवर्हाः । समूचा। २६ प्रसन्न, खुश। २७ पवित्र, पाक। उक्थमान्हषभरान्त्स्वप्रसस्ताँ आदित्या अनु मदा स्वस्तये ।' १०६शश अदितिज (सं० पु. ) अदितेर्जायते, जन्-ड; ५-तत् । जिन आदित्योंकी माता 'द्योः अदितिः' हैं, वह देवगण, अदितिके पुत्र। ऊंचे आकाशमें बैठ, मधुर पोयूष ढाला करते हैं। अदितिनन्दन (सं० पु०) अदितेर्नन्दनः, नन्द-ल्यु ; वही सकल आदित्य हमारे संकीर्तनसे उत्साहान्वित ६-तत् । देवगण, अदितिके पुत्र । हुए हैं। वह बलदायक और उग्र हैं, हमारा सुख अदितिसुत (सं० पु.) देवगण, अदितिके पुत्र । बढ़ानेके लिये आनन्दित हो गये हैं। अदिन (हिं० पु०) खोटा दिन ; दुःसमय, बुरा वक्त । यहां 'द्योः अदितिः' कहनेसे स्पष्ट ही समझ पड़ा, अदिमग (आदि मग ? अद्रिमग ?)-तुङ्गथा, चटगांव कि पहले अदिति शब्दका अर्थ अन्तरीक्ष होता था। पहाड़के जङ्गली लोग। चट्ठयामके पर्वतमें अनेक कालक्रमसे इसका रूपक अर्थ जब सबने छोड़ दिया, प्रकारके लोग रहते हैं। इतिहास न मिलनेसे यह ८२ कुदरत।