पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२८६

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अतिसौहित्य-अतिहख २७६ ४ जिसने बहुव्री। १ सुगन्धि आम्र, आमका पेड़। (लो.) चिकना। २ अतिशय उत्तम, निहायत नफीस । २ अत्यन्त सुवास, अजहद खु.शबू । ३ (त्रि.) ३ अत्यन्त प्रिय, निहायत मुअज्जिज़। अतिशय सुगन्धित, निहायत खुशबूदार । अधिक स्नेह पान किया हो। अतिसौहित्य (स' लो) अतिशयितं सौहित्यम् । "कफप्रसेकः शिरसो गुरुतेन्द्रियविधमः । १ अत्यन्त मित्रभाव। २ अत्यन्त दृप्ति, अजहद लक्षणं तदतिस्निग्धे कक्ष तब प्रदापयेत् ॥” (वै० निघ) आसूदगी। अतिस्पर्श (सं.वि.) अतिक्रान्तं स्पर्श वर्णोच्चारण- अतिस्कन्धा (स० त्रि०) रक्तकुलस्थका, लालकुलथी। प्रयत्नभेदं दानं वा। १ दानहीन, कृपण, कुछ न अतिस्तुति (स. स्त्री०) अति-स्तु-क्तिन् । कम- देनेवाला, बखोल। २ अधम, नीच। (पु.) प्रवचनीयानामप्रतिषेधः (कात्यायन)। अविद्यमान अतिशयितः स्पर्शः, प्रादि-स। गुणका ३ अत्यन्त स्पर्श, बहुत कीर्तन, अजहद तारीफ। छूना, अजहद छुआव। अतिस्त्रि (सं० पु ) स्त्रियमतिक्रान्तः, अत्या० तत् । 'क'से 'म' पर्यन्त पचीस वौँको स्पर्श वर्णकहते हैं, अपनी स्त्रीको अतिक्रम करनेवाला व्यक्ति, स्त्रीत्यागौ; कादयो मावसानाः। इन व से अतिक्रान्त वर्ण य व र ल परस्त्रीमें आसक्त। अपनी औरतको छोड़ देने- और स्वरवर्ण हैं। इनमें य व र ल ईषत् स्पृष्ट और वाला मर्द। खर अस्पृष्ट वर्ण हैं। पूर्वोक्त अन्तस्थ वर्णो का नाम जिह्वाके साथ अल्प स्पर्श होनेके कारण ईषत् स्पृष्ट है। "गुण नाभावौत्वनुभिः परत्वात् पुसि वाध्यते । परोक्त स्वर जिह्वाके साथ स्पर्श न होनेसे अस्पृष्ट क्लीवे नुमा च स्त्रीशब्दस्व यडित्य वधार्यताम् ॥ ओखौकार च नित्य' स्वादशसोस्तु विभाषया । कहलाते हैं। इन उभय विध वर्णो का नाम जिह्वाके इयादशोऽचि नाऽन्यत्र स्त्रिया: पु'स्युपसर्जने ॥" साथ सम्पूर्ण स्पर्श न होने के कारण अतिस्पर्श रखा अतिस्त्री (स. स्त्री०) अतिशयिता सुन्दरी स्त्री, गया है। अच् देखी। प्रादि-स। अतिशय सुन्दरी स्त्री, निहायत ख ब अतिस्फिर (सं० त्रि०) अतिशयितं स्फिरम्, प्रादि- स०। अति-स्फाय-किरच ; स्थास्कायौष्टि लोपः । उण् १॥५३ अतिस्त्रोक (सं० पु.) अतिशयिता सुन्दरी स्त्री १ अतिस्पर्तिशाली, निहायत फुरतौला, चालाक। यस्य, प्रादि-बहुव्री। नवृतश्च। पा। ५।४।१५३। अति २ अतिवृद्ध, नौजवान् । शय सुन्दरी स्त्री रखनेवाला पुरुष, जिस मर्दके अतिस्रवा (सं० स्त्री०) मयूरवल्लो, महुआ। निहायत ख बसूरत औरत हो। अतिस्वप्न (सं० पु.) १ अतिशय निद्रा, अधिक नोंद अतिस्थिर (सं० त्रि.) अत्यन्त अचल, निहायत या सोना। (ली.)२ स्वप्न देखने को अतिशय प्रवृत्ति, पायदार। खाब आनेको अजहद रग़बत। अतिस्थ ल (स० त्रि०) १ अत्यन्त मांसल, निहायत अतिस्वस्थ (सं० त्रि०) अत्यन्त नौरोग, तिहायत मोटा। २ अतिशय बलवान्, निहायत ताकतवर । तन्दुरुस्त । ३ बहुत बड़ा, निहायत आला। ४ अत्यन्त कुरूप, | अतिहसित (स० क्लो०) अति-हस-क्त ; अतिशयितं निहायत बदसूरत। ५ अत्यन्त मूर्ख, निहायत हसितम्, प्रादि-स०। १ अतिशय हास्य, उच्च हास्य; बेवकूफ। (पु.) ६ एक प्रकारका मेदरोग, जिससे अजहद हंसी । (पु.) २ सशब्दहास, आवाज़ देह बहुत मोटा पड़ जाता है। मिली हंसी। अतिस्थ लवा (स० पु.) दुष्टव्रण-विशेष, एक अतिहास (सं० पु० ) अत्यन्त हंसी, अजहद हंसना । तरहका खराब फोड़ा। अतिङ्गव (सं० त्रि.), अत्यन्त छोटा, निहायत अतिस्निग्ध (स. त्रि.) १ अत्यन्त स्निग्ध, निहायत सूरत औरत। ' नाचौज।