पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२८५

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अतिसारकिन्—अतिसौरभ अतिसारमें दिया गया है,-"पराकै पञ्च धेनवः" । अथवा पांच धेनुओंका मूल्य | अतिसारवारणरस (सं० पु.) १८२०० कौड़ी या इसी मूल्यमें जो सोना-चांदी मिले, जानेवाला एक रस, पेचिशको एक खास दवा । - उसे उत्सर्ग कर दे। पराक शब्दमे पराकव्रत और धनु अतिसारस्या ( स० स्त्री०) रास्ना, गुर्च । शब्दमै धेनुका मूल्य देखो। अतिसारिन्, अतीसारिन् (सं० पु० ) अति-मृ-णिनि ; पश्चात् इसतरह प्रायश्चित्तको पत्रिका लिखना अतिशयेन सारयति रक्तादिकम्। अतिसाररोग, चाहिये,- उदरामय ; पेचिशकी बीमारी। अतिसाररोगसंसूचितपापक्षयाय व्रताद्यशक्तौ ब्राह्मणेन क्षवियादिना | अतिसिद्धि (सं० स्त्री० ) अणिमादि अष्टसिद्धियोंसे भी वा यत्किञ्चित् दक्षिणाकपञ्चदशकार्षापणौ दानरूपं प्रायश्चित्तं करणीयमिति अधिक योग्यताको पूर्ण प्राप्ति, कसबैकमाल । विदुषाम्परामर्शः। अतिसुजन (सं० त्रि०) १ बहुत उत्तम, निहायत प्रायश्चित्तका नियम-प्रायश्चित्त करनेका नियम यों है,- मुबारिक। २ बहुत मैत्रीभाव-सम्पन्न, निहायत अष्टमी और चतुर्दशी तिथिको प्रायश्चित्त करना न दोस्ताना। ३ बहुत माननीय, निहायत इज्जतदार। चाहिये। इसके सिवा जिस तिथिको प्रायश्चित्त करे, अतिसुन्दर (सं० त्रि.) १बहुत सुन्दर, निहायत उसके पहले दिन रोगी मस्तकादि मुण्डन करा खूबसूरत । (पु०-स्त्री०) २ अष्टि, चित्र या कङ्गला सायंकालको केवल किञ्चित् पृत खाकर रह जाये। छन्दका एक पद्य, एक प्रकारको बहर । सवेरा होनेसे यथानियम नित्यक्रियादि सम्पन्न करे। अतिसुलभ (सं० त्रि०) सरलतासे प्राप्त होनेवाला, इसके बाद ऊपर जो पत्रिका लिखी गई है, उसे जो आसानीसे मिल जाये। तालपत्रादिमें अङ्कितकर कौडी किंवा सोना, जो अतिसुहित (सं० वि०) अत्यन्त कृपालु, निहायत उत्सर्ग करना हो, उसके ऊपर रख दे। इस तरह मेहरबान। आयोजन होने के बाद उत्सर्गके निम्नलिखित मन्त्रको अतिसूक्ष्म (स० वि० ) अतिशय सूक्ष्म, निहायत पाठ करना होता है,- बारीक। अद्य अमुक मासे अमुक पक्षे अमुक तिथि अमुक गोवः श्रोअमुकदेव शम्मा अतिसाररोगसंसूचित पापक्षयकामोऽचितां इमा पञ्चदशकापणी अतिसृज्य (स० त्रि०) अति-सृज-क्यप्। १ सर्जनीय, तन्म ल्य नुब्धमिद' सुवर्ण रौप्य' वा विष्णुदैवतं यथासम्भव गोवनाम्ने उत्पन्न करनेके योग्य । २ त्यज्य-त्याग करने योग्य । ब्राह्मणायाहं दर्द। अतिसृष्ट (सं० त्रि.) अति-सृज-त। १ दत्त, अवशेषमें दक्षिणादिके बाद पार्वण-श्राद्ध करे। दिया हुआ। २ प्रेरित, भेजा गया। इसमें असमर्थ होनेसे एक भोज्य-भोजन पर्याप्त अतिसृष्टि (सं० त्रि.) अपूर्व जगत्, अनोखी पदार्थका उत्सर्ग करना आवश्यक है। यह प्रायश्चित्त दुनिया। विधि सञ्चित ग्रहणौ या अतिसारके पक्षमें नियत है; अतिसेन–एक राजाका नाम, सम्बरके एक पुत्र। अल्पकालस्थायी हैजे किंवा सामान्य उदरामयके अतिसेवन (स• लो०) किसी वस्तुका अधिक सेवन- लिये नहीं। करना, अधिक मात्रासे औषधका व्यवहार, मिकदारसे अतिसारकिन्, अतीसारकिन् (स• त्रि.) अतिसारोऽ ज्यादा दवाका इस्तेमाल । स्थास्ति। अतिसार-इनि-कुक् च। वातातीसाराभ्यां कुक् अतिसेवा (सं० स्त्रो०) अधिक सुश्रूषा, अधिक व्यवहार, च। पा ५।२।१२८ । अतिसाररोगग्रस्त, पेचिशको बीमारीसे अज़हद इस्तेमाल । जकड़ा ; उदरामयरोगी, पेचिशका बीमार। अतिसौपर्ण (सं० त्रि.) सुपर्ण-गरुड़से भी बड़ा। अतिसारको (स' त्रि०) अतिसाररोगी, पेचिशका अतिसौम्या (सं० स्त्री०) १ अधिक शीतल-स्वभावको बीमार। स्त्री। २ यष्टिमधुका, मौरठी। अतिसारभेषज (सं० लो०) लोध्र, लोध । अतिसौरभ (स० पु० ) अतिशयितं सौरभमस्य, प्रादि-