पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६९२

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६१ भगवान गोला-भगवानदास (राजा.) कार्य में लिप्त रहकर वे अपना संसारिक खर्च जुटाते भगवानदास (राजा)-अम्बराधिपति राजा बिहारीमल्लके थे। स्वभावतः स्वाधीन प्रकृतिके पक्षपाती होने पर भा पुत्र और मुगलसेनापति राजा मानसिंहके पिता। ये कच्छ. उन्होंने कभी भी गवर्मेण्टके अधीन काम करना स्वीकार वाह-वंशके थे । १६६ ई०में सम्राट अकबरशाह जव अज- नहीं किया। कई बार वे बार्गेश और कैम्येल साहवके मेर देखने गये, उस समय पिता और पुत्र दोनोंने मिल अनुरोधसे बम्बई गैजेटियर पत्रिकाके संग्रहकार्यमें लगे कर सम्राटसे आश्रय मांगा था * । थे। इसके अलावा काठियावाड़ प्रभृति देशोय राजाओं १८० ई०में सर्णलके समीप इब्राहिम-हुसेनमिर्जाके की बदान्यतासे उन्हें विशेष कष्ट भोगना नहीं पड़ा। साथ युद्ध के समय उन्होंने अकबरशाहकी जान बचाई मृत्युके पहले ही उन्होंने अपनी सगृहीत प्राचीन मुद्रादि थी। अनन्तर वे राणा अमरसिंहको दिल्लीमें पकड़ लाये वृटिश म्यूजियममें दे दी थी। और इसीसे उनकी यशःख्याति चारों ओर फैल गई। भगवान गोला--- बङ्गालके मुशिर्दावाद जिलान्तर्गत गङ्गा बाद जिलान्नगेत गङ्गा सम्राटके राज्यकालके तेरहवें वषमें कच्छवाहगण नदीके किनारे एक वाणिज्य स्थान । यह अक्षा० २४ उनका नुजुल पञ्जाव ले गए, तदनुसार राजा भगवान २० उ० और देशा० ८८ २०३८ पू०के मध्य कलकत्ते- दास भी उक्त प्रदेशके शासनकर्ता बनाये गए । २६वें से ६० कोस उत्तर अवस्थित है । नये और पुरानेके भेद- वर्ष में भगवानकी कन्याके साथ सम्राट-पुत्र सलीमका से इसी नामके दो ग्राम ढाई कोसको दूरी पर बसे हैं। विवाह हुआ। ३३वें वर्ष में ये पांच हजारी सेनानायक मुसलमानो आधकारम पुरान ग्रामका अश मुशिदाबाद- और जावूलीस्थानके शासनकर्ताके पद पर अभिषिक्त का वाणिज्यकेन्द्र था और गंगाको बाढ़से डूब जाने पर हुए। खैराबादमें रहनेके समय उनका मस्तिष्क चञ्चल भो अभी यहां बहुत-से मनुष्य इकट्ठे होते हैं। यहां । हो गया और उन्होंने आत्मनाशकी इच्छासे अपने शरीरमें पुलीसे रहती है। दूसरे समय जब नदीकी जलगति अस्त्राघात किया। अनन्तर आरोग्यलाभ करने पर उनके परिवत्तित हो जाती है, तब मनुष्य नये नगरमें चले आते परिवारवर्गके भरणपोषणके लिए सम्राट्ने (३२वें वर्ष में) हैं। कारण, उस समय पुराने भागमें पण्यवाही नौकादि बिहारमें एक जागोर प्रदान की और मानसिंह वहांके नहीं आ जा सकती। राजप्रतिनिधि बनाये गए। शोभासिंहके विद्रोहका दमन करनेके लिए बादशाहो ___६६८ हिजरीमें राजा टोडरमलकी मृत्युके बाद ही सेना जब बङ्गालको ओर बढ़ी तब विद्रोहिनेता रहीम रहाम लाहोर नगरमे उनका देहान्त हुआ। प्रवाद है, कि टोडर- शाहने इसी भगवान गोलाके निकट समावेश हो कर मलको अन्त्येष्टिक्रियाके बाद वे घर लौटते ही मूत्रकृच्छ- जवरदस्त खों और वादशाही सेनाके विरुद्ध घोरतर युद्ध रोगसे आक्रान्त हुए और इसके पांच दिन बाद ही १५८६ किया था। ई०की १५वीं नवम्बरको उन्होंने मानवलीला संवरण की। भगवान दास-एक निष्ठावान् वैष्णव साधु । एक समय __उनकी मृत्युके समय सम्राट् काबुलमें थे। उन्होंने राजाने आशा घोषित कर दी, कि जो कोई वैष्णव तिलक वहीं से वङ्ग विहारके अधिपति कुमार मानसिंहके और तुलसी माला धारण करेंगे, तीन दिन बाद उनका ऊपर राजाकी उपाधि और पांच हजारी सेनानायक- सिर काट लिया जायगा। इस कठिन दण्डाज्ञाको सुनते का पद अर्पण किया । राजा भगवानदासने जीवित- ही अनैष्ठिकोंके मनमें भय उत्पन हुआ और उन्होंने कण्ठो तथा तिलकका परित्याग किया। किन्तु भगवानदासने कालमें लाहोर नगरको जुम्मा-मसजिद वनवाई । उस प्रमादकालमें मृत्युका निश्चय जान सारे शरीरमें

  • राजा बिहारीमल्लने अपनी कन्या दे कर अकबर शाहके

तिलक लगा लिया। तीन दिन बाद राज-कर्मचारीगण उन्हें पकड कर राजाके समीप ले गये। अनन्तर राजाने साथ कुटुम्बिता दृढ़ की। राजपूतोंमें इन्होंने ही सबसे पहले उनकी विमल भक्ति-निष्ठासे संतुष्ट हो कर उनको छोड मुगलराजके अधीन नौकरी पाई थी। विहारीमल्ल देखो। दिया। (भक्तमान २५) +राजपुत्र खुसरू ही इस राजपूत-वालाके एकमात्र पुत्र थे।