पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/६६

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फरीदकोट-फरीदपुर यह अक्षा० ३०१३ से ३०५० उ० और देशा०७४ ३१ । मण्टने उन्हें यथेष्ट पारितोषिक दिया । १८७४ ई०में से ७५ पू० फिरोजपुर जिलेके दक्षिणमें अवस्थित उनकी मृत्यु हुई। बाद उनके लड़के विक्रमसिंह राजा है। भूपरिमाण ६४२ वर्गमील और जनसंख्या सवा हुए। १८६३ ई०को सनदके अनुसार अधिकारियोंने लाखके करीब है। इसमें फरीदकोट और कोटकपुर इस राजसम्पत्तिका पुत्रपौत्रादिक्रमसे भोग करनेका नामके २ शहर और १६७ ग्राम लगते हैं। राज्य इसके अधिकार पाया है। उन्हें दत्तक लेनेका भी अधिकार उत्तर-पश्चिममें पड़ता है। राज्यका पश्चिमांश अनुर्वर है। राज्यमें जितने द्रष्य आते हैं, उन पर किसी प्रकार- है। पर पूर्वाशमें अच्छी फसल लगती है। का कर निर्धारित नहीं है। वर्नमान राजाका नाम ब्रिज- ___ जलाभाव होनेसे ग्वेती-वारीमें भारी नुकसान पहुं-1 इन्द्रसिंह जी है। इन्हें सरकारको ओरसे ११ सलामी चता है । एकमात्र वृष्टि ही प्रजाका भरोमा है। किसी तो मिलती हैं। इनके पास ४१ घुड़सवार, १२७ किसी वर्ष जब विलकुल पानी नहीं वरसना, नव प्रजाके पदाति, २० गोलन्दाज और ६ कमान हैं । फरीदकोट कष्टकी सीमा नहीं रहती। इस कारण यहांका राजस्व शहरमें एक हाई-स्कूल और एक दातव्य चिकित्सालय समय पर वसूल नहीं होता. समयानुसार वह घटा बढ़ा है जिसका खर्च राज्यको ओरसे दिया जाता है। भी दिया जाता है। २ उक्त राज्यको राजधानी, यह अक्षा० ३०४० उ० ___ यहांके सरदार वराडजाटवंशीय हैं। भल्लन नामक और देशा० ७४४६ पू०, फिरोजपुरसे २० मील दक्षिणमें उस वशके पूर्वतन कोई व्यक्ति सम्राट अकवर शाहके अवस्थित है। जनसंख्या प्रायः १०४०५ है। प्रायः शासनकालमें अपने कुल गौरवको रक्षा कर गये हैं। सात सौ वर्ष हुए, बाबा फरीदके समय मञ्ज राजपूतराज उनके भतीजेने कोटकपुरा नामक दुर्ग बनवाया और स्वय। मोकलसीने अपने नाम पर यहां एक दुर्ग बनवाया था। स्वाधीनभावमें राज्य करने लगे। १९वीं शताब्दीके इसी शहरमें फरीदकोटका राजप्रासाद अवस्थित है। प्रारम्भमें पाव-केशरी महाराज रणजिसिंहने कोटक यहां एक हाई स्कूल और दातव्य चिकित्सालय है। पुरा और पीछे फरीदकोट दखल कर लिया। उन्होंने फरोदनगर --मीरट जिलेकी गाजियाबाद तहसीलका एक १८०८. और १८०६ ई०के मध्य शतद्रु के वामकृलवत्तीं शहर यह अक्षा० २८४६ उ० और देशा० ७७४१ पू० सब विभागोंको दखल किया था, वृटिशगवर्मेण्टने उन्हें मीरट शहरसे १६ मोल दक्षिण-पश्चिममें अवस्थित है। प्रत्यर्पण कर देनेके लिये प्रार्थना की। आखिर नितान्त : जनसंख्या ५६२० है ! सम्राट अकबरके समय फरीद- अनिच्छा रहते हुए भी महाराज केवल फरीदकोट लौटा उद्दीन खाँने इसे बसाया। यहां एक प्राइमरी स्कूल है। देनेको बाध्य हुए। फरीदपुर- - बङ्गालके ढाका विभागान्तर्गत एक जिला । १८४५ ई०में सिख-युद्धके समय सरदार पहाड़सिंह- यह अक्षा० २२ ५२ से २३ ५५ उ० तथा देशा० ८६ ने अङ्गरेजोंका पक्ष लिया था, इस प्रत्युपकारमें उन्हें १६ से १०.३७ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण राजाको उपाधि मिली थी। इसी समय उन्होंने नाभा- २२९१ वर्गमील है । इसके उत्तरमें पद्मानदी, पूर्वमें अधिकृत राज्यका कुछ अंश तथा निज पैतृक सम्पत्ति मेघना, पश्चिममें गड़ई नदी और दक्षिणमें बाखरगञ्ज है। कोटकपुर प्राप्त किया। जिलेके उत्तरांशवत्तीं स्थान अपेक्षाकृत ऊंचे हैं। १८४६ ईमें द्वितीय मिखयुद्धके समय पहाड़सिंह- फरीदपुर नगरसे यह क्रमशः ऊंचा होता आया है। के लड़के नजीरसिंहने अङ्रेजोंको खासी मदद वाखरगञ्जके निकटवत्ती स्थान प्रायः जलमग्न रहते हैं। पहुंचाई थी । १८५७ ई०के गदरमें वे विदोह- : यहां तक कि नावके सिवा यहां आने जानेका कोई दमनमें भी अङ्गारेजोंके साथ थे । यहां तक, दूसरा उपाय नहीं है। वहांके लोग प्रायः नदी कि वे उन विदोहियोंके गांवके गांव जला देनेसे भी बाज किनारे दलदलके निकटस्थ उच्चस्थान पर हो वासगृह न आये । उनके कार्यसे प्रसन्न हो कर वृटिश-गव- वनाते हैं। प्रबल वर्षामें वह स्थान द्वोपके सदश दिखाई