फतेगञ्ज ( पूर्व )-फतेजङ्ग ५७ सेनापतिके निकट आत्मसमर्पण करनेको वाध्य हुए। सके। पलातकोमेसे कुछ तो नदीमें विद्रोहियोंके हाथ इसके बादसे वे मुगलोंके अधीन काम करने लगे। डुबोऐ गये और कुछ कानपुर भागते समय नाना साहब फतेगञ्ज (पूर्व)-युक्तप्रदेशके बरेली जिलान्तर्गत एक के शिकार बन गये थे। जो आश्रय पानेके लिये इधर प्राम। इसके दो विभाग हैं, पूर्व और पश्चिम । यह उधर भटक रहे थे, वे भी धृत हो कर तीन मास कारा अक्षा० २८४ उ० और देशा० ७६ ४२ पू० बरेलीसे गारमें रखे गये और पीछे यमराजके मेहमान बने । उन शाहजहानपुर जानेके रास्ते पर अवस्थित है । १७७४ ई०में मृत देहको एक कृपमें डाल कर ऊपरसे एक स्मृति- यह स्थान अङ्गरेज-रोहिला-युद्धको रङ्गभूमि हो गया था। स्तम्भ खड़ा कर दिया गया है। इस युद्धमें रोहिला-सरदार हाफिज रहमत् खाँकी मृत्यु आज भी यहां मोरटविभागका सेनावास है। १८१८ हुई । अयोध्याके नवाब वजीर सुजाउद्दौलाने अङ्रेजोंको ईमें यहां बृटिश गवर्मेण्टकी गन कैरेज-फैकृरी ( Gun- जय-धोषणाके लिये यहां वर्तमान ग्राम वसाया। इसके Carriage Factory ) स्थापित हुई। १८३० ई में बाद ये सव स्थान उनके दखलमें आ गये। काशीपुर ( कलकत्ते के उत्तर )-की सेण्ट्रल फैकृरीके उठ फतेगञ्ज (पश्चिम ).. उक्त बरेली जिलेका एक ग्राम । जानेके बादसे सेनाविभागके कमानवाही यानादि यहां यहां भी १७६४ ई०के अफ्तूवर मासमें अङ्गरेजों आर पर ही बनाये जाते हैं। रोहिलोका युद्ध हुआ । इस बार भी रोहिलोंकी ही ईमाइयोंने यहां अनाथ बालक-वालिक ओंके लिए हार हुई थी। इस युद्धक्षेत्रमें दो रोहिल-सरदारोंकी कन एक मकान बनवा दिया है। यहांके लोग कृषिकाय द्वाग और मृत-अगरेजसेनाकी समाधिके ऊपर जो स्मृति- अपना गुजारा चलाते हैं। यहां गन-कैरेज फैकृरीके स्तम्भ स्थापित हुआ था वह आज भी देखनेगे अलावा एक मिडिल स्कूल, बहुतसे प्राइमरी स्कूल, एक आता है। बालिका स्कूल तथा एक ऐसा स्कूल है जिसमें केवल फतेगढ़-१ पक्षावके पतियाला राज्यके अन्तर्गत अमरगढ़ यूरोपियन तथा यूरोपियनके लड़के पढ़ते हैं। निजामतकी एक तहसील। यह अक्षा० ३०३३ से ३० २ पञ्जाबके गुरुदासपुर जिलान्तर्गत फतेगढ़ तह- ५९ उ० और देशा० ७६१७ से ७६ ४२ पू०के मध्य सीलका एक नगर। यहां काश्मीरी शालका विस्तृत अवस्थित है। भूपरिमाण २४३ वर्गमील और जनसंख्या कारबार होता है। लाखसे उपर है। इसमें बसी और सरहिन्द नामके २ फतेजङ्ग-१ पञ्जावके अन्तर्गत रावलपिण्डो जिलेको एक शहर और २४७ ग्राम लगते हैं। तहसील। यह अक्षा० ३३१ से ३३ ४५ उ० और देशा० फतेगढ़-युक्तप्रदशके फर्रुखाबाद जिलेका सदर । यह ७२ २३ से ७३१ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण अक्षा० २७ २४ उ. और देशा० ७६३५ पू०के मध्य ८६६ वर्गमील और जनसंख्या लाखसे ऊपर है। अवस्थित है। जनसंख्या सोलह हजारसे ऊपर है। २ उक्त उपविभागका एक प्रधान नगर। इसका पहले यह स्थान अयोध्याके नवाब वजोरोंके प्राचीन हिन्दुनाम चास है। यहां अति प्राचीन और पूर्व- अधिकारमें था । १८२० ई०में जब यह अङ्ग- तन प्रीक राजाओंके समयकी मुदा पाई गई है। यहां रेजोको सुपुर्द किया गया, तब यहां गवर्नर जेन जलाभाव होने पर भी नगरको अवस्था खराब नहीं है। रलके एजेण्ट साहबका सदर स्थापित हुआ। १८०४ कालावागं और खुसालगढ़ तक दो बड़ी बड़ी सड़कें ईमें होलकरराजने फतेपुर दुर्ग पर धावा बोल दिया। चली गई हैं जिससे वाणिज्य व्यवसायको विशेष सुविधा पीछे लार्ड लेकके आने पर वे हार खा कर भागे। है। नगरसे आध कोस दूर २२५ फुट लम्बा, १६० फुट अनन्तर १८५७ ई०में सिपाही-विद्रोहके समय यह स्थान चौड़ा और. २६। फुट ऊंचा मट्टीका एक रोला है। इस भङ्गरेजोंके खूनसे तर हो गया था। अगरेज लोग अव- स्तूप परके प्रस्तरादिका गठन देखनेसे मालूम होता है, रोधके समय दंगकी रक्षा करके भी अपनेको न बचा कि हिन्दूप्रभावकालमें यहां एक बड़ा दुर्ग था। उसके
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