पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४९९

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बेतियाराज-बेतुल दिया और एक सुन्दर भवन तथा १० एकड़ जमीन : ११ से ७८.३४ पू०के मध्य अवस्थित है । भूपरिमाण दी। महाराजाका प्रासाद जो इसी शहरमें है उत्कृष्ट ३८२६ वर्गमील है । इसके उत्तर और पश्चिममें होसङ्गा- कारुकार्यविशिष्ट है। शहरमें सरकारी दफ्तर और एक बाद, पूर्वमे छिन्दवाड़ा और दक्षिणमें बेरारका अमरौतो छोटा जेल है। जिला है। बदनूर नगर इसका विचारसदर है। मध्य- बेतियाराज-बिहार और उड़ीसाके चम्पारन जिलान्तगत प्रदेशके चीफ कमिश्नर से यह जिला शासित होता है। उक्त उपविभागका बड़ा स्टेट। इसका भूपरिमाण १८२४ । यह जिला प्रायः पार्वत्य अधित्यकासे पूर्ण है और वगमील है । १७वीं शताब्दीके मध्य भागमें प्रसिद्ध योद्धा' समुद्रपृष्ठसे २००० फुट ऊंचा है । इसके प्राकृतिक दृश्य- राजा उग्रसेनसिंहने अपने बाहुवलसे बिपुल सम्पत्ति उपा- को पर्यालोचना करनेसे यह दो भागोंमें विभक्त प्रतीत र्जन को । वे ही इस विस्तृत राज्यके प्रकृत स्थापयिता होता है। इसका प्रधान नगर बेतुल जिलेके ठीक मध्य- हैं। पीछे राजा युगल किशोरसिंह राजतख्त पर बैठे। में अवस्थित है। माछना और मापना नदीके बहनेसे उनके समयमें सरकारो कर बहुत पड़ जानेके कारण राजा जमीन खूब उर्व रा हो गई है। नदीतीर अथवा उसके ब्रिटिश सरकारके विरुद्ध खड़े हो गगे। आखिर राजाकी आम पासका स्थान शस्य समृद्धिस श्रीसम्पन्न हो हार हुई और राज्य डारेक मनेजमेण्टके अधीन कर दिया . गया है। इन दोनों नदियोंके पश्चिम भागमें आग्नेय गया। कुछ समय बाद जब पृटिश सरकारने बाकी गिरिके अग्न्युत्यातोत्थित पदार्थ द्वारा गठित बहुत कर वसूल होनेका काई उपाय न देखा तब ऊंचा पर्वत रहने के कारण वहां लोगोंका बास नहीं है। लाचार हो १७७१ ई०में मझाव और सिमरोन परगने उसके पश्चिमस्थ निविड़ जंगलके मध्य हो कर ताप्ती राजाको तथा शेष अंश उनके भतीजेको प्रदान किये। नदी वह गई है। जिलेके दक्षिण भागमें एक पर्वतशृङ्ग १७६१ ई०में युगलकिशोरके पुत्र वीर किशोरके साथ उक्त पर पवित्र मूलताई नगर विद्यमान है। इस मूलताईकी दोनों परगनेका दससाला बन्दोवस्त किया गया । १८३० अधित्यका भूमिस तामी, वर्धा और बेलनदो निकल ई०में वोरकिशोरके उत्तरधिकारी आनन्द किशोर नृटिश कर जिलेके पूर्व और पश्चिमभागमें बह गई हैं। तप. सरकारसे महाराज बहादुरकी उपाधिसे भूपित हुए। नदी जिलेके उत्तर-पूर्व कोनेमें बहती है । पूर्वकथित १८६७ ई०से यह राज्य कोर्ट आव बार्डके अधीन है। माछना, सापना और मोग्न नदीको छोड़ कर पर्वतकी राजा जातिके भूमिहार हैं। ___ उपत्यकासे और भी कितने पहाड़ी सोत निकल कर बेतीकलान-अयोध्याप्रदेशके रायबरेली जिलेका एक खेतोंमें वर्ष भर जल देते रहते हैं। पश्चिमके पार्वत्य वन- नगर। यहां एक सुन्दर बहुत पुराना महादेवका मन्दिर भागमें शाक, शोशम, अजुन और शाल आदि वृक्षोंका वन है । उम बनमें अधिकतर गोंड और कुकु जातिका बेतीगेड़ो-बम्बई प्रदेशके धारवाड़ जिलेका एक नगर । वास है। उस स्थानका २८७ वर्गमोल वनभाग गवर्मेण्टके यह अक्षा० १५ २६ उ० तथा देशा० ७.४१ पू० गड़गसे म श्रेणीका और ८५० वर्ग मील बन २य श्रेणीका रक्षित १ मीलकी दूरी पर अवस्थित है। गड़ग और बेतोगेड़ी बनभाग कह कर निर्दिष्ट है। एक म्युनिस्पलिटोके अधीन है। प्रति सप्ताह एक दिन अति प्राचीनकालसे वेतृल नगर खेला गोंड राज्यका हाट लगती है। हाटमें विशेषतः रुईको लाखों रुपयेकी , शासनकेन्द्र चला आ रहा था। फिरिस्ताके विवरणमें विक्री होती है। किसी किसी गोंड राजाका वर्णन छोड़ कर और कहीं भी बेतुगीदेव-चालुक्य वंशीय एक राजा। सङ्गमेश्वर में एक धारावाहिक इतिहास नहीं मिलता । उक्त प्रन्यसे हम इनको राजधानो थी। लोगोंको पता लगता है, कि १५वीं शताब्दीमें खेल के गोंड़- बेतुल-मध्यप्रदेशके नरबुदा विभागका एक जिला। राजाके साथ मालवराजका घोरतर युद्ध चला था। उस यह अक्षा० २१ २२ से २२ २३ उ० तथा देशा० ७७ युद्ध में कभी मालवराजकी और कभी गोंडराजकी जीत Vol. xv. 124