पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४८६

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४८० वेचना-बेमावर (व्यावर) पोठको सहारा भी मिल सके। २ सरकारी न्यायालयके सरोके पेड़का-सा बेलबटा। दावनीया-बदी नामक न्यायकर्ता। गहना जिसे स्त्रियां माथे पर पहनती हैं। बेंचना (हिं० क्रि० ) बेबना देखो। बेंबड़ा (हिं० पु०) बंद किवाड़े के पीछे लगानेकी लकड़ी। मेंट ( हिं० स्त्री०) औजारों आदिमें लगा हुआ काठ या इसे भरगल भी कहते हैं। इसी प्रकारकी और किसी चीजका दस्ता, मूठ। वताना (हिं० क्रि०) सिलानेके लिये किसीसे कपड़ा बेंड ( हिं० पु०) १ वह भेड़ा जो भेड़ोंके झुण्डमें बच्चे ! नपवाना । उत्पन्न करनेके लिये छूटा रहता है। २ दलालकी बोली- थे। फा० अध्य.) १ बिना, बगैर । ( हिं० अध्य० ) २ छोटों- में नगद रुपया पैसा, सिक्का । ३ पड़ाव । ( स्त्रो०) ४ वह । के लिये एक संबोधन शब्द सो प्रायः अशिष्ठता-सूचक माना जाता है। चोज जो किसी भारको नीचे गिरनेसे रोकने के लिये उस. बेअमल ( फा० पु. ) मूर्ख, बेवकूफ । के नीचे लगाई जाय, चाँह। बेअकली। फा० स्त्री०) मूर्खता, येवकृफो। बेंडा (हिं० पु०) १ बंबड़ा देग्वा । (वि०) २ आड़ा, तिग्छा। बेअदब ( फा० वि० ) जो किसीका अदव न करता हो, जो ३ कठिन, मुश्किल। धेड़ी (हिं० स्त्री० ) एक प्रकारको टोकरी जो वांसकी वनी 1. बड़ोंका आदर-सम्मान न करता हो। बेअदबी ( फा० स्त्री०) बेअदव होनेका भाव, गुस्तान। होती है। इसमें चार रस्मियां बंधी रहती हैं। उन बेआब ( फा० वि) , जिसमें आव या चमक न हो। २ रास्सयोको सहायतासे दा आदमा मिल कर किसा: जिसकी कोई प्रतिष्टा न हो। गाढेका पानी उठा कर खेत आदि सींचते हैं। इसे बेआबर ( घ्यावर )---अजमेर जिलेका एक नगर। यह लिया और दौरी भी कहते हैं। अक्षा० २६५ उ० तथा देशा० ७४.१६ पू०के मध्य अव- में होमसकली (हि. स्त्री०) हँसियाके आकारका लोहे- स्थित है। जनसंख्या प्रायः २२००० है जिनमेंसे हिन्दू- का एक औजार । इममें काठका दस्ता लगा रहता है। की संख्या ज्यादा है। ग्थानीय लोग इसे नयानगर इससे बरतनों पर जिला भी की जाता है। कहते हैं। अजमेर मेवाड़ विभागके अंजगंज कमि- बढ़ (हिं० पु० ) खंभे आदिके ऊपरो पतले भागमें पहनाया ! श्नरने १८२, ईमें यह नगर सेनानिवासके लिये हुआ किसी चीजका पतला चौकोर पत्तर या इसी प्रकार बमाया। मेवाडकी राजधानी उदयपुर और मारवाड़- का और कोई पदार्थ । इसका उपयोग यह जानने के लिये को राजधानी जाधपूरके बीच में पापित होनेके कारण होता है कि हवा किम ओर बह रही है। यह महजमें यह स्थान थोड़े हो मायके अन्दर एक प्रधान चारों ओर घूम सकता है और हमेशा हवाके मात्र पर वाणिज्य केन्द्र में परिणत हुआ, नथा धनजनसे पूर्ण घूमता रहता है, फरहरा । हा इमको आशातीत श्रीवृद्धि हुई। नगरके चारों बेंत ( हि० पु०) १ एक प्रसिद्ध लता । इसकी गिनती और पत्थरकी प्राचीर हैं। यहांकी सडक बहत ताद या खजूर आदिकी जातिमें की गई है। विशेष विस्तृत है और दोनों ही पार्श्व वडे बडे वृक्षों की छायासे विवरण वेतस शब्दमें देग्यो । २३नके डंठलसे बनी हुई छड़ो । मुशीतल है। दली (हिं० स्त्री.) माथे पर लगानेको विदी, टिकली।' शहरमें कपासका विस्तृत कारबार है। कपासको बंदा (हिं० पु०) : माथे पर लगानेका गोल तिलक, टीका। गांठ बांधनके लिये दो हाइमालिक काटन प्रेस प्रतिष्ठित २ एक प्रकारका आभूषण जिसे स्त्रियां माथे पर पहनती हैं। अलावा इसके लोहेकी चीज बनानेका भी एक बहुत हैं। ३ एक प्रकारको टिकली जो माथे पर लगाई जाती लम्बा चौड़ा कारखाना है। इन सब लोहेके बरतनों है। ४ एक प्रकारका आभूषण जो टिकलीके आकारका और रंगीन कपड़ोंकी विभिन्न स्थानों में रफ्तनी होती होता और माथे पर पहना जाता है। है। स्थानीय अफीमकी खेती और बाणिज्य उल्लेख. बेंदो ( हिं० स्त्रो०) १ टिकलो, विदो । २ शून्य, सुना। ३. योग्य है।