बुलन्दशहर से सारा बेरार राज्य प्राप्त किया। १८१३ ई में मह- कालमें वह स्थान पाण्डवराजधानो हस्तिनापुरके अधि- राष्ट्रदलने फिरसे फतेखेदला पर अधिकार किया । कारमें था। उक्त नगर गङ्गामें बह जानेके बाद कोई पिण्डारो युद्धके बाद १८२२ ई०को सन्धिके अनुसार शासनकर्ता आहर नगरमें रह कर यहांका राजकार्य यह प्रदेश सम्पूर्णरूपसे निजामके हस्तगत हुआ। इसके ! चलाते थे। शिलालिपिसे मालूम होता है, कि एक बाद महाराष्ट्रोंको फिर अपना सिर उठानेका साहस न समय यहां गौड़ ब्राह्मणोंका वास था और गुप्तराजगण हुआ। किन्तु स्थानीय जमींदार, तालुकदार, राजपूत यहांका शासन करते थे। १०१८ ई०में जब गजनीपति और मुसलमानोंके उपद्रवसे राज्य भरमें विशेष उच्छ-: महमूद वरण ( बुलन्दशहरका चलित नाम ) नगरमें झुलता उपस्थित हुई। इस विप्लवके फलसे १८४६ ई०मे पहुंचे, उस समय हरदत्त नामक एक हिन्दूराजा यहां मालकापुर लूटा गया था। १८५१ ई०में यादववंशधरोंकी : राज्य करते थे। मुसलमान ऐतिहासिकोंने लिखा है, अधिनायकतामें शेष पेशवा बाजीरावको अरबीसेनाने कि उस दुर्द्धर्ष मुसलमानराजाके सरसे हिन्दूराजाने दल- निजाम सेनाको परास्त किया। इस कार्यसे असन्तुष्ट हो बल समेत इस्लामधर्म ग्रहण कर लिया और इस प्रकार अंगरेजोंने बाजीरावकी पूर्व सम्पत्ति छोन ली और उन्हें उसके हाथसे निष्कृति पाई। उस समयसे उस अन्त- बिठुर नगरमें नजर बंद रखा। दीमें नाना वर्गों के लोग आ कर बस गये। आज भी इस जिले में ६ शहर और ८७० ग्राम लगते हैं। जन- उन मब जातियोंका इस जिलेके किसी किसी स्थान पर संख्या साढे चार लाखके करीब है। विद्याशिक्षामें यह अधिकार देखा जाता है। जिला बेरारके छः जिलोंमें छठा पड़ता है। सैकड़े पीछे ११६३ ई में जब कुतबुद्दीनने वरणकी ओर कदम ४ मनुष्य पढ़े लिखे मिलते हैं। अभी कुल मिला कर · बढ़ाया, तब वहांके अधिपति दोरवंशीय राजा चन्द्रसेनने २०० स्कूल हैं। स्कूलके अलावा १ अस्पताल और दलबल ले कर उनका मुकाबला किया था। आखिर उनके ७ चिकित्सालय हैं। आत्मीय जयपालके षड़यन्त्रसे मुसलमानराजने उक्त नगर २ उक्त जिलेका एक शहर। यह अना० २०१२ पर अधिकार जमा लिया। जयपालके इस्लामधर्म ग्रहण उ० तथा देशा० ७६१ पू. समुद्रपृष्ठसे २१६०० फुट करनेके बाद मुसलमानराजाने प्रसन्न हो उन्हें उक्त नगर ऊँचा है। जनसंख्या ४१३७ है। १८६३ ई०में यहां का चौधरी पद प्रदान किया। उनके वंशधरगण आज म्युनिसपलिटी स्थापित हुई है। भी इस जिलेकी कुछ सम्पत्तिका भोग कर रहे हैं। बुलन्दशहर --युक्तप्रदेशके मोरट विभागमें अवस्थित एक १४वीं शताब्दीसे यहां राजपूत जातिका अभ्युदय जिला। यह अक्षा० २८४ से २८ ४३ उ० तथा देखा जाता है। उन राजपूतोंने यहाँके पूर्वतन अधि- देशा० ७७ १८ से ७८ २८ पू०के मध्य अवस्थित है। वासियोंको भगा कर उनके प्रामादि दखल कर लिये। भूपरिमाण १८६६ वर्गमोल है । इसके उत्तरमें मोरट : पीछे मुगल-आक्रमणके समय इस प्रदेशकी दुरवस्था जिला, पश्चिममें यमुना नदी, दक्षिणमें अलीगढ़ और और भी बढ़ गई थी। पोछे सम्राट अकबरके सुशासन पूर्वमें गङ्गा नदी है।
- से तमाम शान्ति बिराजने लगी । परन्तु औरङ्गजेब
गङ्गा और यमुना नदीके अन्तर्वेदीके मध्य अवस्थित यहांके इस्लाम धर्मावलम्बी हिन्दू अधियासियोंके ऊपर रहने के कारण यह स्थान बहुत उर्वरा है। समूचा जिला अत्याचारकी पराकाष्ठा दिखानेसे बाज नहीं आये। वहा- अधित्यकाकी तरह समुद्रपृष्ठसे प्रायः ६५० फुट ऊंचा : दुरशाहके समयसे (१७०७ ई.) मुगलशक्तिका अधः. है। गङ्गा और यमुनाके अलावा जिले में काली नदी पतन शुरू हुआ। इस अवसर पर गुजर और जाटसर- (कालिन्दी ), हिन्दन, करोन, पटवाई और छोइया नामक दारोंने बागी हो कर छोटे छोटे स्वतन्त्र राज्य स्थापन कई एक छोटी छोटी नदियां बहती हैं। किये थे। स्थानीय प्रबादसे जाना जाता है, कि अति प्राचीन- १८वीं शताब्दीमें कोहल-नगरमें रह कर महाराष्ट्र-