पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४००

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बिन्दुमाधव-विम्बिसार बिन्दुमाधव (सं० पु० ) १ विष्णुका नामान्तर । २ काशी-विभ्रक्ष (सनि.) दग्ध करनेमें इच्छुक। स्थित येणीमाधव । विन्दुमाधव देखो। |बिमन (हिं० वि०)१ जिसे बहुत दुःख हो। २चिन्तित, बिन्दुरक ( सं० पु० ) वृक्षविशेष । उदास। (क्रि.वि.)३बिना चित्त लगाए, अनमना बिन्दुरेखक (स० पु०) विन्दुशिविष्टा रेखा यत्र, कन् । पक्षि- हो कर । भेद। विमोहना ( हिं० कि० ) मोहित करना, लुभाना। बिन्दुरेखा (सं० स्त्री०) १ बिन्दुसम्बलित रेखा । (Dotline) विमौरा ( हिं० पु० ) वाल्मीक, वामी। २ राजा चण्डविक्रमकी कन्या । बिम्ब ( सं० क्लो०) वी गत्यादिषु (उल्वादयम्भ । उण ४।६५) बिन्दुवासर (सं० पु०) विन्दुपातस्य वासरः। गर्भमें | इति वन् प्रत्ययेन निपातनात् साधुः।१ प्रतिबिम्ब, छाया, सन्तानोत्पत्तिकारक शुक्रपातदिन, वह दिन जब प्रथम अकस। २ कमण्डलु। ३ मूर्ति। 8 बिम्बिका फल, गर्भसञ्चार हो। कुदरु नामक फल। पर्याय-तुन्दिकेरी, रक्तफला, बिन्दुमरस् (सं० पु०) बिन्दुनामकं सरः । एक सरोवर । यह बिम्बिका, पीलुपी, ओष्ठो, बिम्बी, बिम्बा, बिम्बक, अति पवित्र और पापनाशक है । महाभारतमें लिखा है - बिम्ब जा । गुण-पित्त, कफ, छर्दि, व्रण, हल्लास और कैलाभके उत्तरमें मैनाक पर्वतके समीप हिरण्यशृङ्ग नामका कुष्ठनाशक। भावप्रकाशके मतसे इसका गुण-शीतल, एक मणिमय पर्वत है, उसी पर यह रमणीय बिन्दुसरोवर गुरु, पित्त, अन आर वातनाशक, रुचिकर तथा आध्मान- है। इसके किनारे भगोरथने गंगादर्शनके लिये बहुत काल कारक । (क्ली०) ५ सूर्यचन्द्र-मण्डल। ६ मण्डलमात्र । तक तपस्या को थी। इन्द्रने भी यहां सौ अश्वमेध यज्ञ ७ कलास, गिरगिट । ८ सूर्य । । आभास, झलक । १० सम्पन्न कर सिद्धि प्राप्त की थी। मयदानवने जब युद्धि- छन्दविशेष । ष्ठिरकी सभा निर्माण की थी, तब वे यहींसे रत्नादि ले विम्बक (सं० क्लो०) बिम्ब-स्वार्थ-कन् । १ चन्द्रसूर्य- गये थे। (भारत सभापर्व ) मण्डल। २ बिम्बिका फल, कुन्दरू। ३ सञ्चक, बिन्दुसार ( सं० पु० : चन्द्रगुप्तके एक पुत्रका नाम । साँचा। बिन्दुसेन (सं० पु० ) राजा शत्रौजसके पुत्र । बिम्बिकि (सं०९० ) राजपुत्रभेद । बिन्दुहृद (सं० पु० ) बिन्दुसरोवर । बिम्बजा ( सं स्त्री०) बिम्ब फलं जायतेऽस्यामिति जन- विपत्ति (सं० स्त्री०) विपत्ति देखो। ड। बिम्बिका। बिबस ( हिं० वि०) १ विवश, मजबूर। २ परतन्त्र, बिम्बट (सं० पु०) सर्षप, सरसों। पराधीन । ( क्रि० वि० ) ३ विवश हो कर, लाचारीसे। बिम्बर (सं० पु०) उच्च संख्या। विबाई ( हिं० स्त्री० ) पैरका एक प्रकारका रोग। इसमें बिम्बसार (सं० पु० ) बिम्बिसार नरपति । पैरोंके तलएका चमडा फट जाता है और वहां जख्म बिम्बिसार देखो। हो जाता है । इस कारण चलने फिरने में बहुत दर्द होता बिम्बा (सं० स्त्री० ) बिम्ब फलमस्त्यस्यामिति बिम्ब-अच् है। यह रोग प्रायः जाड़े के दिनोंमें और वृद्ध व्यक्तियों- टाप्। बिम्बिका दखो। को हुआ करता है। बिम्यिका (सं० स्त्री० ) १ बिम्ब, छाया। २ चन्द्रसूर्य- विबाको ( अ० श्रो०) १ बेबाक होनेका भाव, हिसाब! मण्डल । आदिका साफ होना । २ समाप्ति, अन्त। विम्वित ( स० वि०) बिम्ब-तारकादित्वादितच् । प्रति- विवि (हिं० वि०) दो। बिम्बयुक्त। बिभिस्सा (सं० स्त्री० ) भेद करनेकी बलवतो इच्छा। विम्विन् (सं० वि० ) बिम्ब सम्बन्धीय। बिभित्सु (सं० वि०) ध्वंस वा नाश करनेमें इच्छुक। बिम्बिसार (संपु०) एक प्राचीन राजाका नाम। ये विभक्षयिषु (स.नि.) भोजनेच्छु, जानेमें पटु। अजातशत्रुके पिता और गौतमबुद्धके समकालीन थे।