पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३७६

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३७० बालिम्-पालिया अफीमके प्रयोगसे उन्मत्त करा कर उसको चिताको बहि- आम्रकाननके सिवा यहां दूसरा बनभाग नहीं देखा में झोंक दिया जाता है। जाता। रेह नामक विभाग और घघरा नदीतीरवत्ती राजा सामान्त वा अमात्यवर्गको मृत्युके आठवें दिन तृणाच्छन्न निम्नभूमि छोड़ कर शेष सभी उच्च भूमि पर उनकी स्त्रियों से मरणके लिये अनुरोध किया जाता थोड़ा बहुत फल मिलता है। नदी किनारे जो जंगल है है। जो सहमरण के लिये अपनी सम्मति प्रकट करती हैं। उसमें नीलगाय और जंगली सूअर पाये जाते हैं। वे जब तक उनके पतिकी अंत्येष्टिक्रिया नहीं होती तब यहांका जलवायु गाजीपुर और आजमगढ़के जैसा है। तक वे खूब सम्मान पाती हैं और सम्पूर्ण सुखको, गाजीपुर और आजमगढ़ जिलेका कुछ अश ले कर भोग सकती हैं। फ्रेडरिक आदि कितने ही यूरोप-! इस जिलेको उत्पत्ति हुई है। इस कारण इसका प्राचीन वासी १८४१ ई०में गियान्यरराजदेवमङ्गीशकी अंत्येष्टि- इतिहास उन्हीं दो जिलों में वर्णित हुआ है। यहां वर्त. क्रियामें उपस्थित थे। यथाविधि शवयात्रामें शवदेहकी मान किसी अट्टालिकाका अस्तित्व नहीं रहने पर भी तरह अन्य तीन अर्थीके ऊपर उनकी तीन स्त्रियों को बहुतसे बौद्ध सङ्घारामादिका ध्वंसावशेष देखने में माता भी बैठा कर मच स्थानमें लाया गया था। श्मशान है। कुण्डलधारी बौद्धयतियोंका वास होनेके कारण ही पहुंच कर सती स्नान करनेके बाद श्वेत वस्त्र पहनती है। इस स्थानका बलिया माम पड़ा है। बौद्ध बालि या बलि तथा वेशविन्यास आदि करके सतीकी तरह हसमुख हो शब्दसे कर्णकुण्डलका बोध होता है। यहां जो एक भग्न स्वर्गमें स्वामीके साथ गमन करनेके लिये उद्यत होती दुर्ग देखा जाता है उसे स्थानीय लोग भरनामक हैं। इस समय उनके शरीर पर आभूपण नहीं होते। अधिवासियों द्वारा निर्मित बतलाते हैं। भर लोगोंके अग्निमें कूदनेके पहिले उनके कवरीबंधन खोल दिये अधःपतनके बाद यहां राजपूत जातिका अभ्युदय हुआ। जाते हैं और उनके बाल खुले रहते हैं। सेनगार, कोलिया, कंसिक, बिसेन, बीरवर, नरौनी, बालिन् । सपु०) बालः केशः उत्पत्तिस्थानत्वेन विद्यते कुन्नवार, नैकुम्भ, बाई, बरहिया, लोहतुमिया, हरिहोबन यस्य, बाल इनि। बानरराज बालि। शाखाएं इस जिलेमें वास करती हैं। "अमोघरेतसस्तस्य वासवस्य महात्मनः । इस जिलेमें १३ शहर और १७८४ ग्राम लगते हैं। बालेषु पतितं वीजं बालीनाम वभूव सः॥ जनसंख्या १० लाखके करीब है। सैकड़े पीछे ६३ (रामा० उत्तरा० ३७ अ०) हिन्दू हैं और शेषमें मुसलमान तथा दूसरी दूसरी इन्द्रका अमोघ तेज बाल अर्थात् केशसे पतित हुआ जातियां हैं। यहांकी प्रधान उपज धान, चना, मकई, था, इसी कारण बालि नाम पड़ा है। बालि देखो। और गेहूँ है। ईख बहुतायतसे उपजाई जाती है। बालिनी ( स० स्त्री० ) अश्विनीनक्षत्र । विद्याशिक्षामें यह जिला बढ़ा चढ़ा .। अभी कुल बालिया-(बलिया ) १ युक्तप्रदेशके बनारस विभागका | मिलाकर यहां १७५ स्कूल हैं। स्कूलके अलावा ५ अस्प- एक जिला। यह अक्षा० २५३३ से २६११ उ० तथा पाल हैं। देशा० ८६ २८ से ८४ ३६ पू०के मध्य अवस्थित है। २ उक्त जिलेकी एक तहसील। यह अक्षा० २५३३ भू-परिमाण १२४५ वर्गमील है। इसके उत्तर-पूर्व में गोगरा, से २५५६ उ० तथा देशा० ८३५५ से ८४ ३६ पू०के दक्षिणमें गङ्गा और पश्चिममें आजमगढ़ तथा गाजीपुर मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण ४४१ वर्गमील और है। गङ्गा और घघरा नदीके सङ्गमस्थल परका सम- जनसंख्या प्रायः ४०५६२३ है। इसमें ६ शहर और ५७२ तल क्षेत्र ले कर १८७६ ई में यह जिला संगठित हुआ प्राम लगते हैं। यहांकी जमीन खूब उपजाऊ है। है। गङ्गाके किनारे जितने स्थान पड़ते हैं, ३ उक्त तहसीलका एक प्रधान शहर और विचार- वे घघराके बालुकामय स्थानसे विशेष उर्वरा है। उक्त सदर । यह अक्षा० २५४ ४ उ० तथा देशा० ८४१०५० दो नदियोंके अलावा यहां सरयनदी भी बहती हैं। के मध्य गङ्गाके उत्तरी किनारे अवस्थित है। जनसंख्या