पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३३७

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बालकृष्ण पालखंडी ३३५ बालकृष्ण-कई एक संस्कृत प्रन्यकर्ताओं के नाम यथा-वालकृष्णभट्ट-१ श्रौतप्रायश्चित्त नामक काव्यके प्रणेता। १ पञ्चश्लोकिताजिक प्रणोता । २ मुदितराघबके रच- २ विद्वत्भूषण-काव्यके प्रणेता । ये अभिवंशके थे। इनका यिता। ३ हरिभक्तभास्करोदयके प्रणेता । कोई कोई जीवनकाल १६१० ई० माना जाता है। इन्हें बालचन्द्र भी कहते हैं। ४ होमविधानके रचयिता। बालकृष्ण भारद्वाज --तिथिनिर्णय नामक ग्रन्थ के रचयिता। ५ दत्तसिद्धान्तमञ्जरीके प्रणेता। पे जलहनीट करवंशीय बालकृष्णमिश्र-मानवश्रौतसूत्रवृत्तिके प्रणेता, विद्यानाथके देवभट्टके पुत्र थे। ६ पञ्चश्लोकी और उसकी टीकाके पुत्र । प्रणेता। ७ अलङ्कारसारके प्रणेता। ८ ऋग्वेददेवता- बालकृष्णानन्द --द्राविड़वासो एक संस्कृतश पण्डित । इन्होंने क्रमके रचयिता । ६ तकटीकान्यायबोधिनीकार । १० श्रीधाराचार्य, स्वयम्प्रकाश, शिवराम, गोपाल, पुरुषोत्तम तैत्तिरीयसंहिता-भाष्यकार । २१ प्रयोगसारके प्रणेता और पूर्णानन्द आदिसे शिक्षा प्राप्त की थी। ईशावास्योप- गोकुल प्रामबासी थे। १२ प्रशस्ति-प्रकाशिका नामक | निषद्, काठकोपनिषद्, केनोपनिषद्, छान्दोग्योपनिषद् प्रन्थके रचयिता, ब्रह्मानन्दके शिष्य । १३ नन्द पण्डितकी और प्रश्नोपनिषद आदि भाष्य तथा प्रणवार्थनिर्णय तत्त्वमुक्तावली नामक टीकाके प्रणेता। १४ सप्तसंस्थ- भिक्ष सूत्र और भाष्यवार्तिक आदि ग्रन्थ इन्हींके वनाये प्रयोगके प्रणेता, महादेवके पुत्र । १५ शिवोत्कर्षप्रकाशके | प्रणेता । १६ श्रौतस्मार्राविधिके रचयिता । १७ जम्बूसर- बालकेलि ( स० स्त्री० ) १ लड़कोंका वेल, खिलवाड़ । वासो यादवके पुत्र, रामकृष्णके पौत्र, नारायणके प्रपौत्र ।। २ बहुत ही साधारण या तुच्छ काम । इन्होंने जातककौस्तुभ, जैमिमिसूत्रभाष्य, ताजिककौस्तुभ, बालकेशी ( स० स्त्री० ) तृणविशेष । एक प्रकारको घास । योगिनीदशाक्रम आदि ग्रन्थ और त्रिवेणीस्तोत्र, नाराण- बालकोट-पजाबप्रदेशके हजारा-जिलान्तर्गत एक नगर । स्तोत्र, महागणपतिस्तोत्र, यन्त्रोद्धार, शङ्करस्तोत्र, शिव- यह नयनसुख नदीके बायें किनारे अवस्थित है। नौशेरा स्तोत्र और सक्रान्तिनिर्णय आदि कई एक पुस्तकें लिखी वासीके साथ यहांके अधिवासियोंका विस्तृत व्यवसाय हैं। १८ कादम्बरीविषयपदविवृत्तिके प्रणेता। ये बेङ्कट | चलता है। रङ्गनाथदीक्षितके पुत्र थे। १६ न्यायसिद्धान्तमुक्तावली- बालकोट --मध्यप्रदेशके दमोह जिलेके पार्वत्यभूभागस्थ प्रकाशके रचयिता। इन्होंने अपने पुत्र महादेवभट्ट दिन एक नगर। यह प्राचीर और परिखादि परिवेष्टित तथा करके लिये उक्त ग्रन्थको रचना की। दुर्ग द्वारा सुरक्षित है। १८५७ ई० में यहांके लोदी अधि- वालकृष्ण (सं० पु० ) उस समयके कृष्ण जिस समय वे वासियोंने विद्रोहमें साथ दिया था। उसी समय अंग- छोटी अवस्थाके थे, बाल्यावस्थाके कृष्ण । रेजीसेनाने यहांके प्राचीन दुर्ग को तहस नहस कर बालकृष्णत्रिपाठी -गुणमञ्जरीके प्रणेता, काशीरामके पुत्र । डाला। बालकृष्णदास-शङ्कराचार्यप्रणीत ऐतरेयोपनिषद्भाष्य और बालक्रिया (सं० स्त्री० ) वालकके योग्य क्रिया। तैत्तिरीयोपनिषद्रायके टीकाकार । बालक्रीड़न (स० क्ली०) बालस्य क्रीड़नं, क्रीड़ भावे-ल्युट् । बालकृष्णदीक्षित--१ सिद्धान्तमुक्तावलीयोजना और सेवा- लड़कोंके खेल। फलपति टिप्पनी नामक प्रन्थके प्रणेता । ये लालूभट्ट बालक्रीडनक (सं० पु०) बालानां कीड़नकः कोड़नदथ्य । १ नामसे प्रसिद्ध थे। २ बल्लभाचार्यकृत सेवाकौमुदोकी कपर्दक, कौड़ी। बालक कौड़ी ले कर स्खेलते हैं, इसीसे निवन्धविवृत्तियोजना नामकी टीका, निर्णयार्णव और | इसका नाम क्रीड़नक पड़ा है। २ वे सब दृष्य जिनसे छोटे सुबोधिनी नामक भागवतके १०म स्कन्धकी टीकाके |

  • छोटे बच्चे खेला करते हैं।

प्रणेता। .. बालक्रीड़ा ( स० स्त्री०) बालस्य क्रीड़ा। लड़कीके खेल बालकृष्णपायगुप्त-उपाकृतितस चित्रमीमांसागूढार्थप्रका- शिका और राक्षसकाव्य टीका 'काशिका' नामक तीन और काम। प्रायके रचयिता | पे बालमभट्ट नामसे प्रसिद्ध थे। बालखंडी (हि.पु.) वह हाथी जिसमें कोई दोष हो।