पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३३२

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बारासात-बारिघर

ज्योढ़ीसे सटा हुआ 'राय हरिमोहनठाकुर बहादुर' छिपे। पीछे उनमेंसे एक सौ मारे गये और ढाई सौ 'नामका एक हाई-स्कूल है जो १८६८ ई०में स्थापित हुआ बन्दी हुए। जो थोड़े बच गये, उन्होंने फिरसे अगरेजों- है। इसमें करीब ढाई सौ लड़के पढ़ते हैं । बाबू सुरेन्द्र के विरुद्ध तलवार उठाई, पर हार खा कर निश्चिन्त हो माथ वसु बी, ए, प्रधानाध्यापक है। आप करीब पंद्रह बैठे। यही लड़ाई बंगालको तीतूमीरकी लड़ाई नामसे वर्षोंसे इस स्कूलमें कार्य सम्पादन करते आ रहे हैं। मशहूर है। यहां सरकारी अदालत और एक छोटा स्थानीय स्कूलोंसे यहांकी पढ़ाई और तहज़ीब सराहनीय कारागार है जिसमें सिर्फ १३० कैदी रखे जाते हैं। शहर है। तारीफ तो यह है, कि जितने लड़के विश्वविद्या- | के पास हो मुसलमान फकीर पीर एकदिल साहिबके लयके लिये चुन कर भेजे जाते, वे सबके सब कामयाब | उद्देश्यसे प्रतिवर्ष मेला लगता है। इस मेले में हिन्दू निकलते हैं। इसके अलावा यहां एक म्युनिसिपल और मुसलमान दोनों कौमके लोग जमा होते हैं। अपर प्राइमरी स्कूल है । १६१० ई०में Barari-co-opera- | बारासिया-मधुमती नदीकी एक शाखा । यह फरिद- tive नामका जो बैंक खुला है, उससे यहांके तथा पुर और यशोर जिलेके मध्य हो कर बहती है। यह आस पासके अधिवासी खासा लाभ उठा रहे हैं। खालगाड़ाके निकट मधुमतीका परित्याग कर पुनः लोहा स्टेटके उक्त तीनों पट्टीदारोंकी आय मिला कर ४ लाख गङ्गामें जा मिली है। इस नदीमें सब समय पण्य- रुपयेसे ज्यादा है। द्रव्य ले कर नावें आती जाती हैं। बारासात-२४ परगनेके अन्तग त एक उपविभाग। यह बारिक ( अपु० ) ऐसे बगलों या मकानोंकी श्रेणी या अक्षा० २२०३३ से २२ ५६ उ० तथा देशा० ८८२५से समूह जिनमें फौजके सिपाही रहते हैं, छावनी । ८८४७ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण २७५ | बारिकपुर-बारकपुर देखो। वर्गमील और जनसंख्या ढाई लाखसे ऊपर है। इसमें | बारिक-मास्टर (अ० पु० ) वह प्रधान कर्मचारी जो बारासत और गोबरडंगा नामके दो शहर और ७२४ प्राम बारिककी देखभाल और प्रबंध करता है। लगते हैं। बारीद ( स० पु० ) वारिद देखो। २ उक्त उपविभागका एक नगर और विचारसदर । बारिदोआव-पञ्जाबप्रद शके अन्तर्गत एक अन्तर्वेदी, यह अक्षा० २२४३ उ० तथा देशा० ८८२६ पू० कलकत्ते- इरावती और शतद्र समेत विपाशा नदियोंके मध्यका से १४ मोल उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। जनसंख्या | स्थान । गुरुदासपुर, अमृतसर, लाहोर, मएटगोमारी और प्रायः ८६३४ है। १८३४ ईमें यशोर और नदिया | मूलतान जिला इसके अन्तर्मुक्त हैं। . जिलेसे कितने परगने निकाल कर इसके अन्तर्मुक्त किये वारिदोआवखाल-उक्त अन्तर्वेदीके मध्य जलप्रवाहके गये जो वारासत जिला कहलाने लगा है। १८६१ ई० लिये एक कृत्रिम साल। यह गुरुदासपुर, अमृतसर तक यहां एक ज्वाइण्ट मजिष्ट्रट थे। यहां बी-सी रेल और लाहोर तक विस्तृत है। सम्राट शाहजहानके पथका एक स्टेशन है। ख्यातनामा इञ्जिनियर अलीमर्दन खाने १६३३ ई० में जो . १८३१ ई०में सैयद अहमदके मतावलम्बी मुसलमान हसली खाल कटवाया था, १८४६ ई० में उसके कलेवरकी दल तीतू मीणां नामक किसी मुसलमान फकीरकी बातों- वृद्धि करनेके लिये लार्ड नेपियरने उस कार्यमें हाथ में पड़ कर हिन्दुके विरुद्ध खड़ा हो गया। इन उद्धत | लगाया । १८४६.५० ६०से ले कर १८५६-६० ६०के मध्य मुसलमानों ने देवमूर्तिको तोड़ डाला और ब्राह्मणों के उस कार्य का शेष हुमा। मूलतान और शाखाखाल प्रति विशेष अत्याचार करना आरम्भ कर दिया। यहाँ ले कर इसका परिमाण ३८८ वर्गमील है। तक, कि घे गांवोंको भी जलानेसे बाज नहीं आये। यहां वारिधर (हिं० पु० ) १ बादल, मेघ । २ एक वर्ण- उन्होंने एक बाँसका किला बनाया था । युद्धक्षेत्रमें वे वृत्त। इसके प्रत्येक चरणमै रगण नगण और दो अगरेजोंकी सेनाके सामने ,ठहर न सके और दुर्गमें जा| भगण होते हैं।